वन विभाग की जमीन पर कब्जा कर रिसोर्ट बनाने के मामले में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल तथा उनके रिश्तेदारों के खिलाफ दायर याचिका आज हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी। ईओडब्ल्यू ने हाईकोर्ट को शपथ-पत्र देकर कहा है कि इस मामले में वह जांच कर रही है और उचित कार्रवाई करेगी।

रायपुर की अधिवक्ता डॉ. किरणमयी नायक और उनके पति विनोद नायक ने यह जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि महासमुंद जिले के जलकी गांव में मंत्री, उनकी पत्नी, बेटे और नौकरों ने वन विभाग की 4.124 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर उस पर रिसोर्ट बना लिया गया है। इस जमीन को विष्णु और चार अन्य लोगों ने वन विभाग को दान में दिया था। वन विभाग ने कैग को दिए गए एक जवाब में पुष्टि की थी कि उन्होंने जो 16 लाख पौधे अपनी भूमि पर लगाए थे वे सरिता अग्रवाल के नाम पर बने 177 एकड़ के फार्म हाउस के भीतर चली गई है। जमीन पर कब्जे और अवैध तरीके से रजिस्ट्री कराने की शिकायत वन विभाग, एसीबी और आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को की गई थी, पर उनके द्वारा कोई जांच नहीं की जा रही है।

बीते 20 अप्रैल को इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई हुई थी। इसके बाद 19 जून की सुनवाई में हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू से दो सप्ताह के भीतर शपथ-पत्र के साथ अपना जवाब प्रस्तुत करने कहा था। चीफ जस्टिस की डबल बेंच में आज हुई सुनवाई में ईओडब्ल्यू का शपथ-पत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें उसने कहा है कि शिकायत दर्ज की गई है और इस मामले की जांच चल रही है।

आज हाईकोर्ट में अनावेदक की तरफ से भी अधिवक्ता ने तर्क रखा कि यह जनहित याचिका नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता किरणमयी नायक, बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। नायक के अधिवक्ता ने कहा कि पिछला चुनाव सन् 2013 में हुआ था, जबकि जलकी विवाद 2015-16 का है। यह बृजमोहन अग्रवाल के निर्वाचन क्षेत्र से भी संबंधित नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि चूंकि इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है, इसलिए याचिका निराकृत की जाती है।

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