सीएमडी कॉलेज में प्रख्यात अभिनेता के संघर्ष की दास्तान सुनकर युवा हतप्रभ रह गए..

बोंमन ईरानी, ऐसा कलाकार जिसकी पहली कमाई पांच रुपए थी, जो उसने वेटर की नौकरी से पाई थी। आज मंत्री अमर अग्रवाल के जन्मदिन पर बिलासपुर पहुंचे बोमन ने युवाओं से कहा कि सफलता हासिल करने के लिए सितारों को छूने का सपना पालो और उसको पूरा करने के लिए नींव से शुरूआत करो। अपनी सृजनात्मक शक्ति पर भरोसा करो और सही रास्ता दिखाने वाले अच्छे लोगों से दोस्ती करो।

शहर विधायक और मंत्री अमर अग्रवाल के जन्मदिन पर  बॉलीवुड के प्रख्यात अभिनेता बोमन ईरानी आज प्रेरक वक्ता के रूप में संवाद के लिए बिलासपुर पहुंचे थे।

सीएमडी कॉलेज मैदान में रखे गए कार्यक्रम में उन्होंने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि कम्फर्ट जोन में रहने से कुछ हासिल नहीं होता। अपने बारे में उन्होंने बताया कि तारे ज़मीन पर के किरदार की तरह वे बुद्धू पैदा हुए थे।

बोमन ईरानी ने कहा- “ मेरे पिता की मौत मेरे जन्म से पांच माह पहले हो गई थी। घर में सब महिलाएं थीं, पुरुषों को देखकर मैं डर जाता था। पढ़ाई में निहायत औसत दर्जे का था। थोड़ा बड़ा हो गया तो तय हो गया कि मैं डॉक्टर, इंजीनियर या वकील नहीं बन पाऊंगा। लोग गब्बर सिंह की तरह सवाल करते थे-तेरा क्या होगा बोमन…। मैंने सोचा मैं किसी होटल में वेटर बनूंगा। दुनिया का सबसे अच्छा वेटर। इसके लिए मैंने तीन माह वेटर का कोर्स किया और सीधे मुम्बई के सबसे बड़े होटल ताजमहल में नौकरी मांगने चला गया। मैनेजर ने कहा कि क्या करना चाहते हो, मैंने स्टार्स (सितारे) की तरफ इशारा किया। इस होटल का रेस्टारेंट भी सबसे ऊपर की मंजिल पर था।“

“ मैनेजर ने मुझे कहा, नहीं शुरूआत बॉटम, नीचे से करो, जहां रसोई थी। मुझे वहां से रूम सर्विस देने का काम मिला। एक रूम में ग्राहक ने मुझे पांच रुपए टिप दिए। मैंने कहा-आपकी चाय तो 8 रुपए की है। ग्राहक ने कहा- उसका पैसा तो मैं होटल के बिल के साथ दूंगा, यह तुम्हारे लिए है। मैं खुशी से फूला नहीं समाया। यह मेरी पहली कमाई थी। एक वेटर के रूप में पांच रुपये की कमाई। मैंने मां को जाकर ये रुपए दिए। ”

बोमन ईरानी ने कहा कि हमारी शुरूआत भले ही छोटी हो, काम छोटा हो- पर विचार बड़े होने चाहिए। उन्होंने बताया क उनकी मां एक छोटी सी दुकान चलाती थी। इसमें 14 साल उन्होंने काम किया। मां के साथ आलू के वेफर बनाकर बेचते थे। 25 साल की उम्र में शादी हुई और 26 की उम्र में बाप बन गए। अब दो बच्चे हैं।

