बिलासपुर। कोन्हेर गार्डन में शनिवार की शाम अलग-अलग प्रदेशों की मनमोहक लोक नृत्यों ने वहां मौजूद सैकड़ों दर्शकों को झूम उठने के लिए मजबूर कर दिया। मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान से आये लोक कलाकारों ने अपने अंचल की सुगंध बिखेरकर पूरे माहौल को महका दिया।


केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय से सम्बद्ध दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, नागपुर की ओर से यह कार्यक्रम रखा गया था। अमूमन हर दूसरे-तीसरे साल यह कार्यक्रम शहर में होता आया है पर यह किसी न किसी सभागृह में होता आया है। पहली बार यह कार्यक्रम मुख्य मार्ग के पास खुले में उद्यान पर बनाये गए मंच पर हुआ, जिसका लाभ यह हुआ कि पूर्व के कार्यक्रमों से कहीं ज्यादा दर्शक यहां उपस्थित थे।

‘लोक-कला दर्शन’ नाम से यह कार्यक्रम 29 मार्च को पामगढ़ कॉलेज प्रांगण में, 30 मार्च को कोन्हेर गार्डन बिलासपुर में और 31 मार्च को महामाया मंदिर परिसर रतनपुर में शाम 6.30 बजे से आयोजित किया गया है।


राजस्थान के ही युवा कलाकारों ने चारी नृत्य प्रस्तुत किया। यह नृत्य और उसके बोल राजस्थान की धरती में पड़ने वाले सूखे से जुड़ी है। पानी के लिए घड़े लेकर जब युवतियां कतार में दूरी तय करती थीं तो रास्ते में एक दूसरे से हंसी ठिठोली करते हुए चलती हैं, जो बाद में चारी नृत्य के रूप में विकसित हुआ।

बिलासपुर के मंच पर हुए कार्यक्रम में युवतियों ने चीनी मिट्टी के बर्तन से उठ रही लपटों को सिर पर रखकर नृत्य किया, जो उनके साहस और संतुलन का परिचय दे रहा था।

एक टोली मध्यप्रदेश के सागर से आई थी, जिसने बधाई नृत्य के जरिये दर्शकों का दिल जीता।


ओडिशा के करीब दर्जन भर युवाओं ने पूरे शरीर को शेर की खाल की तरह रंगा था और शेरों की तरह ही मुखौटे उन्होंने लगा रखे थे। मोहर्रम पर कई जगहों पर होने वाले शेर नाच की वे याद दिला रहे थे। उन्होंने अपने क्षेत्र के पारम्परिक लोक वाद्यों पर अद्भुत प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने अनोखे शारीरिक कौशल का भी प्रदर्शन किया।

छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने भी राउत नाच का प्रदर्शन कर माटी की खुश्बू बिखेरी। इस नृत्य में उन्होंने कुछ नये प्रयोग किये थे।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि काव्य-भारती के मनीष दत्त थे, जिन्होंने इस आयोजन के महत्व को दर्शाते हुए दक्षिण मध्य सांस्कृतिक केन्द्र के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में लोक कलाकार माधो सिंह चंद्राकर, साहित्यकार डॉ. विनय पाठक और अनेक कला प्रेमी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संज्ञा टंडन ने लोक नृत्यों का परिचय दिया साथ ही उन्होंने लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया।

 

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