पीड़ित परिवार की आजादी में दखल नहीं देने का भी निर्देश

बिलासपुर। देह-व्यापार में धकेली गई नाबालिग की रिपोर्ट पर कार्रवाई करने के बजाय उसे और उसके पिता को पुलिस प्रताड़ित करती रही। नाबालिग को थाने में घंटों बुलाकर परेशान किया गया और पिता के खिलाफ झूठा अपराध दर्ज कर मारपीट की गई, जबकि आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सिरगिट्टी और महिला थाने के थानेदारों को नामजद नोटिस जारी कर 14 फरवरी तक जवाब देने कहा है।

मालूम हो कि अगस्त 2018 में एक नाबालिग लड़की को सेक्स रैकेट में संलिप्त कराने के मामले में लड़की के पिता के साथ जाकर सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने सम्बंधित महिला थाने से लेकर आईजी पुलिस तक शिकायत की थी। नाबालिग की शिकायत थी कि उसे मोहल्ले की एक महिला ने पैसों का लालच देकर देह व्यापार में धकेला और दो युवकों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।  शिकायत पर कोई जांच कार्रवाई तो हुई नहीं, बल्कि आईजी बिलासपुर से मिलने के अगले ही दिन सिरगिट्टी थाने में लड़की के खिलाफ लूट का अपराध दर्ज कर दिया गया। सिरगिट्टी थानेदार ने लड़की की तलाश में  कई पुलिस वालों को लगा दिया। हर दूसरे दिन लड़की के घर में दबिश, मां बाप और बूढ़ी दादी पर पुलिसिया रौब था कि लडक़ी को लाओ। जैसे-तैसे मज़बूर बाप ने अपनी बेटी को पुलिस के गिरफ्त से बचाकर रखा था। आनन-फानन में लड़की की अंतरिम जमानत याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में दाखिल की गई। इस मामले में स्पेशल रिक्वेस्ट पर हाईकोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई की। सात सितम्बर को हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। इधर थानेदार की नजर में 14 साल की लड़की जमानत मिल जाने के बाद भी मोस्टवांटेड बनी हुई थी। लड़की के घर पर लगातार छापा मारी कर परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा था । 10 सितम्बर की शाम को लड़की के पिता को पुलिस थाने लेकर आ गई। उसके साथ जमकर मारपीट की गई और एक दिन की मोहलत देते हुए फरमान सुनाया कि लड़की को हाजिर करो।

पुलिस की पिटाई से जख्मी पिता की रात में ही जिला अस्पताल में जांच कराई गई। डॉक्टर ने लड़की के पिता के शरीर पर आई चोटों का विवरण पर्ची में लिख दिया। 12 सिंतबर को हाईकोर्ट में फिर पिटिशन दाखिल किया गया। कुछ दिन बाद सुनवाई हुई तो कोर्ट ने सवाल किया कि पीड़ित पुलिस के पास क्यों नहीं गया। पीड़ित की ओर से बताया गया कि पुलिस ने ही पिटाई की है तो पुलिस के पास जाने से क्या हासिल होगा। शासन से रिपोर्ट मांगी गई और इसकी गुरुवार को फिर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने दस्तावेजों को पढ़ने के बाद सरकार से सख्ती के साथ पूछा कि नाबालिग लड़की की शिकायत पर की गई कार्रवाई की पूरी रिपोर्ट विस्तार से पेश करें। लड़की के पिता को पीटने के आरोपी थानेदार नितिन उपाध्याय और पीड़िता की रिपोर्ट नहीं लिखने वाली महिला थाना प्रभारी अंजू चेलक को नामजद नोटिस जारी कर जवाब देने का निर्देश कोर्ट ने दिया है। कोर्ट की ओर से निर्देश दिया गया है कि पिटिशन दायर करने वाले लड़की के पिता की आजादी और उसकी दिनचर्या में पुलिस कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।  हाईकोर्ट में एडवोकेट महेन्द्र दुबे और शिशिर दीक्षित ने पीड़ित का पक्ष रखा।

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