युवा साहित्यकार प्रो. विक्रम सम्पत का केन्द्रीय विश्वविद्यालय में व्याख्यान

बिलासपुर। प्रख्यात लेखक एवं इतिहासकार डॉ. विक्रम सम्पत का मानना है कि हमारा वर्तमान और भविष्य हमारे अतीत की नींव पर ही खड़ा होता है। आज आप जिस स्थिति में हैं उसका कारण गुजरा हुआ अतीत होता है। हमें भारत का वही इतिहास पढ़ाया गया जिसमें हमारी हार हुई, कुछ ऐसी लड़ाइयां भी हैं, जो हमने जीतीं, लेकिन उनका जिक्र किताबों में नहीं है। मोहम्मद गजनी और मोहम्मद गौरी के आक्रमण और शासन के बीच के 175 साल के इतिहास का जिक्र किसी किताब में नहीं है। दरअसल पाठ्यपुस्तकों में भारत का इतिहास तो है ही नहीं। जो हम पढ़ते हैं वह दिल्ली का इतिहास है, जिसमें दक्षिण भारत, उत्तर पूर्वी भारत या कहें कि छत्तीसगढ़ किसी की जिक्र नहीं है। इतिहास की प्रत्येक रिपोर्ट अंतरिम रिपोर्ट होती है जिसे शोध के बाद संशोधित किया जा सकता है।

डॉ. सम्पत ने यह बात गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के रजत जयंती सभागार में  ‘न्यू इंडिया मंथन- एक नेतृत्व चर्चा’ के अंतर्गत  ‘वर्तमान को गढ़ने के लिए अतीत का महत्व’

विषय पर आयोजित व्याख्यान में कही। इस अवसर उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत की व्याख्या करते हुए नये भारत के निर्माण की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी और कहा कि नारी शक्ति से ही नये भारत का उदय हो सकता है।

एक अफ्रीकी कहावत का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि शिकार करने वाला ही जब इतिहास लिखता है तो शिकारी का ही बखान होता है, चाहे वह पानीपत, प्लासी, हल्दी घाटी या बक्सर की लड़ाई हो। हमें उन्हीं लड़ाइयों को पढ़ाया गया है जिनमें हमारी हार हुई है। कुछ ऐसी लड़ाइयां भी हैं जो हमने जीतीं लेकिन उनका जिक्र किताबों में नहीं है।

उन्होंने पोर्ट ब्लेयर के सेलुलर जेल में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, क्रांतिकारियों एवं देश भक्तों दी जाने वाली घोर यातनाओं की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि इतिहास की सही जानकारी के लिए शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से विद्यार्थियों को पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल देखने जरूर भेजें। जरूरी नहीं कि देश का हर युवा सरहद पर जाकर लड़ाई लड़े, शहीद हो। हम सभी को अपना कार्य पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करते हुए देश के विकास में योगदान देना चाहिए।

डॉ. सम्पत ने श्रोताओं से पूछा कि सभागार में मौजूद कितने लोग मानते हैं कि नये भारत का उद्भव हो रहा है? मैं यह इसलिए पूछ रहा हूं कि मेरे प्रस्तुतिकरण का पहला विषय न्यू इंडिया, इमर्जिंग इंडिया है। आप सभी जानते हैं कि घर बनाने में दो से तीन साल लग जाते हैं। पूरे देश को यहां तक लाने में भी काफी परिश्रम करना पड़ा। अपने अतीत को देखकर इसका मूल्यांकन कर सकते हैं। 1940 से 50 के बीच हम गुटनिरपेक्ष रहे लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था पर सोवियत रूस की आर्थिक नीतियों का असर जरूर रहा। 1991 में पहली बार देश में उदारवादी अर्थव्यवस्था के लिए दरवाजे खोले गए लेकिन बदलाव में 10 वर्ष लग गये और 2002 में हिंदुस्तान में देखने को मिला।

