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हवाई सेवा पर पीआईएल की हाईकोर्ट में सुनवाई, विमान कम्पनियों को नोटिस, केन्द्र-राज्य को स्टेटस दाखिल करने का निर्देश, अगली सुनवाई 10 को

बिलासपुर हाईकोर्ट।

सेना से हवाई अड्डा विस्तार के लिए 100 एकड़ जमीन वापस लेने की कार्रवाई का भी निर्देश

बिलासपुर। बिलासपुर में हवाई सुविधा से संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई में हाईकोर्ट ने आज एक विस्तृत आदेश पास किया। इस आदेश से बिलासपुर से महानगरों तक हवाई सुविधा मिलने का मार्ग तेजी से प्रशस्त होगा। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी, जिसमें केन्द्र,राज्य सरकार व एयरपोर्ट अथॉरिटी को स्टेटस रिपोर्ट रखनी है और निजी विमानन कम्पनियों को भी जवाब देना है।

गौरतलब है कि पत्रकार कमल दुबे और हाईकोर्ट प्रेक्टिसिंग बार एसोसिएशन कि जनहित याचिकाओं को उच्च न्यायालय ने पुनर्जीवित कर फिर से सुनवाई आरंभ की थी। आज की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश पी.आर.रामचन्द्र मेनन और न्यायाधीश पी.पी.साहू की खण्डपीठ में हुई।

कमल दुबे की ओर से उपस्थित अधिवक्ता आशीष श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट को बताया कि 2 मार्च 2016 को एएआई के द्वारा छत्तीसगढ सरकार को लिखे पत्र में यह स्पष्ट उल्लेख है कि बिलासपुर को तुरन्त ही एक अत्याधुनिक और पूर्ण विकसित एयरपोर्ट में बदलने की आवश्यकता है।

इस पत्र में एक उच्च स्तरीय बैठक का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य में रायपुर के अलावा बिलासपुर को 4सी एयरपोर्ट में विकसित किया जाना जरूरी है। उन्होंने विभिन्न एयरपोर्ट के आधार पर कौन-कौन सा विमान संचालन हो सकता है और किस-किस एयरलाइंस के पास कैसे विमान हैं इसका विवरण भी दिया है।

हाई प्रेक्टिसिंग बार एसोसिएशन की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और संदीप दुबे ने कहा कि नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी द्वारा विगत् 20 नवम्बर को बिलासपुर को प्रायरटी रूट में लिये जाने संबंधी निर्देश दिये गये थे परन्तु उडान 4.0 योजना का टेण्डर जारी होने पर केवल उत्तर पूर्व के राज्यों, जम्मू कश्मीर और अण्डमान जैसे क्षेत्रों को ही प्रायरटी रूट में शामिल किया गया। साथ ही कहा गया कि 600 किलोमीटर से अधिक दूरी होने पर भी किराये में सब्सिडी दी जायेगी। इस तरह छत्तीसगढ़ और बिलासपुर को इस लाभ से वंचित कर दिया गया है जबकि बिलासपुर से दिल्ली-मुंबई-कलकत्ता-बेंगलूरू-चेन्नई सभी 600 किलोमीटर से अधिक दूर है और इसी कारण इस टेण्डर में केवल बिलासपुर से भोपाल और बिलासपुर से इलाहाबाद तक के लिए ही विमान कंपनियों ने फार्म भरे हैं। इस कारण बिलासपुर से महानगरों तक उड़ान को प्रायरटी रूट घोषित कर वीजीएफ सब्सिडी देना जरूरी है।

आज की सुनवाई में राज्य के महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि देश में 9 हवाई अड्डे ऐसे हैं, जिनका रन वे बिलासपुर से छोटा है परन्तु यहां 72 और 78 सीटर विमान संचालित हो रहे हैं। इस आधार पर उन्होंने वर्तमान स्थिति में ही विमान संचालन की मांग की। वहीं केन्द्र सरकार के अधिवक्ता बी.गोपा कुमार के अनुसार जब तक 3सी केटेगरी का लायसेन्स नहीं मिल जाता तब तक 72-78 सीटर विमान की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि रनवे की लंबाई एक अकेला मापदण्ड नही है।

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 3सी लायसेन्स के लिए आवश्यक टेण्डर हो चुका है और 4 फरवरी को उसे खोला जायेगा। राज्य सरकार ने कार्य आदेश के बाद एक माह में सभी आवश्यक निर्माण पूरे करने की बात कही।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि उपरोक्त निर्माण कार्य की देख-रेख एयरपोर्ट अथॅारिटी ऑफ इंडिया और डीजीसीए करे जिससे की बाद में निर्माण में किसी प्रकार की कमी के नाम पर अवांछित विलम्ब न हो। उच्च न्यायालय ने उक्त मांग को स्वीकार किया और अपने आदेश में इसे भी उल्लेखित किया है।

आदेश में सभी तर्कों को स्थान देते हुये माननीय हाईकोर्ट ने पांच निजी विमानन कंपनियों एयरइंडिया, इंडिगो, स्पाईसजेट, गो-एयर, विस्तारा को नोटिस जारी किया है और सभी विभागों को आपस में सहयोग कर समय-सीमा में कार्य पूर्ण कर लायसेन्स की कार्रवाई पूरी करने की हिदायत दी है। छत्तीसगढ सरकार 4सी ओैर 3सी का आवेदन एक साथ दे सकती है और स्थिति अनुसार लायसेन्स डीजीसीए प्रदान करेगा। 4सी लायसेन्स के लिए आवश्यक अतिरिक्त 100 एकड़ जमीन को सेना से एयरपोर्ट के लिए वापस हासिल करने के आवश्यक कार्रवाई करने के भी राज्य सरकार को निर्देश दिये गये हैं। अगली सुनवाई 10 फरवरी को रखी गई है।

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