सूदखोरी और करोड़ों की धोखाधड़ी के कई मामलों में आरोपी परिजात एक्सटेंशन निवासी अमित सिंह उर्फ बबला सिंह को पुलिस ने आखिर उत्तराखंड के देहरादून के एक लॉज से गिरफ्तार कर लिया है।

आज बिलासा गुड़ी में आयोजित पत्रकार वार्ता में एडिशनल एस पी अर्चना झा और क्राइम ब्रांच डीएसपी प्रवीण चंद्र राय ने पत्रकारों को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी बबला सिंह की गिरफ्तारी के लिए विशेष टीम बनाई गई थी। पुलिस को सूचना मिली कि वह देहरादून, उत्तराखंड के एक लॉज में इन दिनों छिपा हुआ है। तब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आरिफ एच शेख ने देहरादून के पुलिस अधीक्षक से संपर्क स्थापित किया। इधर देहरादून के लिए बिलासपुर से क्राइम ब्रांच टीम के सदस्य रवाना किए गए। वहां से उसे गिरफ्तार कर बिलासपुर लाया गया है। दो मामलों में बबला सिंह की पत्नी रानू सिंह भी आरोपी है। उसके अन्य सहयोगी मनीष सिंह और मोनू कुशवाहा के ठिकानों पर भी पुलिस ने दबिश दी है लेकिन उनका पता नहीं चला है।

इन गंभीर अपराधों में पुलिस को थी बबला सिंह की तलाशः

फर्जी स्टाम्प पेपर से चढ़ाया 40 लाख का कर्जः अभिलाषा परिसर तिफरा निवासी अरुण सिंह (55 वर्ष)  के खिलाफ 21 जुलाई 2018 को बबला सिंह ने हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें बबला सिंह ने 50 रुपए के स्टाम्प पेपर क्रमांक एम 729451 में 20 मई 2015 को वैभव जैन से 40.20 लाख रुपए के लेन-देन का इकरारनामा प्रस्तुत किया गया था। इस सौदे में अरुण सिंह को गवाह और उसकी मुख्य भूमिका बताई गई थी। बबला सिंह ने अपने साथी मनीष सिंह, मोनू कुशवाहा को भी गवाह बनाया था। शिकायत में स्टाम्प वेंडर खुशाल श्रीवास से 20 मई 2018 को स्टाम्प पेपर खरीदने और उसी दिन इकरारनामा करने की बात कही गई थी।

शिकायत होने पर अरुण सिंह ने कोषालय से स्टाम्प पेपर के नंबर के आधार पर जानकारी निकलवाई तो पता चला कि इस नंबर का पेपर 2018 नहीं बल्कि 2015 में जारी हुआ था। वह भी 50 रुपए का नहीं बल्कि 20 रुपए का पेपर था। यह स्टाम्प भी मस्तूरी रजिस्ट्री कार्यालय के लिए जारी किया गया था। इसमें क्रेता और विक्रेता का कॉलम भी स्टाम्प वेंडर ने नहीं भरा था। इस फर्जीवाड़े की शिकायत अरुण सिंह और वैभव जैन ने पुलिस अधीक्षक से की। इसके बाद सितम्बर माह में बबला सिंह, मनीष सिंह, मोनू कुशवाहा और स्टाम्प वेंडर खुशाल श्रीवास के विरुद्ध आईपीसी की धारा 211, 120बी, 420, 467, 468, 471 तथा 472 के तहत अपराध दर्ज किया गया था।

फूड इंस्पेक्टर बनाने के नाम पर जीजा से  हड़पे 10 लाख रुपएः बीते 23 अगस्त को जांजगीर चाम्पा जिले के निवासी कृपाल सिंह, जो रिश्ते में बबला सिंह का जीजा है, ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई। बबला सिंह ने मंत्रियों और अधिकारियों से जान-पहचान होने का झांसा देकर नवंबर 2017 में उसके भतीजे अतुल सिंह को फूड इंस्पेक्टर की नौकरी दिलाने के नाम पर 10 लाख रुपए ले लिए। इसकी व्यवस्था उसने खेत की बिक्री कर तथा उधार लेकर की। आरोपी ने अतुल की न तो नौकरी लगाई न ही रुपए वापस किए। जब भी कृपाल अपनी रकम के लिए बबला सिंह के पास जाता था उसे वह कह देता कि अभी उसके पास रुपए नहीं है। सिविल लाइन थाने में इस प्रकरण पर धारा 420 के तहत अपराध दर्ज है।

