हाईकोर्ट की अनुशंसा के बाद सन् 2011 में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किए गए 17 जजों में से 9 को हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच ने वापस बहाल करने का निर्देश जारी किया है।

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की सिफारिश पर इन जजों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। इस आदेश के ख़िलाफ इन जजों ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं। कई बार मामलों की सुनवाई की तारीख आगे दिए जाने के बाद शनिवार को चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने इनमें से नौ जजों को सेवा में वापस लेने का आदेश दिया है।

सेवानिवृत्त किए गए जजों के मामलों की अलग-अलग सुनवाई हो रही थी। आज इन मामलों की एक साथ सुनवाई हुई। इसके बाद नौ जजों की बहाली का आदेश दिया गया है। सेवानिवृत्त किए गए अधिकांश जज अनुसूचित जाति, जन जाति के हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट स्तर के वे 17 न्यायिक अधिकारी इससे प्रभावित हुए थे, जिनकी सेवा 20 साल  पूरे हो चुके हैं। इनमें से एक जज को विभागीय जांच के बाद हटाया गया था, जबकि बाकी 16 के कामकाज का आकलन किया गया था।  कार्रवाई के खिलाफ नरसिंह उसेंडी समेत अन्य ने हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाई थी।

अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने बताया कि स्पेशल बेंच ने कहा कि इन जजों के ख़िलाफ सर्विस रिकॉर्ड में ऐसी कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं मिली है, जिसके आधार पर इन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देना आवश्यक हो।

वर्मा के अनुसार जिन जजों की बहाली का आदेश स्पेशल बेंच ने दिया है, उनमें नरसिंह उसेंडी, मनसुख केरकेट्टा, तुलाराम चुरेन्द्र, शैलेन्द्र शेन्डे, विजेन्द्र पांडेय, लाखन सिंह व अन्य शामिल हैं।

 

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here