सीयू में जीव विज्ञान में उदीयमान शोध पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय) की जीव विज्ञान अध्ययनशाला के प्राणी शास्त्र विभाग द्वारा ‘जीव विज्ञान में उदीयमान शोध‘ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन रविवार 28 अक्टूबर को रजत जयंती सभागार में किया गया।

इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रो. शिव प्रसाद कोस्टा, वरिष्ठ अन्तरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व कुलपति रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर, विशिष्ट अतिथि प्रो. अखिलेश पाण्डेय, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश प्राइवेट यूनिवर्सिटी रेगुलेटरी कमीशन, जबलपुर, विशिष्ट अतिथि प्रो. विभूति राय, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सेवानिवृत्त आचार्य जीव विज्ञान अध्ययनशाला, पं. रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट अतिथि प्रो. फ्रेडरिक विलियम्स, टोक्सिकोलोगिस्ट, यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो, ओहियो, यूएसए एवं प्रो. सोहन ज्हीता, अन्तरिक्ष शास्त्र वैज्ञानिक, कॉपर बेल्ट यूनिवर्सिटी, कित्वे, जाम्बिया एवं अध्यक्ष लूका प्रोजेक्ट, लंदन, यू.के. उपस्थित थे। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अंजिला गुप्ता ने की।

स्वागत संबोधन देते हुए जीव विज्ञान अध्ययनशाला की अधिष्ठाता एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. रेणु भट्ट ने कहा कि इस संगोष्ठी में वैज्ञानिक के साथ संवाद से युवा शोधार्थियों को प्रेरणा मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. रोहित सेठ, सह-प्राध्यापक, प्राणि शास्त्र विभाग ने बताया कि संगोष्ठी में मुख्य छह विषय-वस्तु रखी गई हैं। इनमें- एस्ट्रोबायोलॉजी एंड मेडिसिन, बायोमेडिकल एंड फॉर्मेस्यूटिकल रिसर्च, एनवायरमेंटल टॉक्सिकोलॉजी एंव ऑक्यूपेशनल हेल्थ, बायोटेक्नालॉजी, माइक्रोबायोलॉजी एंड नैनो टेक्नालॉजी, न्यूरो साइंस, एंडोक्रोनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म एवं बायोडायवर्सिटी एंड कंसर्वेशन शामिल हैं। संगोष्ठी में 300 शोध सारांश प्राप्त हुए हैं, जिनमें 150 मौखिक प्रस्तुतियां एवं 150 पोस्टर प्रस्तुतियां होंगी। मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियों के लिए यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी प्रदान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त सैटेलाइट सिम्पोसियम का आयोजन व डोप टेस्टिंग, वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी एवं जीव विज्ञान में प्रयोगों के लिए जानवारों के अलावा अन्य विकल्पों पर विचार करने हेतु तीन कार्यशालाओँ का आयोजन किया जाएगा।

मुख्य अतिथि प्रो. कोस्टा ने कहा कि मंगल पर पहुंचने के साथ ही भारत विश्व में अपने प्रथम प्रयास में ही सफल होने वाला पहला देश बन गया है जो गर्व की बात है। भारतीय वैज्ञानिकों ने दुनिया में मंगल मिशन की असफलताओं का बारिकी से विश्लेषण कर कमियों एवं आवश्यक बदलावों के साथ प्रथम प्रयास में मंगल मिशन में सफलता हासिल की। मंगल मिशन को पूरा करने वाली टीम युवा वैज्ञानिकों की थी।

उन्होंने युवा शोधार्थियों से नवीन प्रयोग करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शोध में नवाचार का बहुत महत्व है जो शोध को नये स्तर पर पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि यह संगोष्ठी युवा शोधार्थियों के लिए सीखने और समझने का अच्छा अवसर है। अपने उद्बोधन में उन्होंने उनके एवं उनकी टीम के द्वारा किये जा रहे विभिन्न शोधों के विषय में जानकारी प्रदान की। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि जो शोध के माध्यम से आप समाज को बेहतर समाधान उपलब्ध कराएं।

