करगीरोड(कोटा)। अचानकमार अभ्यारण्य के सिहावल, कटंगी,और भैंसाघाट क्षेत्रों में इमारती लकड़ियों की अंधाधुंध अवैध कटाई हो रही है। वन अधिकारियों की नाक के नीचे प्रतिबंधित क्षेत्रों में चोरों तस्करों की बेखौफ आवाजाही हो रही है।

मालूम हो कि कोटा-लोरमी मार्ग पर अचानकमार-अभ्यारण्य में एटीआर के रेंजर, डिप्टी-रेंजर, बीट गार्ड, सहित तमाम एटीआर के कर्मचारी तैनात हैं। एटीआर मुंगेली जिला में आता है, पर एटीआर का कार्यकाल कोटा में भी है,जहां डीएफओ का भी आना जाना रहता है। इसके बावजूद ऐसी स्थिति संबंधित अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।

डिप्टी रेंजर भरतलाल साहू से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने अवैध कटाई के बारे में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही, उल्टे यह सवाल किया कि आप लोग इस प्रतिबंधित इलाके में कैसे घुस गये? साहू के बारे में पता चला कि अधिकतर समय वे अपने गांव में ही रहते हैं और वहीं से आना-जाना करते हैं। ड्यूटी से अक्सर गायब होते हैं। सिंहावल जोन की देखभाल उसे करनी है लेकिन वे अक्सर वहां से नदारत होते हैं।

यही सवाल जब रेंजर संजय नाथ से किया गया तो उन्होंने भी अवैध कटाई की जानकारी होने से इंकार किया। नीचे के कर्मचारियों से पता करने की बात उन्होंने की। हालांकि उन्होंने उचित कार्रवाई करने की बात भी कही।

एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे अधिकारी-चौबे

सामाजिक कार्यकर्ता हरीश चौबे ने कहा कि वन अधिकारी जंगल की सुरक्षा करने के बजाय उसे नष्ट करने पर तुले हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति और अवैध कटाई करने वालों को संरक्षण देने में लगे हुए हैं। खुद की जवाबदेही स्वीकार नहीं करते, एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हैं। बफर जोन, कोर जोन पर उनकी निगरानी का यह हाल है कि कोई भी प्रतिबंधित क्षेत्र में घुस जाए उन्हें पता नहीं चलता। यदि ऐसी लापरवाही चलती रही तो अचानकमार अभयारण्य में न तो वन बचेगा, न वन्यप्राणी और न ही वनवासी। उच्चाधिकारियों को इस पर तुरंत संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए।

 

 

 

 

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