आज रात्रि में लगने वाला सदी का सबसे लम्बा चंद्र ग्रहण 3 घंटे 54 मिनट 33 सेकेण्ड का होगा। यह रात्रि 11 बजकर 54 मिनट 26 सेकेण्ड से शुरू होकर सुबह 3 बजकर 48 मिनट 59 सेकेंड में समाप्त होगा। ज्योतिषियों का कहना है कि यह ग्रहण राशियों में अपना गहरा प्रभाव छोड़ेगा। ग्रहण का प्रभाव ग्रहण शुरू होने के ठीक 9 घंटे पहले शुरू हो चुका है जिसे सूतक काल कहते है। आज सूतक दोपहर 2 बजकर 54 मिनट से शुरू हुआ।

ज्योतिष पंडित मुरारी पाण्डेय ने कहा कि विष्णु पुराण के अनुसार समुद्र मंथन के समय निकले अमृत को लेकर देवताओ और असुरों में युद्ध हो रहा था। तब विष्णु जी ने मोहनी का रूप धारण कर देवताओ और असुरों को पंक्ति में बिठाकर देवताओं को अमृत पान कराना शुरू किया। यहां राहु नामक असुर ने देवताओं के बीच बैठकर अमृतपान कर लिया। तब चन्द्रमा और सूर्य ने इशारे से उन्हें बताया की एक असुर ने छल से अमृतपान कर लिया है। भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सर धड़ से अलग कर दिया। मगर अमृत की वजह से वह दो भागो में छाया के रूप में बंटकर सूर्य और चन्द्रमा को निगलने की कोशिश करने लगा। तब से आज तक यह छाया सूर्य और चन्द्रमा के मध्य आती है जिसे शास्त्रों में ग्रहण कहा गया है।

ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु दोनों को आसुरी छाया कहा जाता है। इसलिए ग्रहण पृथ्वी में सभी प्राणियों को प्रभावित करता है। इस ग्रहण काल में वातावरण दूषित हो जाता है। रोग आदि के कीटाणु बढ़ जाते हैं। जीव जंतु वनस्पति सभी पर इसका प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष सलाह देते हैं कि सूतक काल एवं ग्रहण काल में मंदिरों के द्वार बंद रखे जाएं। देवी-देवताओं की मूर्ति न छुएं ,घर में किसी भी प्रकार के पकवान न बनाएं साथ ही अन्न ग्रहण न करें। खुली आँखों से ग्रहण न देखें साथ ही इस अवधि में भ्रमण-विचरण से भी बचें।

पं. मुरारी पांडेय के अनुसार विशेष रूप से गर्भवती महिलाओ को ग्रहण के नियमों का पालन करना चाहिए। ग्रहण के समय किसी भी प्रकार की तू तू मै मै से दूर रहना चाहिए, साथ ही तुलसी दल और कुशा बांधना चाहिए।

विशेष रूप से ॐ नमो भगवते वासुदेवाय: और महामृत्युंजय जाप से प्रभाव को काम किया जा सकता है। शास्त्रों में छोटे बच्चों, वृद्ध और रोगियों के लिए भोजन में तुलसी पत्ती डालकर उसका उपयोग करने की छूट दी गई है।

ग्रहण का प्रभाव एक माह तक राशियों पर विशेष रूप से रहेगा। चंद्र ग्रहण उत्तरा साढ़ा नक्षत्र में मकर राशि पर लगेगा। मिथुन,तुला,मकर और कुम्भ के लिए यह अधिक हानिकारक होगा। इससे मानसिक चिंता और दुर्भाग्य पैदा हो सकते है। वृषभ, कर्क ,कन्या ,धनु के लिए मध्यम फल वाला होगा। सिहं और मीन राशि के लिए ग्रहण शुभ है।

ग्रहण के समय मंगल मकर राशि पर होगा, जो पृथ्वी के काफी करीब होगा। इस कारण से मेष एवं वृषक राशि के लिए दुर्घटना कारक हो सकता है।

ग्रहण समाप्ति के बाद  4 बजे सुबह गंगा जल डालकर स्नान, भगवान की पूजा अर्चना, सोने चांदी तांबे का सर्प दान, अन्न दान, ब्राह्मण भोज और मंदिर में अन्न दान से दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here