छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 13 साल की गर्भवती बालिका का गर्भपात पांच विशेषज्ञों की देख-रेख में सुरक्षित तरीके से कराने की अनुमति दे दी है। अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने कल हाईकोर्ट को बताया था कि बच्ची का देर से गर्भपात कराने या फिर उसे जन्म देने, दोनों ही परिस्थितियों में उसकी जान को खतरा हो सकता है।

धरसींवा की एक 13 वर्षीय बालिका के साथ उसका एक पड़ोसी लगातार दुष्कर्म करता रहा। इसके चलते वह गर्भवती हो गई। परिजनों को जब इसका पता चला तो पिछले दिनों उन्होंने उसका गर्भपात कराने के लिए डॉक्टरों से सम्पर्क किया। डॉक्टरों ने चार माह से अधिक का गर्भ होने के कारण गर्भपात से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट में याचिका दायर की। पिछले दिनों हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने अम्बेडकर हास्पिटल के डॉक्टरों से यह बताने का निर्देश दिया था कि बालिका का सुरक्षित गर्भपात कराया जा सकता है या नहीं। हास्पिटल की ओर से बच्ची की सघन जांच करके बताया गया कि बालिका द्वारा गर्भपात कराने और बच्चे को जन्म देने, दोनों ही परिस्थितियों में जोखिम हो सकता है। इसके बाद सोमवार को हाईकोर्ट में जस्टिस संजय के. अग्रवाल की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने पांच विशेषज्ञों की देख-रेख में सभी जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था कर बालिका का सुरक्षित गर्भपात कराने का निर्देश दिया है। साथ ही उसके स्वस्थ होते तक विशेषज्ञों की देख-रेख में इलाज करने कहा गया है। बालिका से दुष्कर्म के आरोपी को घटना के बाद गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

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