गणेश उत्सव के पर्व पर आज जगह-जगह पंडालों में गणपति जी विराजमान हुए। दूसरी ओर रेलवे परिक्षेत्र स्थित प्राचीन सुमुख गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के साथ धार्मिक अनुष्ठान आज सुबह 5 बजे से ही प्रारंभ हो गया।

सुबह वैदिक मंत्रों के साथ गणपति जी का अभिषेक हुआ और उनका भव्य श्रृंगार किया गया। इस बीच सहस्त्रनाम पाठ और महादीप आराधना हुई। शाम साढ़े 4 बजे पुनः अभिषेक हुआ। सर्वप्रथम गणेश जी की प्रतिमा पर तिली के तेल और चंदन से लेप लगाया गया। उसके बाद पंचामृत और दूध, दही, फलों के रसों से स्नान कराया गया। कलश के अभिषेक से पूजा सम्पन्न हुई।

अभिषेक के बाद गणेश जी को अलंकार वस्त्र और चांदी के मुकुट के साथ फूलों से सजाया गया। 1008 अष्टोत्तर फूलों के साथ अर्चना की गई। मंदिर के सदस्य प्रो. आनंद ने बताया कि मुख्य रूप से तीन दिन 13 के बाद अब 14, 15 सितंबर को विशेष पूजा होगी। तीनों दिन प्रातः काल और सायंकाल पूजा होगी। अंतिम दिन की पूजा विशेष तरीके से होगी इस दिन रुद्राभिषेक के बाद कलश यात्रा निकाली जाएगी।

दक्षिण भारत की पद्धति- वैदिक विधि विधान से होती है पूजा

मंदिर के सदस्य महादेवन ने बताया कि सुमुख गणेश मंदिर में साउथ की पूजा-पद्धति और वैदिक विधि-विधानों के आधार पर पूजा होती है। सभी स्थानों पर आज गणपति जी विराजमान होंगे और सभी जगह अच्छी पूजा होगी। अन्य जगहों की पूजा पद्धति और सुमुख मंदिर की पूजा में केवल इतना अंतर है कि यहां साउथ के रीति- रिवाजों और वेद शास्त्र के अनुसार विशेष पूजा होती है।

50 साल से भी अधिक पुराना है मंदिर

सुमुख गणेश मंदिर के वरिष्ठ सदस्य बी. कृष्णकुमार ने बताया कि मंदिर की स्थापना आज से करीब 50 साल पहले 1964 में हुई थी। जब यहां रेलवे में काम करने मद्रास से लोग आए थे। उन्होंने छोटे से गणेश की प्रतिमा मंदिर में स्थापित कर मंदिर की शुरुआत की थी। यह प्रतिमा तंजावूर से लाई गई थी। तब से लेकर आज तक वैदिक विधि विधान से गणपति जी का अभिषेक कर धूम-धाम से गणेश उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में मंदिर के प्रधान पंडित आर के आईए शास्त्री हैं।

15 को रुद्राभिषेक के बाद निकलेगी शोभा यात्रा

आज से प्रारंभ हुई यह पूजा प्रतिदिन सहस्त्र अभिषेक, सहस्रनामा अर्चना के साथ होगी। प्रतिदिन विशेष तरीके से अभिषेक किया जाएगा। लेकिन 15 तारीख को अंतिम दिन विशेष पूजा होगी। इस दिन रुद्राभिषेक होगा। इसमें 11 पंडित एक साथ मिलकर सहस्त्र पाठ और जप करेंगे। गुप्त तरीके से पाठ करने के बाद जो जल होता है, उससे गणपति जी को अभिषेक किया जाता है। इस दिन गणेश जी मंदिर के चारों ओर परिक्रमा करते हैं। चंदन लेपन अलंकार किया जाएगा। इसके बाद मूषक वाहन में शोभा यात्रा निकाली जाएगी। उसके बाद प्रसाद वितरण किया जाएगा। शोभा यात्रा में प्रतिवर्ष अधिक संख्या में भक्त शामिल होते हैं।

सेनानिवृत अधिकारी कर्मचारी मंदिर में करते हैं सेवा

बी. कृष्णकुमार ने बताया कि सुमुख गणेश मंदिर में सेनानिवृत अधिकारी व कर्मचारी सेवा दे रहें हैं। कुछ अधिकारी कर्मचारी ऐसे भी हैं जो दिनभर ड्यूटी करते हैं लेकिन उसके बाद भी समय निकालकर मंदिर में सेवा करने आते हैं।

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