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काव्य भारती परिवार ने प्रथम पुण्यतिथि पर मनीषदत्त को दी संगीतमय श्रद्धांजलि, मनाया वसंतोत्सव

काव्य भारती परिवार का मनीष दत्त की स्मृति में कार्यक्रम।

बिलासपुर। काव्य भारती के निदेशक जाने माने रंगकर्मी व संगीत निर्देशक मनीष दत्त की प्रथम पुण्य तिथि पर काव्य भारती परिवार व नगर के प्रबुद्ध साहित्यकारों ने उन्हें भाव पूर्ण स्मरण कर श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया । संस्था ने उनके निर्देशन में रचे निराला, बच्चन, नीरज,सुकांत भट्टाचार्य, कबीर दास, महादेवी वर्मा, सुभद्रा कुमारी चौहान, शिवमंगल सिंह सुमन, रमाकांत अवस्थी, सियाराम सक्सेना, कन्हैया लाल मिश्रा, डॉ अजय पाठक के गीतों की संगीतमय प्रस्तुति भी दी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज भाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक ने कहा कि काव्य भारती छत्तीसगढ़ की ऐसी पहली संस्था है जिसने काव्य को संगीत के माध्यम से जनप्रिय बनाया। इसके प्रवर्तक व संस्थापक मनीष दत्त ने बिलासपुर को कलात्मक उत्कर्ष देकर अन्तर्राष्ट्रीय स्पर्श दिया उनका अवदान अविस्मरणीय है। डॉ विजय सिन्हा ने मनीष दत्त के व्यक्तित्व-कृतित्व का विवेचना करते हुये कहा काव्य भारती के इतिहास और संघर्ष के बाद उसकी पुनर्स्थापना की चर्चा की व दादा की ऋषि पुनीत पावन परम्परा को प्रणाम किया ।

काव्य भारती के अध्यक्ष पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश बाजपेयी ने काव्य भारती के सपनों को साकार करने की आगामी योजनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारी दी और बताया कि गत वर्ष कारोना काल में भी छह आयोजन उनकी स्मृति में किये गये। आभार कार्यालय सचिव गौरव गुलहरे ने व्यक्त किया ।

इसके पहले मां सरस्वती मूर्ति की स्थापना पूजन, हवन आरती उपरांत दादा मनीष दत्त की प्रतिमा पर पुष्पांजलि टीप प्रज्वलित की गई। संस्था के सदस्यों ने आराधना गीत से शुरुआत कर देश व नगर के मूर्द्धन्य कवियों की रचना सखी बसंत आया, बसंत दूत कुंज कुंज, प्रिया आया बसंत फूल रसके झरे, मेरा जीवन बिखर गया है, तुम चुन लो कंचन बन जाऊं, तुम गा दो मेरा जीवन, हमन है इश्क मस्ताना, क्या पूजन क्या अड़चन रे, वीरों का कैसा हो बसंत, ताल तलैय्या, चंदन हो तो महके गा ही ,बहुत दिनों के बाद, इस समर में कौन ताण्डव कर गया है, बंगला, छत्तीसगढ़ी, पाठ्यपुस्तक की अनेक रचनाओं की प्रस्तुति दी। इनमें बच्चों से लेकर 85 वर्षीय कलाकार कुमारी सम्भवी पागे, सुप्रिया भारतीयन, रत्ना मिश्रा, किरण बाजपेयी, निवेदिता सरकार, अजीता मिश्रा, एस भारतीयन, टी श्रीधरन, गौरव गुलहरे व अचिंन्य घोष शामिल थे। दादा मनीष दत्त ने निधन के पहले शाम को अंतिम गीत अलविदा वो गीत मेरे,अलविदा वो मीत मेरे का अभ्यास शिष्यों कराया था। उनके इसी संगीत रचना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

कार्यक्रम में गिरधर शर्मा, अजय पाठक, राजेन्द्र मौर्य, सनत तिवारी, डॉ प्रभाकर पांडेय, बसन्ती वर्मा, राजेश अग्रवाल, विनोद वर्मा, अनुपम पाण्डेय, सोम दत्त शर्मा, सुमित गुप्ता, अखिलेश बाजपेयी, अजय श्रीवास्तव, अभय नारायण राय, बसंत शर्मा, चन्द्र प्रकाश देवरस, मंगला ताई देवरस, भरत चंदानी, प्रभात मिश्रा, भूनेश्वर चंद्राकर, सविता कुशवाहा, शिल्पा भगत, पल्लव शुक्ला, राघवेंद्र धर दीवान, भारती भट्टाचार्य, एम डी दीवान, शिरीष पांगे, डॉ मंत राम यादव, महेश श्रीवास, सुधाकर बिबे, मनोज वैष्णव, सुनील दत्त मिश्रा, संधिया शुक्ला, केशव बाजपेयी, चन्द्र शेखर बाजपेयी, अनिल गढ़ेवाल, प्रदीप नारंग, मनहरन पुरी सहित बड़ी संख्या में काव्य भारती परिवार व स्व. मनीष दत्त से जुड़े लोग उपस्थित थे।

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