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छपे कागजों में खाने पीने का सामान, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

बिलासपुर हाईकोर्ट।

बिलासपुर। प्रदेश के होटलों, फूड स्टॉल, स्ट्रीट फूड के ठेलों में अखबारी और दूसरे प्रिंटेड कागज में खाने पीने का सामान परोसकर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से 3 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

अधिवक्ता रितेश शर्मा ने राइट वे वेलफेयर फाउंडेशन की ओर से हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर 2018 को एक अधिसूचना जारी की थी जिसे राजपत्र में प्रकाशित भी किया गया था। इसके अनुसार खाद्य सुरक्षा और मानक पैकेजिंग विनियम 2018 की धारा 3 (11) के अनुसार अखबार और छपे हुए कागजों का भोजन को रखने, लपेटने और परोसने में इस्तेमाल प्रतिबंधित है। जुलाई 2019 से यह नियम छत्तीसगढ़ में लागू है। पूरी भटूरे जैसे खाद्य वस्तुओं में तेल को निकालने के लिए भी ऐसे ही पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। होटल, स्ट्रीट फूड सेंटर में खाने पीने के सामान को पैक करके बेरोकटोक दिया जा रहा है। इस नियम के उल्लंघन पर 2 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान भी है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में कहीं पर भी उक्त एक्ट का पालन नहीं हो रहा है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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