कोरिया और कोरबा में मुख्यमंत्री ने अटल विकास यात्रा के दौरान पत्रकारों से चर्चा करते हुए बिलासपुर के कांग्रेस भवन में कांग्रेस पदाधिकारियों पर की गई लाठी चार्ज की दंडाधिकारी जांच की घोषणा की। निर्देश के परिपालन में कुछ घंटे बाद ही बिलासपुर जिला कलेक्टर और दंडादिकारी पी. दयानंद ने इस जांच का आदेश दे दिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि आसान जांच की अवधि तीन माह तय की गई है, तब तक छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव हो चुके होंगे। कांग्रेस ने इस जांच आदेश को खारिज किया है और वह न्यायिक जांच पर अड़ी है। दंडाधिकारी जांच के बिन्दुओं पर भी कांग्रेस ने सवाल किए हैं।

जिला दंडाधिकारी ने जांच के सात बिन्दु तय किए हैं।

दंडाधिकारी जांच में ये बिन्दु शामिल किए गए हैः

  1. क्या धरना प्रदर्शन की विधिवत् अनुमति ली गई थी?
  2. क्या घटना स्थल पर पर्याप्त पुलिस बल था?
  3. भीड़ ने किन परिस्थितियों में अनियंत्रित होकर घटना को अंजाम दिया?
  4. किन परिस्थितियों में बल प्रयोग की स्थिति निर्मित हुई?
  5. क्या पुलिस द्वारा बल प्रयोग जरूरी था?
  6. क्या बल प्रयोग के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का पालन किया गया?
  7. जांच के दौरान पाए जाने वाले अन्य बिन्दु?

जांच का काम अपर कलेक्टर बीएस उइके को सौंपा गया है। दिलचस्प यह है कि यह जांच दो चार दिन या हफ्ते दो हफ्ते में पूरी नहीं होगी, बल्कि कुल मिलाकर तीन माह का समय दिया गया है। तीन माह अर्थात् 18 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दी जानी है, जबकि इसके पहले ही छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव हो जाने की संभावना है। यानि यह रिपोर्ट नए चुनाव के बाद बनने वाली सरकार के पास जाएगी और कार्रवाई भी इसके बाद होगी।

कांग्रेस ने इस जांच पर सवालों के बौछार किए हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने कहा कि हमें दंडाधिकारी जांच स्वीकार नहीं है। सारे सबूत सामने हैं, जांच 24 घंटे में हो सकती है। जब तक रिपोर्ट आएगी, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बन चुकी रहेगी और तब न सिर्फ इस घटना पर कार्रवाई की जाएगी, बल्कि प्रदेश के मंत्रियों के घोटालों की भी जांच कराई जाएगी।

जिला कांग्रेस कमेटी ने जांच के बिन्दुओं पर सवाल उठाए हैं।

अध्यक्ष विजय केशरवानी ने कहा कि जन आक्रोश को दबाने के लिए भ्रामक जांच आदेश दिए गए हैं।

पहले और दूसरे बिन्दु पर ही स्पष्ट है कि मंत्री के निवास पर पुलिस जवानों की तैनाती के साथ बेरिकेड्स लगा दिए गए थे, यानि प्रशासन को कांग्रेस के प्रदर्शन की पूरी जानकारी थी और कांग्रेसियों के लिए यहां कई बसों की व्यवस्था भी की गई थी।दंडाधिकारी भी वहां उपस्थित थे। तीसरे बिन्दु पर कहा गया है कि भीड़ ने किन परिस्थितियों में घटना को अंजाम दिया, केशरवानी का कहना है कि वहां भीड़ नहीं थी किन्तु कांग्रेस कार्यकर्ता थे, जिन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद आंदोलन समाप्त कर दिया। वे मंत्री अमर अग्रवाल का प्रतीकात्मक विरोध कर रहे थे।

बिन्दु 4, 5 और 6 पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि जांच आदेश से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सम्पूर्ण घटना मंत्री के आवास के पास हुई। जबकि लाठीचार्ज तिलकनगर स्थित कांग्रेस भवन में किया गया। पुलिस यहां जबरिया घुसी और भजन कीर्तन कर रहे कार्यकर्ताओं को घायल होते तक लाठी से पीटते हुए बसों में ठूंसा गया। दो घंटे तक घायलों को चिकित्सा सुविधा नहीं मिली। अधिकारियों को बचाने लिए यह जांच की जा रही है। तीन माह जांच का समय तय किया गया है जो अपने आप में एक छलावा है। कांग्रेस इस जांच आदेश को खारिज करते हुए हाईकोर्ट जज से न्यायिक जांच की अपनी मांग पर कायम है।

 

 

 

 

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