ईरानी ने बताया कि होटल में वेटर का काम करने से बचे पैसों से मैंने एक अच्छा कैमरा ख़रीदा। फोटोग्राफी का शौक था। इसमें भी वे सर्वश्रेष्ठ कर पाए, इसके लिए उन्होंने एक बार मुम्बई में हो रही वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के आयोजकों के पास जाकर अधिकारिक फोटोग्रॉफर बनाने की मांग की। उन्होंने सिरे से मना कर दिया। उसके बावजूद मैंने वहां अपनी तरफ से ही फोटोग्रॉफी की और आयोजकों को उन तस्वीरों को देखने के लिए दे दिया। फोटो देख बिना ही  उन्होंने मुझे ऑफिशियल फोटोग्रॉफर के रूप में काम करने की मंजूरी दे दी। वजह यह थी कि उन्होंने मुझे लगन के साथ काम करते देखा था। मेरे फोटो सलेक्ट किए गए और मुझे जहां एक फोटोग्रॉफ के 25 रुपए मिलते थे, यहां तीन फोटोग्रॉफ्स के 900 डॉलर किस्तों में मिले। इसके बाद भी संघर्ष कम नहीं हुआ। मैंने इन पैसों से स्टूडियो खोला था, पर आगे कर्ज में डूब गया। पत्नी ने कहा मेरे इन गहनों को बेचकर कर्ज चुकाओ। मैंने मना किया। पत्नी ने कहा- तुम क्या समझते हो, मुझे इन गहनों के पहनने से खुशी होगी। मुझे खुशी तब होगी, जब तुम परेशानी हल कर लोगे और तुम खुश रहोगे। स्टूडियो में काम करने के दौरान मुझे एक सिलेब्रिटी ने फोटो खिंचाने के बाद कहा कि तुम एक्टिंग बहुत अच्छी कर सकते हो। तुम थियेटर आ जाओ। थियेटर में मैंने 200 रुपए, कभी 500 रुपए कभी 700 रुपए कमाए। बदलाव तब आया जब विधु विनोद चोपड़ा ने मेरी एक्टिंग देखकर दो लाख रुपए का चेक एडवांस में दिया। उन्होंने मेरा छोटा सा रोल एक डिजिटल फिल्म में देखकर ऐसा किया,जो फिल्म बिल्कुल नहीं चली थी। उसका प्रीमियर 12 लोगों के बीच मेरे घर पर हुआ था। पर मुझे आश्चर्य तब हुआ जब चोपड़ा ने बताया कि अभी उनकी फिल्म तय नहीं है, जब भी अच्छी स्टोरी आएगी फिल्म बनेगी और उस पर मुझे काम करना होगा। वह फिल्म थी मुन्नाभाई एमबीबीएस। फिल्म का प्लाट मुझे अजीब लगा कि एक गुंडा डॉक्टर बनना चाहता है। पर जब कहानी लेखक राजू ने 6 घंटे से अधिक समय तक पूरे विस्तार से कहानी बताई तब मैंने जान लिया था कि फिल्म बहुत अच्छी बनेगी। फिल्म बनते-बनते आख़िर में पैसे खत्म हो गए। संजय दत्त की शादी का सीन था, पर मंडप सजाने के पैसे हमारे पास नहीं थे। हमने एक विवाह समारोह के मंडप का इस्तेमाल इसके लिए चोरी छिपे कर लिया और फिल्म पूरी कर ली।

फिल्म दिसम्बर में रिलीज हुई। पहले हफ्ते में दर्शकों के लाले पड़ गए। हम छुप-छुप कर देखने आते थे कि रिस्पांस कैसा है। टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग करने वाले एक दलाल ने एक हफ्ते बाद मेरे पास आकर कहा कि यह फिल्म सुपर-डुपर हिट होगी। यह बात सच भी हुई। जो फिल्म तीन हफ्ते पहले ही रिलीज हुई थी, वह बेस्ट फिल्म और मुझे बेस्ट एक्टर का अवार्ड दे गई। अवार्ड फंक्शन के दिन मेरे पास पहनने को सूट नहीं थे। मंच पर चढ़ने से कुछ मिनट पहले ही मेरे पास सूट आए। मैं गिरते-पड़ते स्टेज पर पहुंचा था। मुन्नाभाई…के हिट होने के बाद की सारी कहानी आप मुझसे बेहतर जानते हैं।

