कोटा ब्लॉक के अधिकांश स्कूलों की हालत दयनीय, कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा- बच्ची की मौत सरकार के विकास के दावों की पोल खोल रही

कोटा तहसील के रानीसागर पंचायतकी मौहारखार गांव में पांचवी की छात्रा तुलसी यादव की मौत के बाद दहशत का ऐसा माहौल है कि बच्चों ने स्कूल से ही मुंह मोड़ लिया है। कांग्रेस नेता शैलेष पांडेय ने इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि स्कूल की दयनीय दशा और उसकी वजह से हुई मासूम की मौत सरकार के विकास के दावे की पोल खोल रही है।

रक्षाबंधन के एक दिन पहले स्कूल के बाहर क्लास लगाई गई थी, क्योंकि स्कूल भवन की छत से पानी रिस रहा था। इस बीच तुलसी नाम की छात्रा को सांप ने काट लिया। काफी देर बाद जब शिक्षिका को समझ में आया तो उसे उपचार के लिए अस्पताल ले जाने की कवायद हुई, लेकिन बच्ची नहीं बचाई जा सकी। सांप काटने के बाद स्कूल खुले दो दिन हो गए पर बच्चे पढ़ने के लिए यहां नहीं पहुंच रहे हैं। उनमें और बच्चों के अभिभावकों में चिंता समाई हुई है। स्कूल खुली तो सिर्फ दो शिक्षिकाएं और समन्वयक वहां आए।

पिता मनोज और बाकी पालक घटना के बाद आक्रोश में हैं। उनका कहना है कि यदि स्कूल भवन की हालत अच्छी होती तो यह घटना नहीं होती।

घटना के बाद नींद से जागे शिक्षा अधिकारी स्कूल पहुंचे। एबीईओ असगर खां ने उस जगह की रिपेयरिंग कराई, जहां बच्ची को सांप ने काटा था। प्राथमिक शाला के छोटे कमरे, गिरते प्लास्ट और टपकते पानी को देखकर वे भी हैरान थे। समय रहते स्कूल की दशा सुधार ली जाती तो यह स्थिति सामने नहीं आती।

पालकों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार कानून, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्कूल चले हम जैसे नारों में लाखों रुपए फूंकने की जगह स्कूलों का भवन दुरुस्त रखना चाहिए। यहां टायलेट,पीने का साफ पानी जैसी बुनियादी सेवाएं देनी चाहिए। एक तरफ शासन और विभाग प्राइवेट स्कूलों को महत्व देते हुए आगे बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूल बंद होते जा रहे हैं ,बचे हुए सरकारी स्कूल की हालत काफी दयनीय है ,भवन जर्जर हो चुके हैं, स्कूलों में खेल का मैदान, स्कूलों में बाउंड्री वाल किचन शेड नहीं के बराबर हैं। कोटा ब्लॉक के अधिकांश स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता शैलेष पांडेय ने कहा कि प्रदेश की रमन सरकार विकास के नाम पर केवल ढोल पीट रही है। सच्चाई ऐसी घटनाएं हैं जो सामने आ रही हैं। कोटा विधानसभा क्षेत्र में सरकार ने कभी ध्यान नहीं दिया। स्कूलों की स्थिति दयनीय है। बच्चे यहां सुरक्षित नहीं है। सरकार की घोर लापरवाही से बच्ची की मौत हुई है।

 

 

 

 

 

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