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लो, कलेक्टोरेट के सामने धंसी कार, ज़नाब सिसायत बदली है, शहर की सूरत नहीं

कलेक्टोरेट के सामने धंसी कार।

शहर की सड़कें कब कहां धंस जाए, आप अंदाजा लगा नहीं सकते। पुराना बस स्टैंड चौराहे, लिंक रोड की धंसी सड़कों का तो आपको तुरंत खयाल आ जाता होगा। अब कलेक्टर ऑफिस के ठीक सामने का नज़ारा देख लीजिए। एक वकील साब बड़े इत्मीनान से नेहरू चौक की तरफ़ से आते हुए कचहरी की तरफ़ जा रहे थे। मगर जैसे ही उन्होंने अपनी कार नीचे उतारी सामने का चक्का नीचे धंस गया। तीन दिनों तक हुई बारिश के बाद जहां-जहां खुदाई हुई है, वहां नमी आ चुकी है और मिट्टी का धंसना जारी है क्योंकि फीलिंग का काम पुख़्ता नहीं हुआ।

बिलासपुर में अंडरग्राउंड सीवरेज का काम बीते दशक से चल रहा है। यह योजना जब चालू की गई तो इसे तीस साल की प्लानिंग बताई गई थी, यह नहीं बताया गया था कि काम को पूरा करने की प्लानिंग भी खींच-खींच कर दूसरे दशक तक लाया जाएगा। हमारे-आपके करोड़ों रुपये इस योजना में फूंके जा चुके हैं। शायद अगली पीढ़ी इसका नतीज़ा देखे। हमारी आपकी पीढ़ी तो इसकी तकलीफ भोग रही है।

गौरतलब हो कि प्रदेश की सरकार बदल गई है, शहर का प्रतिनिधित्व बदल चुका है पर कोई बदलाव अभी हम आप नहीं देख पाएंगे। आख़िर नगर-निगम में अब भी भाजपा है, जो सीवरेज परियोजना को हर हाल में पूरा करने पर आमादा है। हम बस उम्मीद कर सकते हैं कि आने वाले दिनों में शहर की सड़कें, यातायात बेहतर होगी, गौरव पथ, व्यापार विहार की सड़कों के गड्ढे भरेंगे, धूल से मुक्ति मिलेगी।

 

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