जांच के बाद सिर्फ एक पंचायत सचिव पर कार्रवाई, इंजीनियर और मॉनिटरिंग करने वालों पर आंच नहीं आई

भाजपा से जुड़े जनपद अध्यक्ष की शिकायत भी ठंडे बस्ते में  

कोटा विकासखंड से 15 किलोमीटर दूर ग्राम केन्दा में अधूरे शौचालयों को पूरा बताकर पूरी राशि पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने हड़प ली। यहां तक कि मजदूरी के रूप में मिलने वाला पैसा भी ग्रामीणों के हाथ में नहीं आया। जिला पंचायत और केन्द्र की ओर आई मॉनिटरिंग टीम की ओर से जब इसका खुलासा हुआ तो सिर्फ पंचायत के सचिव को निलम्बित करने की खानापूर्ति की गई है, जबकि इसमें इस पूरी गड़बड़ी में शामिल सरपंच और जनपद पंचायत के इंजीनियर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। खुद जनपद पंचायत अध्यक्ष लखन पैकरा ने बानाबेल पंचायत में शौचालय निर्माण में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत अधिकारियों से की है, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

बिलासपुर जिले को खुले शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है, पर कोटा विकासखंड में दर्जनों ऐसे गांव हैं जहां रिकॉर्ड में तो सबके घर शौचालय बन चुका है पर लोग अब भी शौच खुले में करते हैं। ऐसा ही केन्दा गांव में देखने को मिला। यहां अधिकांश शौचालय आधे-अधूरे थे, जो बनाए गए उनका भी निर्माण इतना घटिया है कि उनका इस्तेमाल ग्रामीण नहीं कर पा रहे हैं। जिले को खुले शौच से मुक्त करने के अभियान में अधिकारियों ने भी इंजीनियरों, पंचायत प्रतिनिधियों और सचिवों पर जल्दी काम कर पूर्णता प्रमाण पत्र देने का दबाव बनाया। इस पर केन्दा के सरपंच और सचिव ने केंदा में शत-प्रतिशत शौचालय बन जाने की रिपोर्ट जनपद पंचायत को सौंप दी। इस रिपोर्ट के आधार पर कोटा विकासखंड के सभी पंचायतों को खुले शौच से मुक्त घोषित किया गया था। बाद में ग्रामीणों की ओर से मिली शिकायत के बाद केन्द्र से आई एक टीम और जिला पंचायत की ओर से इन शिकायतों की जांच की गई। तब पता चला कि गांव के लगभग 400 शौचालयों में से केवल 20-25 ही सही तरीके से बने हैं शेष का निर्माण अधूरा है। जो पूरे हुए हैं उनमें भी निर्माण कार्य निम्न स्तर का है।

जांच के बाद कोटा जनपद पंचायत के सीईओ राजेन्द्र पांडेय ने सचिव राजकुमार तिवारी को निलंबित कर कोटा जनपद में अटैच कर दिया, पर केंदा सरपंच और शौचालय निर्माण की मॉनिटरिंग करने वाले इंजीनियर के विरुद्ध अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। दूसरी ओर इन अधूरे शौचालयों की अब रिपेयरिंग भी कराई जा रही है ताकि लापरवाही और भ्रष्टाचार को ढंका जा सके। हर एक शौचालय के लिए सामग्री की राशि हितग्राही को दी जाती है पर इनकी खरीदी पंचायत पदाधिकारियों और सचिव ने की। हितग्राही को शौचालय निर्माण के श्रम की राशि भी दी जाती है पर अधिकांश लोगों को वह भी नहीं मिली।

जनपद सीईओ पांडेय इस मामले में साफ जवाब देने से कतरा रहे हैं। उनका कहना था कि सचिव पर कार्रवाई कर दी गई है, सरपंच और इंजीनियर की भूमिका की जांच भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि वे फोन पर अधिक जानकारी नहीं दे सकते। साथ ही कहा कि मजदूरी का भुगतान सरपंच से रिकव्हरी करने के बाद किया जाएगा।

कोटा जनपद पंचायत के अनेक पंचायतों से इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। केवल कागजों में पंचायतों को, उसके बाद कोटा जनपद पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। जनपद पंचायत अध्यक्ष लखन पैकरा इस मामले में अपनी ही सरकार होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करा सके हैं। पैकरा का कहना है कि बानाबेल ग्राम पंचायत में शौचालय निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इसकी शिकायत भी अधिकारियों से उन्होंने की, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।  पैकरा ने कहा कि वे भाजपा के कार्यकर्ता हैं। वे इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई की मांग उठाते रहेंगे और ग्रामीणों को न्याय दिलाएंगे। अधिकारियों और इंजीनियरों द्वारा मॉनिटरिंग की बात कही जाती है इसके बावजूद भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हुआ। ओडीएफ घोषित कराने में उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए। राशि गबन की बात सामने आ जाने के बावजूद किसी के विरुद्ध कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई, जबकि सिर्फ सचिव को निलम्बित करने और सरपंच से रिकव्हरी की बात कही जा रही है।

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