“पटवारी को प्रमोशन दे दीजिए, उसके कारण कितने ही किसान मर रहे हैं”

सरगांव थाने के ग्राम बदरा में एक किसान की आज हार्ट अटैक से मौत हो गई। कुछ देर पहले ही वह आंदोलन में जाने के लिए घर से निकला था, तबीयत बिगडने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत की पुष्टि हुई। घटना के बाद वहां बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। स्थिति अब नियंत्रण में है।

जिले के किसानों ने आज मुंगेली पहुंचकर फसल बीमा और क्षतिपूर्ति का आंदोलन करने की योजना बनाई थी। आंदोलन की चूंकि पहले से घोषणा हो गई थी, प्रशासन सतर्क था। तहसीलदार और नायब तहसीलदार ने सरगांव थाने के अंतर्गत आने वाले बदरा गांव में मुआवजा वितरण शिविर लगा दिया। यहां से बड़ी संख्या में किसान मुंगेली जाने के लिए एकत्र हुए थे।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक इन्हीं में एक मनहरण साहू (59 वर्ष), जो पहले बदरा सोसायटी का अध्यक्ष था, अन्य किसानों के साथ अफसरों पर बिफर गया।

उसने बताया कि उसे न तो मुआवजा मिला, न बीमा राशि मिली जबकि उसकी पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है और कर्ज में डूबा है। अधिकारियों पर बरसने के दौरान ही मनहरण की तबीयत बिगड़ने लगी। उसे घर ले जाया गया, पर वहां तबियत ज्यादा बिगड़ी तो उसे आनन-फानन में अस्पताल के लिए रवाना किया गया, लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। किसानों का कहना है कि इस दौरान पटवारी ने स्वीकार किया कि उसने मुआवजा और क्षतिपूर्ति प्रकरण पैसे लेकर बनाए हैं।

आंदोलन के लिए एकत्र हुए किसान मौत की खबर पाकर भड़क गए और वे सरकार तथा अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। किसानों को आक्रोशित होते देख वहां आनन-फानन में अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया। घटना की सूचना मिलते ही बिल्हा विधायक सियाराम कौशिक और थोड़ी देर बाद जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राजेन्द्र शुक्ला भी वहां पहुंच गए। आसपास के ग्रामीण भी वहां एकत्र होने लगे। तहसीलदार ने ग्रामीणों को समझाइश देने की कोशिश की पर कुछ सुनने को राजी नहीं थे। तहसीलदार ने मृतक के परिजनों को 10 हजार रुपये तात्कालिक सहायता उपलब्ध कराई। दोनों नेताओं के समझाने के बाद धीरे-धीरे ग्रामीण शांत हुए।

इसके बाद शुक्ला ने मुंगेली जाकर वहां के जिला कांग्रेस अध्यक्ष आत्मा सिंह क्षत्री के साथ कलेक्टर डोमन सिंह से मुलाकात की और मृतक किसान के परिजनों के लिए 20 लाख के मुआवजे की मांग की। कलेक्टर का कहना था कि ह्रदयाघात के मामले में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है। शुक्ला ने bilaspurlive.com से कहा कि उनके क्षेत्र में अब तक कर्ज में दबे तीन किसानों की मौत हो चुकी है। अफसर से लेकर पटवारी तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और मुआवजे तथा क्षतिपूर्ति का प्रकरण वे नहीं बना रहे हैं। किसान खाद-बीज के पैसे नहीं चुका पा रहे हैं।

इधर विधायक सियाराम कौशिक ने मांग की है कि पीड़ित किसान के परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए और उन्हें 20 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए।

 

 

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