तापमान के बदलाव के साथ बाइपोलर एक्टिव डिसआर्डर के बढ़ जाते हैं मरीज

बिलासपुर। धीरे-धीरे बढ़ रहे तापमान ने सभी को हलाकान, परेशान करना शुरु कर दिया है। तेज धूप तपिश से बेचैनी, चिढ़चि़ड़ापन, घबराहट आदि सामान्य लोगों को परेशान करने लगी है। यानि बदलते मौसम का सर्वाधिक असर मानसिक स्वास्थ्य पर पढ़ने लगा है। सेंदरी स्थित राज्य मानसिक चिकित्सालय के डॉक्टरों का कहना है कि मौसम के बदलाव और तापमान के बढ़ने की वजह से मानसिक अस्वस्थ मरीजों की संख्या अस्पतालों में सामान्य दिनों की अपेक्षा बढ़ी है। यह संख्या गर्मी के आने वाले दो तीन माह में और बढ़ सकती है।

200 बिस्तर वाले राज्य के एकमात्र मानसिक चिकित्सालय की ओपीडी में जनवरी 2018 से लेकर इस साल फरवरी माह के बीच 20579 मरीज पहुंचे हैं। इन्हें परामर्श और दवाएं दी गई हैं। इन दिनों बाइपोलर एक्टिव डिसआर्डर (बीपीएडी) के मरीज भी बढ़ रहे हैं। इस बीमारी में मरीज के व्यवहार में अचानक बदलाव देखा जाताहै। वह कभी बेहद खुश तो कभी बिना बात उदास रहता है। यह कई बार अनुवांशिक कारण से भी होता है। मानसिक तनाव, नशीले पदार्थ का सेवन भी इस बीमारी को जन्म देता है। मानसिक चिकित्सालय के डॉक्टरों का कहना है कि इसके इलाज के लिए बहुत प्रभावशाली दवाएं हैं, पर बिना डॉक्टर की सलाह के इसे लेना हानिकारक साबित हो सकता है। मरीज के साथ सकारात्मक व्यवहार भी इलाज में कारगर होता है। गर्मी में ऐसे मरीजों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

हालांकि राज्य भर से मानसिक अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की बढ़ती संख्या की एक वजह मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में आई जागरूकता भी है। अस्पताल के चिकित्सकों के मुताबिक गर्मी ज्यादा होते ही बीपीएडी वाले मरीज अस्पताल में सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा पहुंचने लगते हैं।

सेंदरी अस्पताल के डॉ. जे.पी.आर्या के मुताबिक धीरे-धीरे लोग जागरूक होने लगे हैं। तनावग्रस्त, अवसादग्रस्त लोग जिनका व्यवहार सामान्य की तुलना में अलग होता है, आज उन्हें भी अस्पताल लाया जाता है। दूसरी ओर बढ़ती गर्मी के साथ ही बीपीएडी यानि बाइपोलर एफेक्टिव डिस्आर्डर वाले मरीज ओपीडी में पहुंचने लगे हैं।ऐेसे लोगों का समय पर पहचान, इलाज शुरूहो जाता है तो वह मानसिक उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होता हैं। ऐेसे मरीज आ रहे हैं और ठीक होकर जा रहे हैं।

राज्य मानसिक चिकित्सालय सेंदरी के अधीक्षक डॉ.बी.के. नंदा का कहना है कि मानसिक या मनोवैज्ञानिक समस्या भी अन्य किसी शारीरिक बीमारी की तरह ही आम बात है। कोई भी मेंटल डिस्आर्डर होने पर उन्हें मनसिक रोगी ना समझें क्योंकि यह किसी भी इंसान को हो सकती है। इसलिए इसका इलाज करवाएं और किसी भी प्रकार की शर्म या संकोच महसूस न करें।

 

 

 

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