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एसईसीआर में सेनानी, साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी की 120वीं जयंती मनाई गई, जीवन और व्यक्तित्व पर चर्चा

रामवृक्ष बेनीपुरी।

बिलासपुर। प्रख्यात साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी की 120वीं जयंती दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के राजभाषा विभाग में मनाया गया। इस अवसर पर रेल सुरक्षा बल के डीआईजी भवानीशंकर नाथ, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी  साकेत रंजन, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी विक्रम सिंह सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

डीआईजी शंकरनाथ ने बेनीपुरी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में  बेनीपुरी का असीम योगदान है।  इन्होंने राष्ट्रवाद का लोगों में संदेश दिया था। पत्र-पत्रि काओं में देशभक्ति की ज्वाला  भड़काने के आरोप में उन्हें अनेक बार जेल जाना पड़ा।

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी साकेत रंजन ने अपने वक्तव्य में बेनीपुरी को एक जुझारू देश भक्त बताया। उन्होंने कहा कि देश भक्त और साहित्यकार दोनों ही के रूप में इनका विशिष्ट स्थान है।  रामधारी सिंह दिनकर ने इनके विषय में लिखा है – ‘बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग नहीं थी जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है वरन् वे उस ज्वाला के भी धनी थे जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ मूल्यों पर प्रहार करती है। बेनीपुरी के अंदर बेचैन कवि, चिंतक, क्रान्तिकारी और निडर योद्धा सभी एक साथ समय था।

वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी ने बेनीपुरी के कृतित्व की विस्तार से चर्चा की l उन्होंने बताया कि बेनीपुरी ने उपन्यास, नाटक, कहानी, स्मरण, निबंध और रेखा चित्र आदि सभी गद्य विधाओं में अपनी कलम उठाई है। पतितों के देश में, माटी की मूरत, लाल तारा, चिता के फूल ,अंब पाली, गेहूं और गुलाब, मशाल, वंदे वाणी विनाय को, जंजीरें और दीवारें, पैरों में पंख बांधकर उनकी प्रसिद्ध रचना है। बेनीपुरी ने बालक, तरुण भारती,युवक, किसान मित्र ,कैदी, योगी, जनता, हिमालय आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। हमें उनके जीवन एवं रचनाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए तथा अपने कार्य को उसी मनोयोग से करने की आवश्यकता है।

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