इंदु चौक चौराहे पर स्थित एटीएम के पास एक बीमार पुरुष लेटा हुआ है, साथ में एक महिला है। वह छह दिन से इसी हाल में है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जब इनको देखकर हाल पूछा तो दिल को भीतर तक हिला देने वाली जानकारी मिली।

दरअसल, यह टीबी का मरीज अविनाश है और साथ बैठी महिला सीमा उसकी पत्नी है। पत्नी सीमा ने बताया कि अविनाश दैनिक वेतन पर नगर निगम में सफाई कर्मचारी था। बीमारी के कारण वह काम नहीं कर सका तो नौकरी से हाथ धोना पड़ा। पिछले साल हालत ज्यादा खराब हुई तो उसे जिला अस्पताल लेकर गई। वहां तबीयत में सुधार नहीं होने पर पिछले 15 अगस्त को उसे सिम्स चिकित्सालय में रेफर कर दिया गया। सिम्स में डॉ. पुनीत भारद्वाज ने उनका इलाज किया। अचानक 6 सितंबर को अविनाश को डिस्चार्ज कर दिया। पत्नी सीमा ने गुहार की उसकी तबीयत ठीक नहीं हुई है, उसे डिस्चार्ज न करें। लेकिन जैसा सीमा ने बताया डॉक्टरों ने कहा कि हमें और भी मरीजों की भर्ती करनी है। बेड खाली करना होगा।

पति का मजदूरी खत्म होने और बीमार पति की देखभाल में लगे रहने के कारण दोनों के पैसे खर्च हो गए और गुजारे के लिए भी पैसे नहीं रहे। पुलिस लाइन में वे किराये से रहते थे, जिसे वे खाली कर चुके थे। सिम्स से निकाले जाने के बाद उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं रहा। अब वे सड़क पर आ गए हैं। इन्दू चौक स्थित एक कॉम्पलेक्स में एटीएम के पास वे 6 दिन से वैसे ही भूखे हालत में पड़े हुए हैं।

हाईकोर्ट अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला, अनुज श्रीवास्तव, नन्द कश्यप आदि ने इस दम्पती की हालत देखी तो कलेक्टर के नाम एक आवेदन लेकर वे वहां अतिरिक्त कलेक्टर बीएस उइके से मिले। उन्हें सारी जानकारी दी। उइके ने उन्हें आश्वस्त किया कि इनको हरसंभव मदद की जाएगी।

 

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