बोमन ईरानी ने युवाओं से कहा कि अपना सपना एक कागज़ पर लिख लो। पर सिर्फ लिखने से काम नहीं चलेगा। इसे पूरा करने के लिए मेहनत करो। नतीजा चाहे जो निकले। बोमन ने बताया कि 90 साल की मेरी मां आज भी मेरे जेब में एक रुपए डालती है और किसी भी कार्यक्रम से लौटने के बाद दो सवाल करती है- जिनसे तुम मिले उन्होंने तुम्हें प्यार दिया या नहीं और तुम्हारी इज्जत करती है या नहीं। जब मैं इन दोनों बातों का जवाब हां में देता हूं तो वह बहुत खुश होती हैं। मेरी मां एहसास कराती है कि मैं अपने चाहने वालों को खुश करने के लिए एक्टर हूं। आज चाहूं तो मैं आराम कर सकता हूं, पर बात वही है कि जिस दिन हम कम्फर्ट जोन में अपने आपको समझने लगेंगे, उसी दिन से हमारी नीचे आने की शुरूआत हो जाएगी।

लगभग 45 मिनट के अपने उद्गबोधन में ईरानी ने फोटोग्राफरों का अभिवादन किया और कहा उन्हें देखकर और होटलों में वेटरों को देखकर उन्हें अपने पुराने दिन याद आ जाते हैं। मैं इनके लिए कामना करता हूं कि ये भी एक दिन बड़ी सफलता हासिल करेंगे।

युवाओं के अलावा सभी आयु के लोग कार्यक्रम में मौजूद थे, जिन्हें बोमन ईरानी के कठिन संघर्ष की पहली बार जानकारी मिली, वे इससे हतप्रभ और उत्साहित थे। कार्यक्रम में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की ओर से सभी को पेन ड्राइव का वितरण भी किया गया।

मंत्री अमर ने किया स्वागत

मंत्री अमर अग्रवाल ने कार्यक्रम के प्रारंभ में बोमन ईरानी का स्वागत किया और कहा कि उनके जीवन के उत्कर्ष के बारे में उनसे ही सुनकर युवाओं का उत्साहवर्धन होगा और प्रेरणा मिलेगी। बोमन ईरानी ने मंत्री अग्रवाल की इस बात के लिए तारीफ की कि लोग अपने जन्मदिन पर तरह-तरह के खाने-पीने और पार्टियों का इंतजाम करते हैं परन्तु उन्होंने युवाओं को प्रेरणा देने के लिए कार्यक्रम रखा।

अनुमान के मुताबिक भीड़ नहीं जुटी, घंटों देर से शुरू हुआ कार्यक्रम

बोमन ईरानी को सुनने के लिए सैकड़ों युवा और उनके परिवार के लोग दोपहर दो बजे से जुट गए थे। पर सीएमडी कॉलेज मैदान में रखी गई पांच हजार कुर्सियों में से ज्यादातर कुर्सियां खाली रह गईं। यह व्यवस्था बीते साल चेतन भगत के कार्यक्रम में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए की गई थी। बोमन ईरानी समय पर बिलासपुर पहुंच गए थे पर भीड़ कम होने के कारण उन्हें देर से बुलाया गया और शाम 5.30 बजे कार्यक्रम शुरू हो सका। इस बीच अतिरिक्त कुर्सियों को हटाया भी गया। बताया जाता है कि बोमन ईरानी के आने का शहर व स्कूल कॉलेजों में ठीक तरह से प्रचार नहीं किया गया। यह भी नहीं बताया गया कि वे न केवल एक एक्टर के रूप में बल्कि मोटिवेटर के रूप में पहुंच रहे हैं। मंच पर भी अव्यवस्था फैली रही। उद्घोषकों को बार-बार कहना पड़ा कि सेल्फी के लिए अतिथि के सामने दिक्कत न खड़ी करें और बाकी लोग मंच से नीचे उतरें।

 

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