कांग्रेस हेलिकॉप्टर में घूम रहे गुरु बालदास की एक भी सभा नहीं करा पाई, कई ने खुलकर डॉ. जोगी का साथ दिया

राजेश अग्रवाल/ जिले की बाकी सीटों के साथ कोटा विधानसभा के मतदाता भी प्रत्याशियों की जीत-हार का फैसला कर चुके हैं और नतीजा ईवीएम के भीतर कैद है। कोटा में कांग्रेस को आज तक पराजय नहीं मिली, भाजपा और दूसरे विरोधी दल कई बार तो बहुत कम फासले से हार चुके हैं। कुछ दशकों से यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर रही है, पर इस बार त्रिकोणीय संघर्ष होने से भाजपा को अपनी जीत पक्की लग रही है। लेकिन प्रचार अभियान के दौरान मची तोड़-फोड़ पर गौर करें तो यह सीधा-सादा समीकरण नहीं रह गया है। भाजपा के कई स्थानीय नेताओं के खिलाफ भितरघात की शिकायत की गई है। अब चर्चा यह निकल पड़ी है कि क्या कांग्रेस फिर इस सीट से हमेशा की तरह जीत जाएगी या फिर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस की प्रत्याशी डॉ. रेणु जोगी को फिर प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा।
कोटा में गुरु बालदास की सभा रद्द होने के बाद हेलीपैड के पास का दृश्य।

कोटा प्रत्याशी काशीराम साहू और संगठन के दूसरे पदाधिकारियों की शिकायत को सही मानकर चला जाए तो वहां के नगर पंचायत अध्यक्ष मुरारी लाल गुप्ता, जनपद पंचायत सभापति अरविन्द जायसवाल, राकेश गुप्ता, पूर्व जनपद अध्यक्ष साधेलाल भारद्वाज, एल्डरमेन अरुप मित्रा, राकेश पांडेय (बेलगहना), युवा मोर्चा के जिला मंत्री राजू राठौर  और अनुसूचित जाति मोर्चा के महामंत्री केशव प्रसाद इंदुआ ने पार्टी के विरुद्ध काम किया है। साहू और चुनाव संचालकों ने इन्हें पार्टी से बाहर करने की मांग कर दी है। ऐसी स्थिति में जब कांग्रेस के वोटों के बंटने की संभावना दिख रही थी आखिर भाजपा में ऐसी नौबत क्यों आई, यह सवाल खड़ा हो गया है। जिनके विरुद्ध शिकायत है उनमें से कुछ का कहना है कि हमें पूछा नहीं गया, काम नहीं बताया गया, इसलिए कहीं नहीं गए। भाजपा प्रत्याशी काशीराम साहू का कहना है कि पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं ने पूरे मन से काम किया है। लोग इस बार भाजपा को लाना चाहते हैं, हम जीतेंगे। इस दावे के बावजूद खुद प्रत्याशी द्वारा की गई शिकायत को उनकी पार्टी शायद ही कम गंभीरता से ले।

प्रदेश में भाजपा 65 प्लस का लक्ष्य लेकर मैदान में उतरी थी, लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि एन्टीइंकमबेसी के कारण सरकार बनाने के लिए उसने एक-एक सीट पर कड़ी मशक्कत की है। जोगी की उपस्थिति और उनको मिले बसपा के साथ ने सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा के माथे पर भी शिकन ला दी। प्रदेश की कई सीटों पर पूर्वानुमान धराशायी हो सकते हैं। प्रदेश की कई सीटों पर भाजपा से अलग हुए मजबूत कार्यकर्ताओं ने जोगी की पार्टी का दामन पकड़ लिया और वे चुनाव मैदान में उतर भी गए।

कोटा के भाजपा प्रत्याशी ने अपनी शिकायत में यह नहीं बताया है कि वे जिन लोगों को पार्टी से निष्कासित करने की मांग कर रहे हैं, उन्होंने किसका साथ दिया? इसलिए, इस बारे में सिर्फ अटकलें ही लगाई जा सकती है। किसी निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल नहीं है यदि यह ध्यान में रखा जाए कि यहां से गहरी राजनीतिक समझ-बूझ रखने वाले छजकां सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी, तीन बार विधायक रह चुकीं डॉ. रेणु जोगी चुनाव मैदान में उतरीं। जोगी की रणनीति का अनुमान जल्दी नहीं लगाया जा सकता और वे आसानी से हार मानने वाले नेताओं में भी नहीं हैं।

प्रचार अभियान के दौरान कांग्रेस के साथ भी एक दिलचस्प वाकया हुआ। प्रचार खत्म होने के एक दिन पहले कोटा से 12 किलोमीटर दूर सतनामी समाज के गुरु, गुरु बालदास की सभा कांग्रेस के पक्ष में रखी गई थी। पांच हजार लोगों के पहुंचने की उम्मीद कर तैयारी की गई थी लेकिन गुरु बालदास का हेलिकाप्टर उतर नहीं पाया। सभा में मौजूद कांग्रेस समर्थकों ने आरोप लगाया कि यह उनके खिलाफ प्रशासन की साजिश है ताकि कांग्रेस के वोट बिगड़ें। प्रशासन ने सिग्नल नहीं मिलने का बहाना बनाया है। गुरु बालदास को पिछले चुनाव में भाजपा के साथ समझा जाता था, इस बार उन्होंने खुलकर कांग्रेस का साथ देने की घोषणा की है। बताया गया कि कोटा-लोरमी क्षेत्र में गुरु बालदास की चार सभाएं होने वाली थीं लेकिन एक भी नहीं हो पाईं।

कांग्रेस प्रत्याशी विभोर सिंह ने यह तो स्वीकार किया कि कई पार्टी नेता उनके साथ नहीं आए और डॉ. जोगी के प्रचार में लग गए। उन्हें गावों में पंजा निशान की पैठ और अपने स्थानीय उम्मीदवार होने के कारण जीत पर भरोसा है। संभवतः वे रायपुर में होने वाली प्रत्याशियों की बैठक में पार्टी के खिलाफ काम करने वालों के बारे में बताएं।

इन तमाम परिस्थितियों में कोटा का परिणाम जो हो लेकिन फिलहाल तो इस सीट पर हुआ घमासान चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

 

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