आठ साल की बच्र्ची से लेकर 88 साल के बुज़ुर्ग का हुआ परीक्षण

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के केन्द्रीय चिकित्सालय में आज 15 फरवरी को सुबह 9 बजे से निःशुल्क पेस मेकर जाँच शिविर रखा गया। इस शिविर में हृदयरोग के 144 मरीजों के पेस मेकर का निःशुल्क जांच की गई, जिनमें से 51 रेलवे से बाहर के थे। रेलवे में यह 18वीं बार यह शिविर लगा।

हदय रोगियों के लिए पेस मेकर लगाने के बाद इसका नियमित जाँच जरुरी है, जो कि प्रत्येक छः माह अथवा एक वर्ष में होने चाहिए। इसका कार्य एकाएक बंद होने से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। आज दुनिया भर में हृदयरोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए केन्द्रीय चिकित्सालय में पिछले आठ वर्षों से प्रत्येक छः माह में निःशुल्क पेस मेकर जांच शिविर लगाया जाता है।

रेलवे के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सी.के.दास के अनुसार इस प्रकार का निःशुल्क पेस मेकर जांच शिविर का आयोजन भारत में अकेला है। शिविर के आयोजन के लिए पेस मेकर कंपनियों का सहयोग की जरुरत होती है। बिलासपुर जैसे शहर में ऐसा आयोजन बहुत आवश्यक है पर उतना ही कठिन भी है।

इस शिविर की वजह से दिल से जुडे रोगियों को अब चेन्नई या दूसरे बड़े शहर जाकर लाखों खर्च करने से मुक्ति मिली है। इस शिविर में 93 रेलवे के तथा 51 रेलवे से बाहर के हृदयरोगियों की पेस मेकर की जांच की गई। सबसे छोटी उम्र की 8 साल की बच्ची आयुष कुमार और सबसे वरिष्ठ मरीज 88 वर्ष के बुजुर्ग एन.एच. शर्मा की इस शिविर में जांच हुई। इसमें बिलासपुर के अलावा खरसिया, मुंगेली, रायपुर, भिलाई, नागपुर, नैनपुर, शहडोल, उमरिया और पेण्ड्रा से मरीज आए थे। शिविर में पांच मरीज ऐसे भी पाए गये जिनके पेसमेकर की बैटरी लाइफ समाप्त हो चुकी थी। पांच ऐसे मरीज थे जिनके हृदय की धड़कन बहुत तेज थी। इस मरीजों को उपयुक्त सलाह दी गई और उनके पेसमेकर को रि-प्रोग्रामिंग की गई।

शिविर में केन्द्रीय चिकित्सालय के प्रमुख मुख्य निदेशक डॉ.सी.एन.पिपरीकर, चिकित्सा निदेशक डॉ. गौतम  चक्रवर्ती, मुख्य स्वास्थ्य निदेशक डॉ. डी.रामा राय, डॉ. राजीव लोचन भांजा, वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ. एम. त्रिपाठी, डॉ. के. लक्ष्मीकांत, डॉ. राजीव यादव सहित रेलवे अस्पताल के अनेक कर्मचारी बड़ी संख्या उपस्थित थे।

बिलासपुर के शिविरों में मरीजों की संख्या में क्रमशः वृ़िद्ध हो रही है। डॉ. दास का कहना है भारत के दुसरे प्रांतों में भी इस प्रकार के पेस मेकर चेकिंग शिविरों का आयोजन होना चाहिए, खासकर ऐसे स्थानों में जहॉ पेस मेकर कम्पनियां अपनी नियमित सेवा उपलब्ध नहीं करा सकती। ऐसा होने से हजारों पेस मेकर के मरीज अकाल मृत्यु से बच सकते हैं।

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