देश में 50 फीसदी आबादी महिलाओं की है। हमारा देश युवाओँ का है जो 2005 से 2055 तक इस युवा जोश का लाभ हासिल करता रहेगा। वर्ष 2030 तक 7 करोड़ युवा कॉलेजों, विश्वविद्यालयों सहित विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत होंगे। 61.5 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर हैं। हमारे देश को भ्रष्टाचार ने खोखला कर दिया था और आजादी के 71 साल बाद भी हम इस दंश को झेल रहे है।

विजन 2022 की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद हर व्यक्ति के सर पर छत होगी। उनके अपने घर का सपना साकार होगा। इस घर में बिजली, पानी, शौचालय और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। हम अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति होंगे। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के सिद्धांत पर चलते हुए आज सरकार सबका साथ, सबका विकास के मूलमंत्र को अपनाते हुए लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास की सुविधाएं मुहैया करा रही है।  उन्होंने जन-धन योजना, उज्ज्वला योजना, आधार कार्ड आदि से विकास में मिल रही मदद का उल्लेख किया।

स्वागत उद्बोधन में कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. रत्नेश सिंह ने डॉ. विक्रम सम्पत का परिचय देते हुए बताया कि वे प्रख्यात लेखक एवं इतिहासविद् हैं। बैंगलोर, कर्नाटक के रहने वाले डॉ. विक्रम सम्पत को वर्ष 2012 में अंग्रेजी साहित्य में साहित्य अकादमी के प्रथम युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे बैंगलोर लिटरेचर फेस्टिवल के संस्थापक हैं और विभिन्न संस्थानों में मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर व्याख्यान देते हैं। वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दो सप्ताह के लिए उनका चयन राष्ट्रपति भवन में आवासीय लेखक के रूप में किया था। वर्तमान में वे वीर सावरकर की जीवनी पर किताब लिख रहे हैं जो दो भागों में प्रकाशित होगी। संगीत की कर्नाटक शैली के कुशल गायक डॉ. सम्पत विभिन्न शासकीय संस्थाओँ एवं समितियों से भी जुड़े हुए हैं।

इस अवसर पर डॉ. विक्रम सम्पत ने अपनी तीन पुस्तकें- स्पैलडर्स ऑफ रायल मैसूर- द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ द वाड्यार्स, माइ नेम इज गौहर जान द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ म्यूजिशियन एवं वायस ऑफ द वीणा- एस बालाचंदर- ए बायोग्राफी विश्वविद्यालय के केन्द्रीय ग्रंथालय के लिए भेंट की।

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर अंजिला गुप्ता ने कहा कि हमारी संस्कृति, साहित्य, ज्ञान, चिंतन समृद्ध रहा है। हजारों साल का इतिहास उठाकर देखें तो हम कई विपरीत परिस्थितियों से गुजरे, हम कुछ दिनों के लिए अपना गौरव भूले लेकिन वो अडिग रहा और खत्म नहीं हुआ। हमारी विरासत आज भी हमारे पास है। यूरोपियन, अमेरिकन, अरेबियन देशों की तुलना में आज भी हम विकास दर में काफी आगे हैं। दूसरे देशों में भी भारतीय दर्शन, भारतीय मायथॉलॉजी जानने और मानने वाले लोग मिलते हैं। युवाओं को यह जानना चाहिए कि हमारा अतीत कैसा है। इस दृष्टि से आज आयोजित व्याख्यान काफी प्रेरणादायी होगा। इस अवसर पर अतिथियों ने  विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका जीजीवी न्यूज लेटर के नवीनतम आठवें अंक का विमोचन किया। विमोचन समारोह में पत्रिका के समन्वयक प्रो. बी.एन. तिवारी भी उपस्थित थे।

व्याख्यान के पश्चात संवादात्मक सत्र का आयोजन किया गया। जिसमें विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारियों  एवं छात्रों द्वारा विभिन्न सवालों के जवाब डॉ. सम्पत ने दिये।विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेन्द्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वानिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक की डॉ. गरिमा तिवारी ने किया। इस अवसर पर विभिन्न अध्ययनशालाओं के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, अधिकारी, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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