हाईकोर्ट परिसर में स्टेट ज्यूडिशियल अकादमी भवन का उद्घाटन

भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा है किसी भी न्यायिक अधिकारी में ज्ञान, कौशल व व्यावसायिक दक्षता का होना जरूरी है, तभी एक उसका प्रशिक्षण सफल माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस अकादमी भवन के उद्घाटन बस से हमें खुशी न हो। यहां इतनी सुविधाएं उपलब्ध है कि इसे नालंदा विश्वविद्यालय की तरह विकसित करने का लक्ष्य लेकर चला जाए।

जस्टिस मिश्रा ने आज छ्त्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राज्य न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि न्याय हासिल करना हम सबका संवैधानिक अधिकार है, जो बिना आधारभूत संरचनाओं के संभव नहीं है। जब हम आधारभूत संरचना के बारे में विचार करते हैं तो हम एक अच्छे भवन के बारे में सोचते हैं, मगर मैं ऐसा नहीं समझता। मैं यह मानता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर में एक बिल्डिंग बहुत महत्वपूर्ण तो है लेकिन इसके अलावा बौद्धिक अधोसंरचना का विकास भी महत्वपूर्ण है।

आज हमने एकत्र होकर न्यायिक अकादमी के एक बेहतरीन भवन का उद्घाटन किया है। मैं कहना चाहूंगा कि यह छत्तीसगढ़ और हाईकोर्ट की एक बड़ी उपलब्धि है। जब मैं 1997 में जबलपुर गया था तब वहां पाया कि न्यायिक प्रशिक्षण के लिए वहां सिर्फ एक कोर्ट रूम और एक चेम्बर ही था और कोई जज नहीं था। तब मैंने बहुत जगह पाया कि न्यायिक प्रशिक्षण के नाम पर मामूली भौतिक संरचनाएं ही उपलब्ध हैं। भौतिक संरचना से परे हटकर बौद्धिक संरचना विकसित की जानी चाहिए। यह अकादमी में कानून के जानकारों और ईमानदारी की उपस्थिति से आती है।

जजों को यह मानकर चलना चाहिए कि हम जिस प्रशिक्षण के लिए आए हैं उसका एक उद्देश्य लोगों को कानून के प्रति शिक्षित करना है, यह व्यावहारिक रूप से भी हो। जिस तरह हम एक मकान में गृह प्रवेश करने के बाद उसे घर का स्वरूप देते हैं और वहां का वातावरण बेहतर बनाते हैं उसी तरह इस भव्य अकादमी भवन में भी प्रशिक्षण के ऊंचे मापदंडों को घरेलू माहौल में विकसित करें।

कानून की नवीन तकनीकी से दक्ष होना उन्हें जरूरी है। उन्हें नए कानूनों की भी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें विनम्र होना जरूरी है और निर्णय लेते समय इस बात का ध्यान रखना है कि संवैधानिक दायरे में रहते हुए संवेदनशील रहना है। यह प्रशिक्षण एक निवेश मांगता है। यह रुपए का नहीं है यह आपकी ऊर्जा और समय के रूप में है। हाईकोर्ट आपके कमजोर निवेश को बर्दाश्त नहीं करेगा।

पत्रकारों से कहा- नालंदा की तरह विकसित करने का लक्ष्य रखना चाहिए

 


न्यायिक अकादमी भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के बाद हाईकोर्ट परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए जस्टिस मिश्रा ने कहा कि न्यायिक अकादमी भवन में जिस प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई है उससे आप यहां नालंदा विश्वविद्यालय की तरह वातावरण महसूस कर सकते हैं। यह मौका है कि इसे पूरे दिल और दिमाग से आगे बढ़ाया जाए। इसे छत्तीसगढ़ का गौरव तो मानिए, जो है भी, इससे खुशी है लेकिन इतने से ही खुश नहीं हुआ जा सकता। यहां प्रशिक्षण ऐसा हो कि यहां के अकादमिक वातावरण की देशभर में चर्चा हो।  उन्होंने बताया कि न्यायिक अकादमी संस्थान में न्यायिक अधिकारियों को न्यायाधीश, विधि विशेषज्ञ के अलावा डॉक्टर और मनोचिकित्सक आकर  प्रशिक्षण देते हैं।

जस्टिस मिश्रा ने आज छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट परिसर बिलासपुर में 28.17 करोड़ की लागत से निर्मित छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के नये भवन का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी, हाईकोर्ट के सभी जज, नगरीय प्रशासन उद्योग वाणिज्यकर आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल, वन एवं विधि विधायी मंत्री महेश गागड़ा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक, प्रदेश के मुख्य सचिव अजय सिंह, विधि विभाग के प्रमुख सचिव रविशंकर शर्मा, संभागायुक्त टी.सी.महावर, आईजी दीपांशु काबरा, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी, राज्य न्यायिक के अकादमी के डायरेक्टर के.एल.चरयानी, महाअधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा, स्टेट बार कौंसिल, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, व सदस्य, न्यायिक अधिकारी तथा अधिवक्ता उपस्थित थे।

 

 

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