चीन से ऑनलाइन मंगाये थे डिवाइस

सुलझाने वाली टीम को आईजी, एसपी पुरस्कृत करेंगे

बिलासपुर। एटीएम का क्लोन बनाकर छत्तीसगढ़ व देश के दूसरे हिस्से में 200 से ज्यादा लोगों के खातों से लाखों रुपये की रकम उड़ाने वाले गिरोह के सरगना ओबेद मेहर उर्फ केबिन मूर्ति उर्फ राजूदेव को जिला पुलिस ने ओडिशा पुलिस की मदद से गिरफ्तार कर लिया है। इनके आठ साथी पहले ही गिरफ्तार किये जा चुके हैं। आरोपियों से तीन लैपटॉप, सात मोबाइल फोन, तीन क्लोनिंग डिवाइस, 64 से अधिक एटीएम कार्ड, एक बोलेरो गाड़ी, सीसीटीवी कैमरा और डीवीआर बरामद किया गया है। क्लोनिंग के अधिकांश सामान उन्होंने चीन से अलीबाबा डॉट कॉम के जरिये ऑनलाइन मंगवाया है।

बिलासा गुड़ी में एक पत्रकार वार्ता में पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने इस मामले का खुलासा किया। बीते कई माह से बिलासपुर तथा छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों में लगातार घटनाएं सामने आ रही थीं कि लोगों का एटीएम उनकी जेब में है, लेकिन रुपये उनके खाते से पार हो जाते हैं। यह पहले से चले आ रहे तरीके से अलग था, जिसमें एटीएम कार्ड के नंबर और ओटीपी फर्जी फोन कॉल के जरिये हासिल किये जाते थे।


इन मामलों में उनके फोन पर सिर्फ रुपये निकाले जाने की सूचना आती थी। बिलासपुर में ऐसी शिकायतें 80 से 90 ग्राहकों की ओर से आई। क्लोन एटीएम के जरिये रुपये पार करने वाले आठ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन मास्टर माइन्ड अब तक हाथ नहीं लगा था। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर साइबर सेल के साथ समन्वय रखते हुए थानों से टीम बनाई गई। विभिन्न स्त्रोतों से जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने मास्टर माइंड ओबेद मेहर को सुंदरगढ़ ओडिशा से गिरफ्तार कर लिया गया।

कम्प्यूटर की जानकारी का किया बेजा इस्तेमाल, कर्ज में लदे दोस्त को लिया साथ

मुख्य आरोपी ओबेद ने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। वह इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के लिए काम करने वाली एक कंपनी स्वाइन एंड एसोसिएट्स के साथ बड़ोदरा में काम कर चुका है। उसने सुंदरगढ़ जिले में बीपीएल कार्ड सर्वे, आधारकार्ड सर्वे, बायोमैट्रिक कैप्चरिंग, हेल्थ कार्ड में तो काम किया ही है, कुछ समय के लिए स्नैपडील ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी के साथ भी जूते बेचने का बिजनेस करता रहा है। इस समय वह यही काम कर रहा था, लेकिन इससे उसकी आमदनी नहीं थी। बीते साल सितम्बर में उसकी मुलाकात सरबहाल निवासी श्रीमंत दास से हुई, जिससे वह दो साल से परिचित था। उस पर भारी कर्ज था। दोनों ने पहले विजय माल्या की तरह बैंक को भरोसे में लेकर बड़ा लोन लेने और दूसरे शहर में भाग जाने की योजना बनाई पर इसके लिए वे आवश्यक दस्तावेज नहीं जुटा पाये। इसी दौरान उन्होंने एक वायरल वीडियो देखा जिसमें बताया गया था कि मुम्बई में एक्सिस बैंक के रुपये एटीएम क्लोन कर किस तरह एक गिरोह ने निकाले थे। दोनों ने इस वीडियो को कई बार देखा और बाद में इंटरनेट से सर्च कर कूरियर के जरिये अलीबाबा डॉट कॉम के जरिये चीन से क्लोनिंग डिवाइस ऑनलाइन मंगा लिये।

