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विरोध के बावजूद रेल कॉरिडोर, अफसरों ने दबाव बनाया- कहा अनुमति जरूरी नहीं, काम शुरू करेंगे

पेलमा में अधिकारियों ने ग्रामीणों पर दबाव बनाया।

रायगढ़। ग्रामीणों के लगातार विरोध के बावजूद ग्राम पंचायत पेलमा में गुरुवार को एक बार फिर रेलवे के कर्मचारियों ने एसडीएम के साथ पहुंचकर रेल लाइन बिछाने के लिए दबाव बनाया। ग्रामीणों ने बलपूर्वक की जा रही कार्रवाई का विरोध किया और आने वाले दिनों में तेज आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
मालूम हो कि विगत 15 दिसंबर को घरघोड़ा अनुविभाग के तमनार तहसील के ग्राम पंचायत पेलमा में रेल लाइन सर्वे के विरोध में ग्रामीणों ने एसडीएम को ज्ञापन सौंपा था। पेलमा की सरपंच ने भी एसडीएम को लिखित में आवेदन देकर कहा था कि यह पेसा कानून लागू क्षेत्र है। यहां किसी भी प्रकार की परियोजना शुरू करने पर ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है। ग्राम सभा में 80 प्रतिशत जनसंख्या ने प्रस्ताव पारित किया है कि यहां रेल लाइन और कोयला खदान शुरू नहीं किया जाए। आए दिन रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे का कार्य कराया जा रहा है, जिस पर रोक लगाई जाए।
सरपंच राजकुमारी ने बताया है कि इसके बावजूद 21 दिसंबर को एसडीम घरघोड़ा रिशा ठाकुर व तहसीलदार तमनार ऋचा सिंह रेल्वे के कर्मचारियों के साथ गांव में आए और उन्होंने कोयला खदान खोदने के उद्देश्य से रेल लाइन बिछाने के लिए जबरन दबाव बनाया। अधिकारियों ने कहा कि विरोध करने पर बलपूर्वक कार्य कराया जाएगा। ऐसा किया जाना पेसा कानून का उल्लंघन होगा। लगातार सरकारी अधिकारी एवं कंपनी के अधिकारी रेल कॉरिडोर के लिए प्रयास कर रहे हैं। वे पूरे क्षेत्र में जंगलों को काटकर रेल कॉरिडोर बनाना चाहते हैं। ग्रामवासियों ने अधिकारियों से कहा कि वे प्रकृति प्रेमी हैं, पेड़ों को देवता तुल्य मानते हैं। प्रकृति पूजक होने के नाते क्षेत्र के जंगल को बर्बाद होते नहीं देख सकते। साथ ही जंगल से ही उनका जीवन यापन भी चलता है। छत्तीसगढ़ में पूर्व की सरकार ने जंगल के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में फॉरेस्ट राइट के तहत ग्राम सभा के पट्टे वितरित किए हैं ताकि लोग जंगलों का संरक्षण संवर्धन करें और ग्लोबल वार्मिंग से भी बच सकें। ऐसी स्थिति में अधिकारियों का कहना है कि रिज़र्व फॉरेस्ट में किसी भी प्रकार के ग्राम सभा से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
सरपंच ने बताया कि रेलवे लाइन बिछाने के लिए ग्रामीणों द्वारा जब इसके लिए सरकार से दिए गए अनुमति का दस्तावेज मांगा गया तो कोई भी अधिकारी दस्तावेज नहीं दिखा पाया। इससे ग्रामीणों का मानना है कि यह सारा कार्य गैरकानूनी तरीके से किया जा रहा है। अगर इसी प्रकार की स्थिति रही तो आगामी दिनों में भीषण आंदोलन हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा इस रेल कारिडोर का निर्माण कराया जा रहा है। यह रेल लाइन मुख्य रूप से कोयला परिवहन के लिए बनाई जा रही है। 124 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट के तहत खरसिया से धरमजयगढ़ के लिए 74 किलोमीटर लंबी मुख्य रेल लाइन और घरघोड़ा से पेलमा के लिए 30 किलोमीटर लंबी छोटी लाइन बनाई जा रही है।
घरघोड़ा और तमनार तहसीलें औद्योगीकरण के कारण बर्बाद हो रही हैं। यहां की आबादी प्रदूषण और सड़क हादसों की मार झेल रहा है।

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