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6 मार्च से कटनी की दूरी घटेगी, मिलेगी बड़ी सुविधाएं, अनूपपुर तक बन गई 110 किमी दोहरी रेल लाइन

पेंड्रारोड बिलासपुर के बीच खोडरी में रेलवे लाइन की नान इंटरलॉकिंग का कार्य।

बिलासपुर। चार सौ से ज्यादा कुशल श्रमिक और दर्जन भर से अधिक तकनीकी दक्षता वाले इंजीनियर और उनके सहयोगी। नई बनी रेल लाइन को उन्होंने ठीक एलाइनमेंट पर बिठाकर आवागमन के लिए तैयार कर लिया और उस पर आज पहली बार एक मालगाड़ी भी गुजरी।

खोडरी में चल रहे इंटरलॉकिंग का काम पूरा होते ही अनूपपुर और सलखारोड के बीच 600 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही 111 किलोमीटर की रेल लाइन का दोहरीकरण काम पूरा हो जायेगा।

इस समय अंतिम चरण में खोंगसरा और पेन्ड्रारोड के बीच 16 किलोमीटर काम शेष रह गया था जो अब आखिरी चरण में है। तय समय 6 मार्च को यह दोहरीकरण का काम पूरा कर लिया जायेगा तथा इस मार्ग पर अधिक ट्रेनें दौड़ सकेंगी। बिलासपुर से कटनी तक का फासला डेढ़ घंटे कम हो जायेगा, क्योंकि ट्रेनों के लिए पटरियों की संख्या बढ़ जायेगी। रेलवे को हर साल करीब 25 करोड़ रुपये की बचत होगी, क्योंकि सतपुड़ा की पहाड़ियों पर हर समय इन स्टेशनों पर सात इंजन तैनात रखने पड़ते हैं। आगे इन इंजनों की जरूरत नहीं पड़ेगी।

यात्री ट्रेनों का आवागमन पिछले कई महीनों से इंटरलॉकिंग और रेल लाइन दोहरीकरण के नाम पर बाधित है। यह नौबत क्यों आती है यह समझने के लिए रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारियों के साथ खोडरी जैसी जगहों पर चल रहे काम को देखना जरूरी लगा।

वहां पहुंचकर यह साफ हुआ कि नई पटरी बिछाना और उसे आवागमन के लिए तैयार करना भारी-भरकम काम तो है पर उसे सूक्ष्म निगरानी और शून्य त्रुटि के साथ करना जरूरी है। खोडरी में मिले अतिरिक्त मंडल रेल प्रबंधक सौरभ बंदोपाध्याय और रेल विकास निगम लिमिटेड के मुख्य परियोजना प्रबंधक आर एस राजपाल सिंह सहित सिग्नल एंड टेलिकॉम, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल के अधिकारियों ने रेल लाइन तैयार करने और उसे आवागमन के लिए दुरुस्त करने की पूरी प्रक्रिया समझाई।

यहां चार सौ ज्यादा मजदूर और उनका तकनीकी दल मौजूद था। कुछ बोल्डर को सही सतह पर बिठा रहे थे। स्लीपर और पटरियों में सामंजस्य बिठा रहे थे।50 से 60 टन वजनी पटरी को भारी मशीनों के जरिये सही जगह पर उतारा जा रहा था। एक और खास तरह की लिफ्ट लगी इंजन थी, जो रेल लाइन के लिए बिजली तार खींच रही थी। पटरियों का इलाइनमेंट ही नहीं, इंजन पर पटरी पर दौड़े तो ऊपर बिजली तार का इलाइनमेंट भी सही रखना जरूरी है, इस पर काफी मशक्कत हो रही थी।

दो पटरियों को सही कोण से जोड़ने-बिठाने का काम हो रहा था, कटर से चिंगारियां निकल रही थीं। ट्रैफिक कंट्रोल यूनिट ले जाकर अधिकारियों ने समझाया कि इंटरलॉकिंग के लिए प्वाइंट भी नई पटरी जोड़े जाने के बाद बदल जाती है। यह भी मालूम हुआ कि मैनुअली कोई गड़बड़ी हुई तो कम्प्यूटर आगाह कर देता है और ऐसा कभी नहीं होता कि एक ही पटरी पर दो ट्रेनों को हरा सिग्नल मिल जाये। इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर लेन भी है।

बिलासपुर अनूपपुर के रेल खंड पर दोहरीकरण और आधुनिकीकरण से कई और फायदे मिलेंगे। इस मार्ग के महत्वपूर्ण स्टेशन पेन्ड्रारोड में लम्बी ट्रेनों, जिनमें 24 कोच होते थे,  के रुकने पर यात्रियों को दिक्कत होती थी। अब प्लेटफॉर्म दो और तीन की लम्बाई बढ़ी हुई मिलेगी। इससे जम्मूतवी एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति सुपर फास्ट आदि के ठहराव में कोई परेशानी नहीं होगी। यहां अब चार की जगह पांच प्लेटफॉर्म मिल जायेंगे।

कई छोटे स्टेशनों में प्लेटफॉर्म की संख्या भी बढ़ी हुई मिलेगी। सारबहरा में एक की जगह दो और खोडरी में तीन की जगह चार प्लेटफॉर्म होंगे।

रेल विकास निगम लिमिटेड, रेलवे का ही एक उपक्रम है, जिसकी विश्वसनीयता रेलवे के लिए प्रामाणिक है।

 

 

 

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