बिलासपुर। आम चुनाव से पहले पेश किये जाने वाले अंतरिम बजट का मतलब यह है कि सरकार नई सरकार गठित होने से पहले जरूरी खर्चे के लिए संसद की मंजूरी ले। लेकिन किसान सम्मान निधि के नाम पर किसानों को दो-दो हजार रुपये बांटने का फैसला लेकर सरकार ने उनके वोट की कीमत लगाई है। यह सरासर रिश्वत है।

यह कहना है शहर के युवा चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट आशीष अग्रवाल का। बजट पर राजनीतिक नफे-नुकसान के हिसाब से कांग्रेस, भाजपा और दूसरे राजनीतिक दलों के विचारों के बीच तटस्थ विचार रखने वाले सी ए आशीष अग्रवाल का मानना है कि वित्त मंत्री पीयूष गोयल का बजट में किया गया किसान सम्मान निधि का प्रावधान गलत है। यह कानूनी रूप में सही हो सकता है पर प्रक्रिया के अनुसार नहीं। कोई भी बजट प्रावधान आगामी वित्तीय वर्ष, अर्थात् 1 अप्रैल से लागू किया जाना चाहिए लेकिन इसे पिछले बजट के खर्च अर्थात् दिसम्बर 2018 से लागू कर दिया गया। इसमें प्रावधान किया गया है कि पांच एकड़ या लगभग दो हेक्टेयर तक रकबा वाले किसानों के खाते में तीन किश्तों में रु. 6000 डाले जायेंगे। यह रकम तीन बार दो-दो हजार की किश्त में डाली जायेगी। यह प्रावधान कायदे से नये वित्त वर्ष पर किया जाना चाहिये जो एक अप्रैल से शुरू होगा। पर वित्त मंत्री ने बड़ी चतुराई से इसे बीते दिसम्बर से लागू कर दिया। चुनाव के ठीक पहले इसकी पहली का किश्त का समय आ जायेगा और फरवरी अंत या मार्च माह में किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये आ जायेंगे। यह प्रलोभन और रिश्वत है। चुनाव आयोग को भी इस पर संज्ञान लेना चाहिए। छह हजार रुपये में से शेष की रकम तब आयेगी जब यह सरकार दुबारा आयेगी। हो सकता है, सरकार न आये- हो सकता है कि सरकार दुबारा आये तब भी रकम न आये। भोले-भाले किसानों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए ठोस उपायों पर बीते कार्यकाल में घोषणाओं के अलावा कुछ नहीं हुआ। अब, जब सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है तो ऐसी घोषणा नैतिकता के विरुद्ध है। बजट में वित्त मंत्री गोयल ने अपने सरकार की उपलब्धियां तो गिनाई पर अधिकतर योजनाएं अगले पांच साल के लिए बताईं, यह भी ग़लत है।  जैसे, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों के लिए ऋण पर 2% की छूट साथ ही समय पर भुगतान करने 3% अतिरिक्त छूट की घोषणा की गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here