लोकबंद जलाशय और घोंघा नहर में मोहतरा के किसानों की जमीन डूबने के बाद आवंटित जमीन पर वन विभाग उन्हें खेती नहीं करने दे रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह जमीन राजस्व विभाग की नहीं है।  सोमवार जनदर्शन में उन्होने कलेक्टर से मुलाकात कर अपनी समस्या बताते हुए खेती के लिए जमीन मांगी।

कोटा ब्लाक स्थित मोहतरा के 28 गरीब किसानों को बांध व नहर में खेती की जमीन चले जाने के बाद जोगीपुर में 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत राजस्व विभाग के अधिकारी और कलेक्टर की उपस्थिति में विधायक ताहिर भाई ने पट्टा पर्ची सहित जमीन दी थी। एक किसान को डेढ़ एकड़ खेती की जमीन मिली। किसानों ने  वर्षों तक इस जमीन पर खेती की। अब वन विभाग वाले कह रहे हैं कि यह उनकी जमीन है। जब तक राजस्व और वन विभाग का फैसला नहीं हो जाता, तब तक आप इस जमीन पर खेती नहीं कर सकते। किसानों का कहना है कि आज 35 साल हो गए किसी के द्वारा कोई निर्णय नहीं दिया जा रहा है। किसान तहसीलदार, कलेक्टर जनदर्शन, वनमंडल के रेंजर, ग्राम सुराज व मुख्यमंत्री तक गए लेकिन अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं किया गया है। खेती करने किसान भटक रहे हैं।

इस मामले में कोटा तहसीलदार का कहना है कि किसानो की जमीन राजस्व और वन विभाग दोनों के नक्शे में है, इसलिए वह यह जमीन किसानों को नहीं दे पा रहीं है। किसान कोई दूसरी जमीन बताएं हम उसका पट्टा और पर्ची दे देंगे। वह जमीन झाड़ का जंगल है, जो पहले सौ एकड़ था, लकिन अब सिर्फ 52 एकड़ बची है। इससे परेशान मोहतरा के किसान एक बार फिर कलेक्टोरेट पहुंचे और जनदर्शन में कलेक्टर को अपनी समस्याएं बताई। किसानों का कहना है कि कलेक्टर ने उनका आवेदन रख उन्हें पावती दी है। अब देखना यह है कि उनकी समस्या का समाधान कब होता है। इस दौरान ज्ञापन सौंपने शंकर मानिकपुरी, रत्ना बाई कौशिक, धन्नू लाल, शिवनाथ, राधेश्याम, धनीराम समेत 28 किसान मौजूद रहे।

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