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कोविड-19 के इलाज के लिए 100 बिस्तरों का वार्ड तैयार, पूरे संभाग के मरीज भर्ती किये जाएंगे

जिला अस्पताल बिलासपुर को कोविड 19, कोरोना हॉस्पिटल के रूप में तैयार किया गया है।

राजधानी के बाद बिलासपुर दूसरा शहर जहां कोरोना से निपटने स्वास्थ्य विभाग की तेजी से चल रही तैयारियां

बिलासपुर । जिला अस्पताल बिलासपुर को 100 बिस्तर युक्त संभागीय कोरोना अस्पताल के रूप में विकसित कर लिया गया है, यहां एक हफ्ते के भीतर मरीजों की भर्ती की जा सकेगी। यह अस्पताल संभागीय स्तर का है। संभाग के कटघोरा कस्बे में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमितों के सामने आने के कारण इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

राजधानी रायपुर के बाद बिलासपुर छत्तीसगढ़ में दूसरा ऐसा महत्वपूर्ण शहर बनने जा रहा है जहां विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए तेजी से तैयारी चल रही है। हाईकोर्ट के आदेश के तुरंत बाद कल से यहां कोरोना टेस्ट लैब स्थापित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके लिए एक निजी अस्पताल आरबी हॉस्पिटल का चयन किया जा चुका है। इसके अलावा यहां पर लगरा स्थित नर्सिंग छात्रावास में 100 बिस्तरों का क्वारांटाइन सेंटर तैयार किया जा चुका है और अब जिला अस्पताल में 100 बिस्तरों का आइसोलेशन वार्ड भी तैयार किया जा रहा है।

अस्पताल में चल रहे कार्यों का निरीक्षण करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला आज बिलासपुर पहुंचीं। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार आवश्यक उपकरण और जरूरी सुधार के लिए मार्गदर्शन दिया।  उन्होंने अस्पताल में टेली कंसल्टेशन की सुविधा बनाने, कंट्रोल रूम व सेन्ट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम के लिए निर्देशित किया। अस्पताल के प्रथम तल में वार्डों का निर्माण किया गया है। यहां 28 बिस्तरों का आईसीयू वार्ड बनाया गया है। यहां ऑक्सीजन आपूर्ति की तैयारी हो चुकी है। वेंटिलेटर, मॉनिटर तथा अन्य आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है।

इसके बाद डॉ. शुक्ला ने कलेक्टर डॉ. संजय अलंग के साथ बैठक कर कोरोना अस्पताल में मापदंड के अनुरूप विद्यमान कमियों को दूर करने के लिये चर्चा की। यहां फिलहाल 28 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं, अतिरिक्त वेंटिलेटर की व्यवस्था करने के लिए निजी अस्पतालों से भी सम्पर्क किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संभावित कोरोना प्रभावितों के लिए बड़े पैमाने पर मेडिकल सुविधाओं की तैयारी आवश्यक है। इसके लिए लॉज, होटल आदि को भी चिन्हित करके रखें, जिन्हें आवश्यक होने पर आइसोलेशन सेंटर के रूप में तैयार किया जा सके। जो डॉक्टर व स्टाफ कोरोना सेंटर में काम करेंगे उनके लिये रहने की अलग व्यवस्था की जायेगी। ये स्टाफ अधिकतम 14 दिन ड्यूटी करने के बाद 14 दिन के लिए क्वारांटाइन पर रहेंगे। कोरोना अस्पताल में आवश्यकतानुसार सिम्स और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जायेंगीं।

निरीक्षण के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. उरिया नाग, सिविल सर्जन डॉ. मधुलिका सिंह ठाकुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रमोद महाजन, माना हास्पिटल के डॉ. अशोक सुंदरानी, मेकाहारा के डॉ. आर के पंडा, कंसल्टेन्ट डॉ. अभ्युदय तिवारी, आदि भी उपस्थित थे।

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