सोमवार को कलेक्टोरेट में होने वाले जनदर्शन में जहां बहुत से लोग समस्या हल हो जाने का भरोसा लिए लौटते हैं वहीं कई लोगों को निराशा हाथ लगती है। बहुतों को पता नहीं कि यह जनदर्शन दोपहर दो बजे तक ही चलता है। कई बार अधिकारी कलेक्टर के नहीं होने के कारण आवेदन लेने से मना कर देते हैं।

ऐसा ही आज गोकुलधाम घुरू से पहुंची महिलाओं के साथ हुआ। वे अपनी पेंशन सम्बन्धी समस्या लेकर यहां पहुंची थीं, लेकिन जब दोपहर में पहुंचे तो उन्हें पता चला कि जनदर्शन दो बजे तक ही चलता है। अब उन्हें अपनी समस्या बताने अगले सप्ताह आना पड़ेगा। इसी तरह एक निःशक्त का कहना है कि उसका आवेदन जनदर्शन कक्ष में मौजूद अधिकारी ने यह कहकर लेने से इंकार कर दिया कि यह समस्या कलेक्टर ही सुलझाएंगे।

घुरू की महिलाओं के हाथ में कोई ज्ञापन नहीं था, लेकिन पेंशन नहीं मिलने की शिकायत थी। महिलाओं का कहना था कि उन्हें  जनदर्शन का दिन सोमवार है, यह तो पता था लेकिन दोपहर दो बजे तक ही यह चलता है, यह पता नहीं था। कई बार दूर-दराज से आने वाले निर्धारित समय तक नहीं पहुंच पाते और उन्हें अपनी समस्या बताए बगैर लौटना पड़ता है। इन महिलाओं ने कहा कि सरपंच ने उससे चार बार पेंशन के लिए फॉर्म भरवाए हैं, मगर अब तक उन्हें पेंशन मिलना शुरू नहीं हुआ है। महिलाओं ने कहा कि उनको आवेदन बनाना नहीं आता इसलिए वे मौखिक शिकायत करने आई हैं। कई बार देखा गया है कि लोग लिखित आवेदन तैयार नहीं कर पाते।

कलेक्टोरेट में ही एक दोनों पैरों से अशक्त एक दिव्यांग युवक 23 वर्षीय उमेश कौशिक खड़ा था। उसके हाथ में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक की एक सिफारिशी आवेदन था। मजदूर के बेटे उमेश ने बताया कि वह बिल्हा विकासखंड के भटगांव के स्कूल में पिछले चार सालों से पढ़ा रहा है। यह मुफ्त सेवा ही है, हालांकि उसे स्कूल के शिक्षक अपनी तरफ से कुछ रुपए हर माह देते हैं लेकिन उसकी इच्छा है कि उसे अस्थायी तौर पर ही सही, इस स्कूल में शिक्षा विभाग की ओर से नियुक्ति मिल जाए। जो अधिकारी जनदर्शन में बैठे थे, उन्होंने दिव्यांग का आवेदन नहीं लिया। उन्होंने कहा कि इसे वे कलेक्टर को ही उनके रहने पर दें। बैसाखी के सहारे चलकर आया यह युवा कई घंटे कलेक्टोरेट के बाहर बैठा रहा।

 

 

 

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