‘मठाधीश’, अफसरों और ठेकेदारों के गठजोड़ पर निशाना साधा पूर्व एल्डरमेन मनीष अग्रवाल ने

बिलासपुर। नगर निगम के पूर्व एल्डरमेन मनीष अग्रवाल ने अपनी ही पार्टी के नेतृत्व वाले नगर-निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने शहर की सफाई व्यवस्था और मूलभूत सुविधाओं को लेकर नागरिकों की हो रही उपेक्षा को लेकर अधिकारियों, कर्मचारियों को आड़े हाथों लिया है।

अग्रवाल का कहना है कि वार्डों में नागरिक और जनप्रतिनिधियों की शिकायतों को जनदर्शन और जन समस्या निवारण शिविर में कचरे की टोकरी में डाल दिया जाता है। शिकायत पेटी और टोल फ्री नंबर पर की गई शिकायत पर भी ध्यान नहीं दिया जाता। शहर के जनप्रतिनिधि और अधिकारियों का निरीक्षण सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए हो रहा है। इनका निरीक्षण खोखला साबित हो रहा है। मुख्य नालों की सफाई से ही शहर साफ नहीं हो पायेगा बल्कि वार्डों के बड़े नाले और गलियों की नालियों को सफाई जरूरी है। यहां ठेकेदार बिना नालियों को बिना स्लैब डाले ही ढंक रहे हैं। ठेकेदार, अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सामंजस्य नहीं है। सब अपनी-अपनी ढफली बजा रहे हैं। बारिश से पूर्व दिखावे के लिए बड़े नाले नालियों का ठेका दिया जाना परेशानी का कारण साबित होते हैं। यही कारण है कि स्वच्छता और विकास की नई रैकिंग में बिलासपुर पीछे रह गया।

पूर्व एल्डरमेन अग्रवाल ने कहा कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सफाई विभाग में काम सिर्फ कागजों में चल रहा है और जनता के टैक्स के पैसों का दुरुपयोग हो रहा है। कहने के लिए ठेका पद्धति को बंद कर दिया गया है पर मिलीभगत से यह आज भी चल रहा है और ठेकेदारों को भुगतान किया जा रहा है। बिना प्लानिंग शहर के 66 वार्डों में सफाई व्यवस्था का संचालन की जिम्मेदारी एक बड़ी कम्पनी को दी गई है लेकिन सवाल यह है कि आवश्यकता के अनुरूप कर्मचारी और श्रमिक की पूर्ति नहीं की जायेगी तो व्यवस्था कैसे सुधरेगी?  ठेका कर्मचारियों की हाजिरी और निष्पादिक कार्यों का लेखा-जोखा किया जायेगा तो बहुत बड़ा बंदरबांट सामने आ जाएगा। अधिकारी जब ठेकेदार के साथ मिलकर नगर निगम की राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं और उन्होंने इसे चारागाह बना लिया है। अन्य विभागीय और सिविल कार्यों में भी यही बात दिखाई दे रही है, जिससे ध्यान भटकाने के लिए उच्चाधिकारियों को सफाई और जल की समस्या में उलझाकर रख दिया गया है। ऐसा करके विभागीय मठाधीश अपनी रोटी सेंकने में कामयाब हो जाते हैं, जिसका नुकसान और तकलीफ जनता भुगत रही है। बड़ी योजना हो या निरंतर चलने वाले कार्य  जनता को आपदा से राहत और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति नगर निगम का का कर्तव्य है। लेकिन सुविधाओं के नाम पर महज दिखावा कर मठाधीश, अधिकारी सबको खुश कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। ऐसे में स्वच्छ बिलासपुर-सुघर बिलासपुर योजना सिर्फ कागजों में सिमटकर रह जायेगी।

 

 

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