कुलपति महोदया प्रो. गुप्ता ने कहा कि जब वे रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य कर रही थीं उस वक्त प्रो. कोस्टा वहां के कुलपति थे। यह गौरव एवं हर्ष का पल है। हमारे ऋषि-मुनियों की भांति गुणों का सम्मिश्रण प्रो. कोस्टा में आपको दिखेगा। प्रो गुप्ता ने कहा कि युवा शोधार्थियों के लिए यह संगोष्ठी सुनहरा अवसर है। शोधार्थी अपने शोध के परिणामों को साझा करें। इस संगोष्ठी में दुनिया के प्रख्यात वैज्ञानिक सैटेलाइट सिम्पोजियम के माध्यम से छह थीमों पर अपने व्याख्यान देंगे जो निश्चित रूप से शोधार्थियों के लिए फायदेमंद होगा। संगोष्ठी में 300 से अधिक शोध सारांश प्राप्त हुए हैं जो हर्ष का विषय है। युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से युवा शोध छात्रों को प्रेरणा मिलेगी।

इसके पूर्व विशिष्ट अतिथि प्रो. अखिलेश पाण्डेय ने कहा कि कुलपति प्रो. गुप्ता प्रशासनिक, शिक्षण एवं शोध में प्रबुद्ध हैं। उन्होंने भारतीय पुरातन परंपरा, समृद्ध इतिहास एवं आध्यात्म की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्राचीन एवं नवीन इतिहास में न्यूरो सांइस, जीन क्लोनिग, नैनो सांइस, बायो सांइस, कैंसर, डायबिटीज, कुपोषण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आदि विषयों पर समग्र रूप से चर्चा की। उन्होंने कहा कि शोध यूनिडॉरेक्शनल नहीं होना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि प्रो. विभूति राय ने कहा कि शोध कार्य को समय में नहीं बांधा जा सकता बल्कि यह सतत् चलने वाली प्रक्रिया है। मैं अभी भी विश्वविद्यालय शिक्षण कार्य के लिए जाता हूं।

अंतरराष्ट्रीय विशिष्ट अतिथि प्रो. फ्रेडरिक विलियम्स अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए आयोजकों एवं विश्वव्यिालय को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। आमंत्रण एवं अनुभव साझा करने के लिए सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।

प्रो. सोहन ज्हीता ने कहा कि मैं विभिन्न देशों में घूमा हूं। भारत से मेरे परिवार का संबंध है। मेरे माता-पिता 1950 के दशक में यूके जाकर बस गये थे। भारत में अधोसंचरना एवं अंतरिक्ष शोध में लगातार विकास हो रहा है। मंगल मिशन जैसे  शोध युवा शोधार्थियों को प्रेरणा देते हैं । पश्चिम भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है भारत में निवेश की संभावनाएं बढ़ रही है। हालांकि ब्रेन-ड्रेन की चुनौती भी बड़ी है। शोधार्थी उच्च शिक्षा के लिए विदेशों की तरफ देखते हैं। इस ओर नीति निर्धारकों को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय एक दूसरे के साथ मिलकर शोध के क्षेत्र में कार्य करें।

कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि इस आयोजन से नवीन शोध के लिए युवा शोधार्थियों को प्रेरणा मिलेगी। इस अवसर पर मंचस्थ अतिथियों के द्वारा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का सोविनियर एवं शोध सारांश पुस्तक का विमोचन किया गया। मंचस्थ मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथिययों का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मान किया गया।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मोनिका भदौरिया, सह-प्राध्यापक, प्राणि शास्त्र विभाग ने किया। संचालन डॉ. अर्चना कुमारी, सहायक प्राध्यापक, आंग्ल एवं विदेशी भाषा विभाग ने किया। इस अवसर पर विभिन्न अध्ययनशालाओँ के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय प्रतिभागी, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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