दो लाख के आठ लाख वसूले और दी जान से मारने की धमकीः जरहाभाठा मिनी बस्ती निवासी हरीशचंद्र सोनी ने सन् 2015-16 में अपनी बेटी की शादी के लिए बबला सिंह ठाकुर से दो लाख रुपए कर्ज लिया था। ब्याज की रकम बढ़ते देखकर प्रार्थी सोनी ने कोसमडीह, मस्तूरी में स्थित अपनी पैतृक जमीन बेचकर दो लाख रुपए के बदले बबला सिंह को आठ लाख रुपए चुकाए। बीते 10 अगस्त को मंगला चौक स्थित सीएलसी प्लाजा से निकलते समय बबला सिंह और उसके तीन साथियों ने उसे घेर लिया और रिवाल्वर तान दिया। उसने जान से मारने की धमकी देते हुए 15 दिन के भीतर पांच लाख रुपए और देने के लिए कहा। आरोपी ने सिविल लाइन थाने में करीब 10 दिन बाद घटना की शिकायत दर्ज कराई थी।

सूद न मिलने पर जमीन की रजिस्ट्री कराईः नेहरू नगर के कपिल सिंह चौहान (33 वर्ष) ने बबला सिंह उर्फ अमित सिंह से 27 अगस्त 2012 को 57 लाख रुपए उधार लिए। चार लाख रुपए प्रतिमाह ब्याज के हिसाब से उसने दो साल में करीब एक करोड़ रुपए ब्याज में दिए। आर्थिक स्थिति बिगड़ने के बाद कुछ समय तक वह ब्याज की रकम नहीं दे पाया। तब बबला सिंह ने उसे कहा कि वे आवेदक की मंगला और भरारी की भूमि का पावर ऑफ एटार्नी बनवा लेते हैं। रकम वापस मिलने पर जमीन लौटा दी जाएगी। बबला सिंह ने धोखे जमीन को अपने तथा अपनी पत्नी रानू सिंह के नाम पर पंजीयन करा लिया। उधार में ली गई रकम भारी ब्याज के साथ लौटा दिए जाने के बाद भी आरोपी बबला सिंह ने जमीन वापस नहीं की और उसने उस पर कब्जा कर लिया। सिविल लाइन थाने में इस मामले में 4 मई 2018 को 384, 34 आईपीसी के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था।

जमीन की रजिस्ट्री करा ली, चेक बाउंसः जोरापारा नया सरकंडा के प्रकाश मिश्रा ने बीते 10 अक्टूबर को सरकंडा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी शामिल खाते में पैतृक जमीन है। इसका बबला सिंह, उसकी पत्नी रानू सिंह, अभिनव पाठक और हितेन्द्र सिंह ने एक करोड़ 15 लाख रुपए में सौदा किया। इसमें से कुछ रकम नगद दी गई थी और बाकी के लिए चेक दे दिया गया। चेक भुगतान के लिए बैंक में लगाया गया तो वह बाउन्स हो गया। पुलिस ने चारों आरोपियों के विरुध्द धारा आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के तहत अपराध दर्ज किया था।

पांच गुना रकम लौटाई, फिर भी खेत पर कब्जाः कोटा थाने में ग्राम नेवरा के मानसिंह ठाकुर ने बीते 4 सितंबर को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 2017 में उसने आरोपी बबला सिंह ठाकुर से 60 हजार रुपए उधार लिए थे। इसके बदले उसने ब्याज सहित कुल तीन लाख रुपए वापस कर दिए हैं। इसके बाद भी आरोपी ने उसके खेत पर कब्जा कर लिया है, उससे और रकम की मांग की जा रही है। कोटा थाने में इसे लेकर आईपीसी की धारा 294, 384, 447 तथा 506बी के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

बबला सिंह ठाकुर की गिरफ्तारी की कार्रवाई में उप निरीक्षक प्रभाकर तिवारी, सहायक उप-निरीक्षक हेमन्त आदित्य, प्रधान आरक्षक अशोक चौरसिया, अनिल साहू, आर. विकास यादव, वीरेन्द्र साहू, मनोज बघेल और शकुन्तला साहू की उल्लेखनीय भूमिका रही।

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