कई पाठ्यक्रमों में नहीं मिले स्टूडेंट.. मजबूरन, प्रवेश की बढ़ा दी गई तारीखें

1983 में शुरू हुए गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय बना दिया गया। यह आज पूरे राज्य का एक मात्र केंद्रीय विश्वविधालय है। यह है तो पूरे राज्य के लिए प्रतिष्ठा की बात पर हालत यह है कि प्रोफेसरो, स्टाफ और संचालन पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यह आज छात्रों की कमी से जूझ रहा है।

विश्वविद्यालय में  जुलाई माह में दाखिला लिया जाता है जिसके लिए विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा (VET) का आयोजन किया जाता है। मगर इस सत्र में छात्रों का रुझान कम नजर आया है। विश्वविद्यालय के कई विभागों में आवेदन इतने कम आए कि उन विभागों के लिए प्रवेश परीक्षा भी नहीं ली गयी। आवेदकों को मेरिट के आधार पर दाखिला दे दिया गया। इसके बावजूद विश्वविद्यालय में अनेक पाठ्यक्रमों की सीटें रिक्त रह गई है । हैरानी यह है कि प्रवेश के लिए हुई परीक्षा में यहां रिकॉर्ड आवेदन आए थे।

ओपन काउंसलिंग शुरू की विश्वविद्यालय ने

विश्वविद्यालय में काउंसलिंग के आधार पर छात्रों को 15 जुलाई तक प्रवेश दिया गया ,मगर स्नातकोत्तर और स्नातक  दोनों ही में कई सीटें खाली हैं। सीटें भरने के लिए अब स्नातकोत्तर में  विभागों द्वारा ऑफलाइन फार्म भी भरने की छूट दी गई है और प्रवेश की तारीख 23 जुलाई तक बढ़ा दी गई है। 24 को इनकी काउंसलिंग होगी,तब पता चलेगा कि सभी सीटें भरी या नहीं। स्नातक के विभिन्न विभागों की  विश्वविद्यालय में 122 सीटें खाली रह गई हैं, जिन्हें भरने के लिए विषय बदलने का भी ऑफर दिया गया है।  पहले से किसी अन्य विभाग में दाखिला का आवेदन कर चुके विफल विद्यार्थियों को इसमें मौका दिया जाएगा।

खाली सीटों में दाखिले के लिए विश्वविद्यालय स्टूडेंट काउन्सिल ने भी पत्र लिख कर तारीख आगे बढ़ाने  और ओपन काउंसलिंग के लिए फिर से आवेदन मंगाने की मांग की है।

जानकारी का अभाव, प्रवेश प्रक्रिया में देरी, प्लेसमेंट की कमी

विश्विद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया में देरी होती है। कुछ छात्रों ने बताया कि इसी वजह से विश्वविद्यालय में आवेदन तो हजारों की संख्या में आ रहे हैं पर छात्र दाखिला नहीं ले रहे हैं। कुछ अन्य छात्र कहते हैं कि इस विश्वविद्यालय का नाम भी छत्तीसगढ़ से बाहर बहुत प्रचलित नहीं है। इसके मुकाबले यहां के निजी विश्वविद्यालयों से बाहर के लोग अधिक परिचित हैं। विश्वविद्यालय में पिछले कई वर्षों से किसी भी प्रतिष्ठित कंपनी ने प्लेसमेंट में रुचि नहीं दिखाई है, जिसके चलते यहां की डिग्री के बाद रोजगार को लेकर छात्र आशान्वित नहीं रहते हैं।

इन विभागों के पाठ्यक्रमों में सीटें खाली-

स्नातक-बीए आनर्स, मानव विज्ञान 14 सीटें, अंग्रेजी 01सीट, हिन्दी 46 सीट, पत्रकारिता एवं जनसंचार 17सीट, अर्थशास्त्र 06 सीट, इतिहास 17सीट, राजनीति विज्ञान 04 सीट और बीएसडबल्यू 17सीट।

स्नातकोत्तर- एमएससी इलेक्ट्रानिक्स 10सीटें, एमएससी ग्रामीण प्रोद्योगिकी 09 सीटें, एमए व एमएससी मानव विज्ञान 29सीटें, एमए राजनीति विज्ञान 15सीटें, इतिहास 18 सीटें, अर्थशास्त्र 14 सीटें, अंग्रेजी 26 सीटें, हिन्दी 16 सीटें, पत्रकारिता एवं जनसंचार 10 सीटें तथा एमलिब एवं पुस्तकालय 24 सीटें।

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