मामले की अगली सुनवाई एक मार्च को, कौशिक की याचिका की चीफ-जस्टिस की डिविजन बेंच में सुनवाई

बिलासपुर। नान घोटाले की एसआईटी जांच के खिलाफ दायर जनहित याचिका के मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एक मार्च तक जवाब दाखिल करने कहा है। इस बीच जांच जारी रहेगी लेकिन याचिकाकर्ता और प्रभावितों के संवैधानिक अधिकारों का हनन नहीं किया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने हाईकोर्ट में प्रदेश सरकार द्वारा नान घोटाले व अन्य कुछ मामलों में एसआईटी के गठन को लेकर आपत्ति जताते  हुए जनहित याचिका दायर की है। दिल्ली से पहुंचे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने याचिकाकर्ता की ओर से इस जांच पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि पहले से ही अलग-अलग एजेंसियों से इन मामलों की जांच कराई जा चुकी है। राज्य सरकार ने इस मामले में आरोपी एक आईएएस अफसर को बचाने के लिए उसी के आवेदन पर एसआईटी का गठन किया है। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी एवं जस्टिस पीपी साहू की डबल बेंच ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की। डिविजन बेंच ने सरकार से पूछा कि जिस प्रकरण की पहले ही जांच हो चुकी है, उसमें एसआईटी की फिर से जांच क्यों जरूरी है। यह किस प्रावधान के अनुसार किया जा रहा है। शासन की ओर से उपस्थित महाधिवक्ता कनक तिवारी ने कहा कि जांच कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही किया जा रहा है।  गुरुवार को यह जनहित याचिका कोर्ट में दायर की गई थी और शुक्रवार को ही सुनवाई के लिए लिया गया है। ऐसी स्थिति में शासन को जवाब देने के लिए याचिका का अध्ययन करना पड़ेगा। शासन ने जवाब के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई एक मार्च निर्धारित की है। इससे पहले शासन को शपथ-पत्र के साथ जवाब दाखिल करना होगा।

याचिकाकर्ता ने जांच पर रोक लगाने की मांग भी कि जिसे कोर्ट ने अस्वीकार करते हुए कहा कि जांच के दायरे में जिन लोगों को लिया जायेगा उनसे पूछताछ के दौरान उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन न हो इस बात का ध्यान रखा जाये।

मालूम हो कि नान घोटाले में फोन टेपिंग, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने और तथ्यों को छुपाने के आरोप में आईपीएस मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह को सरकार निलम्बित कर चुकी है। इसके पहले एक इंस्पेक्टर संजय देवस्थले को भी निलम्बित किया गया था।

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