छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार त्रिपाठी ने आज सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस अरुण मिश्रा की मौजूदगी में हुए एक समारोह में रायपुर-बिलासपुर सड़क मार्ग की बेहद ख़राब हालत पर अफसोस जाहिर किया। उन्होंने कहा कि यह बहुत बुरा अनुभव है और यह सफर कमर और पीठ में दर्द पैदा करने वाला है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रविवार को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अरुण मिश्रा के आतिथ्य में बार कौंसिल ऑफ इंडिया की ओर से निरंतर विधिक साक्षरता पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। जस्टिस त्रिपाठी ने अपने स्वागत उद्बोधन में जस्टिस मिश्रा व श्रीमती मिश्रा से कहा कि उन्हें अफसोस है कि रायपुर से बिलासपुर तक सड़क मार्ग से आने का हमारा अनुभव बेहद कष्टदायक था। यह कमर और पीठ में दर्द देने वाला है।

जगह-जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति थी। कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं था, इसलिए कल इस मार्ग से हमें आना पड़ा। रास्ते में इतने स्पीड ब्रेकर क्यों लगाए गए हैं, पता नहीं। ये ब्रेकर छत्तीसगढ़ के विकास में बाधक प्रतीत होते हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस मार्ग में इतने स्पीड ब्रेकर्स का होना उचित है?

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी।

यहां पर यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 18 साल बाद भी प्रदेश की राजधानी रायपुर से 110 किलोमीटर दूर न्यायधानी बिलासपुर को फोरलेन बनाने का काम पूरा नहीं हो पाया है। अभी भी यह कार्य निर्माणाधीन है। फोरलेन निर्माण में देरी को लेकर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर हैं। विभिन्न बेंच ने कई बार निर्माण कार्य में लगे अधिकारियों और ठेकेदारों को इस स्थिति को लेकर फटकार लगाई है। शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा को रायपुर से बिलासपुर सड़क मार्ग से लाया गया था।

लीगल एजुकेशन के लिए आयोजित कार्यशाला में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, निचली अदालतों के जज, अधिवक्ता और कानून के छात्र शामिल हुए। जस्टिस मिश्रा ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समाज में नित नए बदलाव  हो रहे हैं, तकनीक भी बदल रही है। इसलिए लीगल एजुकेशन की जरूरत हमेशा बनी रहेगी।

इस मौके पर जस्टिस मिश्रा ने हाईकोर्ट जर्नल का विमोचन किया। हिन्दी व अंग्रेजी भाषा के यह जर्नल हर माह प्रकाशित होगा। कहा गया है कि यह दूर दराज के अधिवक्ताओं तथा न्याय क्षेत्र से जुड़े आम लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगा।

 

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