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गीता जयंती पर निकली शोभायात्रा, इस्कॉन से जुड़े कृष्ण-भक्त उत्साह से हुए शामिल

गीता जयंती पर इस्कॉन की शोभायात्रा।

बिलासपुर। गीता जयंती के अवसर पर 4 दिसंबर को इस्कॉन बिलासपुर की ओर से देवकीनंदन चौक से खाटू श्याम मंदिर तक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इसमें इस्कॉन के सदस्य बड़ी संख्या में शामिल हुए।

इस मौके पर आयोजित समारोह में जुगल किशोर दास ने गीता के बारे में विचार रखते हुए कहा कि हिन्दू धर्म के सबसे बड़े ग्रन्थ के जन्म दिवस को गीता जयंती कहा जाता हैं। भगवत गीता का हिन्दू समाज में सबसे ऊपर स्थान माना जाता है। भगवद् गीता स्वयं श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन अपने सगों को दुश्मन के रूप में सामने देख विचलित हो जाता है। जब उसने शस्त्र उठाने से इंकार दिया तब स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मनुष्य धर्म एवम कर्म का उपदेश दिया। यही उपदेश गीता में लिखा हुआ है, जिसमे मनुष्य जाति के सभी धर्मों एवं कर्मों का समावेश है।

उन्होंने कहा कि गीता केवल हिन्दू सभ्यता को मार्गदर्शन नहीं देती बल्कि यह जातिवाद से कहीं ऊपर मानवता का ज्ञान देती है। एक मनुष्य रूप में अर्जुन के मन में उठने वाले सभी प्रश्नों का उत्तर श्री कृष्ण ने दिया, उसी का विस्तार भगवत गीता में समाहित है।  यही आज मनुष्य जाति को उसके कर्तव्य एवं अधिकार का बोध कराता है।

हिन्दू धर्म ही एक ऐसा धर्म हैं जिसमे किसी ग्रन्थ की जयंती मनाई जाती है। इसका उद्देश्य मनुष्य में गीता के महत्व को जगाये रखना है। कलयुग में गीता ही एक ऐसा ग्रन्थ हैं जो मनुष्य को सही गलत का बोध करा सकता है। इस अवसर पर अदिकेशव दास, राधारास बिहारी प्रभु , महात्मा प्रिय दास प्रभु, अजय तिवारी, जीव गोस्वामी दास व अन्य उपास्थित थे।

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