पहले खुद के एटीएम कार्ड पर आजमाया

आरोपी ओबेद ने पुलिस को बताया कि उपकरण की विश्वसनीयता परखने के लिए पहले उसने खुद के एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार किया और उससे रुपये निकाले। उन्होंने झारसुगुड़ा से रायगढ़ के रास्ते में एक फ्लाईओवर पुल के एटीएम बूथ में क्लोनिंग डिवाइस लगाई। जब रुपये निकलने के बाद उन्हें इस उपकरण पर भरोसा हो गया तो उन्होंने 6 ग्राहकों के एटीएम कार्ड क्लोन किये और रुपये निकाले। नवंबर में श्रीमंत दास, खिरोद, घनश्याम कर्मी, सुजीत के साथ आरोपी ओबेद ने रायपुर दुर्ग बायपास पर स्थित एसबीआई के एटीएम बूथ पर क्लोनिंग डिवाइस लगाई और 25, 26 एटीएम कार्ड का क्लोन बनाकर उनसे रुपये निकाल लिये। इसके बाद दुर्ग में स्टेशन के पास एक होटल में दो दिन रुककर दो एटीएम मशीनों से क्लोनिंग डिवाइस लगाकर डेटा इकट्ठा किया और 60 से 70 कार्ड की क्लोनिंग तैयार की। ये कार्ड उन्होंने अपने साथियों को दिया, जिन्हें रुपये निकालने पर 20 प्रतिशत कमीशन मिलता था। इन आरोपियों में धमतरी का प्रवीण सोनबेर भी था, जो पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके बाद बिलासपुर में होटल सिल्वर ओक में आकर वे रुके। 5 से 7 दिसम्बर के बीच उन्होंने रेलवे परिक्षेत्र, डेन्टल कॉलेज आदि के पास एटीएम क्लोनिंग डिवाइस लगाई। दूसरे दिन एक डिवाइस टूट गया, जो बंधवापारा, हेमूनगर में लगा है। उसका क्लोन उन्होंने झारसुगुड़ा में तैयार किया।

पिन होल वीडियो कैमरा में कैद होता था पिन नंबर

क्लोनिंग डिवाइस से जहां कार्ड का डिटेल हासिल किया जाता था वहीं वे एक पिन होल वीडियो कैमरा एटीएम के बटन के पास लगाते थे, जिससे कार्ड का पिन नंबर भी हासिल कर लिया जाता था। वे यह सावधानी रखते थे कि जिस जगह उन्होंने एटीएम कार्ड का डेटा हासिल किया है, वहां से रकम नहीं निकालते थे। वे कोलकाता, दीघा, पटना, झारसुगुड़ा आदि जगहों से रकम निकालते थे। एक बार में ज्यादा से ज्यादा रकम निकाल सकें इसलिए कार्ड को पहली बार वे रात को 12 बजे के पहले इस्तेमाल करते थे। उस दिन की लिमिट 12 बजे खत्म होती थी तो फिर उसी एटीएम से अगले दिन की लिमिट की पूरी राशि निकाल लिया करते थे। अपने साथियों से वह कोलकाता में रुपयों का हिसाब करने के बाद 32 दिसंबर को वापस झारसुगुड़ा चला गया था।

अपराध की सफलता से तहकीकात कर आरोपियों को पकड़ने को लेकर बनाई गई टीम को पुलिस महानिरीक्षक प्रदीप गुप्ता व पुलिस अधीक्षक अभिषेक मीणा ने पुरस्कृत करने की घोषणा की है। गिरोह तक पहुंचने में एएसपी (सिटी) ओपी शर्मा, एएसपी (ग्रामीण), अर्चना झा, डीएसपी पी.सी.राय उप निरीक्षक डीके पाटले सहित साइबर सेल के उप निरीक्षक प्रभाकर तिवारी, एएसआई हेमन्त आदित्य, आरक्षक दीपक यादव, नवीन एक्का, शकुन्तला साहू, टीम के आरक्षक विकास यादव, संतोष यादव, अविनाश पांडेय आदि की बड़ी भूमिका रही।

ये सामान जब्त किये गए –

3 लैपटॉप, दो हाथ घड़ी, सात मोबाइल फोन, एक पर्स, एक जियो वाई फाई सेट, दो पिन होल कैमरा, 4 पैकेट स्कीमर चिप, सोल्डिंग पेस्ट, पेपर कटर, मार्कर पेन, मेमोरीकार्ड रीडर, माउस रीडर, 10 यूएसबी केबल, 10 ग्लू ड्राप पैकेट, दो माइक्रोमैक्स बैटरी, सीसीटीवी कैमरा, डीवी आर।

इसके अलावा 64 हाई व लो क्वालिटी क्लोन एटीएम कार्ड, सोने की एक चेन, दो अंगूठी, ओडिशा के नंबर वाली एक बोलेरो जीप, एटीएम कार्ड राइटर।

पूर्व में पकड़ गये आरोपी-

श्रीमंत दास, खिरोद पटेल, घनश्याम कर्मी, सुजीत खड़िया, धरनीसेन, पाउल मेहर, प्रवीण सोनबेर, अब्दुल हसीर। आरोपियों की उम्र 22 से 39 वर्ष के बीच। सभी के खिलाफ थाना तोरवा व कोतवाली में धारा 420 के तहत अपराध दर्ज किये गये हैं।

 

 

 

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