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जल्दबाजी की हद, CM के हाथ से फीता कटे 100 बिस्तर अस्पताल का अपना एक भी स्टाफ नहीं

मातृ एवं शिशु चिकित्सालय, बिलासपुर।

बीते एक अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जिस मातृ एवं शिशु अस्पताल का लोकार्पण किया था उसमें एक भी स्टाफ की भर्ती नहीं की गई है। जिला अस्पताल से लाए गए कुछ चिकित्सक और नर्स के भरोसे उपचार चल रहा है। जिला अस्पताल में पहले से ही स्टाफ की कमी है।

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बिलासपुर प्रवास के दौरान एक अगस्त को ‘मोबाइल तिहार’ कार्यक्रम में शामिल हुए थे, साथ ही वे कुछ और उद्घाटन और शिलान्यास के कार्यक्रम में शामिल हुए।

जिला अस्पताल परिसर में मातृ-शिशु अस्पताल का उद्घाटन इनमें से एक रहा। bilaspur live की टीम ने आज इस अस्पताल में पहुंचकर शिशुओं और प्रसूताओं के लिए दी जा रही सुविधाओं का जायजा लिया। मालूम हुआ कि इस अस्पताल में एक भी स्टाफ की भर्ती नहीं की गई है। जिला अस्पताल के डाक्टरों और नर्सों से ही काम चलाया जा रहा है। उस जिला अस्पताल से जहां पहले ही डाक्टरों और दूसरे स्टाफ की पहले से कमी है। जिस स्टाफ से काम लिया जा रहा है उनमें ज्यादातर नर्सिंग कोर्स कर रहे छात्र और छात्राएं हैं।

चार मंजिला और 100 बिस्तर अस्पताल में जो 12 डॉक्टर और 18 अधीनस्थ तैनात हैं वे जिला अस्पताल से लाए गए हैं। जिला अस्पताल के आरएमओ डॉ. मनोज जायसवाल का कहना है कि मातृ एवं शिशु अस्पताल के लिए 85 लोगों का स्टाफ नियुक्त करने का प्रस्ताव है, ऐसी उन्हें जानकारी है। पर जब तक इनकी नियुक्ति नहीं हो जाती, जिला अस्पताल के स्टाफ से काम चलाया जा रहा है। प्रक्रिया राज्य शासन स्तर पर पूरी होनी है।

नई बिल्डिंग में जगह-जगह गंदगी

मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का नया भवन आकर्षक है। यहां जगह-जगह लिखा है कि दीवारों पर थूकना मना है, इसके बावजूद लोग वहां गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। जगह-जगह पान के पीक दिखाई देते हैं और फर्श भी गंदे हैं। मालूम हुआ कि यहां कोई सफाई कर्मी भी अलग से तैनात नहीं है। कुछ लोगों को जिला अस्पताल से बुलाया गया है, जो इतने बड़े अस्पताल के लिए नाकाफी हैं।

फिर भी किया बेहतर प्रदर्शन

पिछले एक पखवाड़े का नतीजा देखा जाए तो कहा जा सकता है कि स्टाफ और दूसरी कमियों से जूझने के बावजूद अस्पताल का प्रदर्शन बेहतर रहा है। प्रबंधक बताते हैं कि बीते 15 दिनों में यहां 40 ऑपरेशन और 93 नार्मल डिलिवरी हुई।

निजी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को ऑपरेशन के लिए बाध्य कर दिया जाता है, जबकि इसकी जरूरत कई बार नहीं होती है। ऐसे में यहां नार्मल डिलिवरी की बड़ी संख्या दिखाई दे रही है।

शिशुओं और प्रसूताओं के लिए इस तरह के अस्पताल की बेहद जरूरत थी।  मौजूदा स्टाफ का कहना था कि कलेक्टर पी. दयानंद ने इस अस्पताल के निर्माण की योजना बनाई और  यहां की व्यवस्था की वे निगरानी रख रहे हैं, आने वाले दिनों में सब ठीक हो सकता है।

 

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