डगाल के ऊपरी सूखते पत्ते तक
पहुँचती हुई नमी के बारे में लिखो
लिखो, उस रक्त के बारे में
जो जीवनदायिनी बूंदों की तरह
हमारी धमनियों में पहुँचता है।
कोई अंतर नहीं है
इस रक्त या उस पानी में 
जिसे नाहक बहाया है हमने-
गवाह हैं
बड़े-बड़े महायुद्ध
रक्त उनका अपना नहीं था
इसलिए वे उसे बहा जाया कर सकते थे।
मामूली सी अपनी जीत के लिए
इसे परे रख फिर तुम सोचोगे
और कुल्हाडी भी होगी तुम्हारे हाथों में
कांप जायेंगे तुम्हारे हाथ
एक ठंडापन उतर आएगा शिराओं में
तुम्हें लगेगा
कोई फर्क नहीं है
आदमी और पेड़ में,
सिवाय इसके पेड़ खड़ा रहता है एक जगह
आदमी सहरा की ख़ाक छानता है दर-ब-दर
इस महीन सी चुप में
आदमी हो या पेड़
दोनों ही निहत्थे हैं
और तुम अपने होने के गुमान में
दोनों को उजाड़ते जा रहे हो!
तुम जो सर्वेसर्वा हो
कानून की किताबों पर सर रख 
अदालतों के बरामदों में
सच को दफनाते हुए
सरेआम हत्या कर रहे हो न्याय की
और तुमसे थोड़ी दूर पर 
किसी पेड़ की छांह में बैठा
अपना कलेवा निपटा सुस्ता रहा है वह
न्याय की तलाश में जो दूर-दराज से आया था
पेड़, पेड़ और आदमी, आदमी है
ज़रूरी नहीं कि इतनी बड़ी दुनिया में 
दोनों ही सुरक्षित रहें
कहीं कुछ भी हो सकता है कभी भी
आदमी हो या पेड़
कभी भी उखाड़कर फेंके जा सकते हैं
अपनी जड़ों से दूर।

यह कविता सुप्रसिद्ध कवि माताचरण मिश्र की है। बिलासपुर में काफी दिनों तक निवास कर चुके मिश्र इन दिनों भोपाल के बाशिंदे हैं। बिलासपुर प्रेस क्लब के ‘हमर पहुना’ कार्यक्रम में उन्होंने बुधवार की दोपहर ‘आदमी और पेड़ के बारे में’ शीर्षक की इस कविता के अलावा विभिन्न सन्दर्भों वाली अपनी अन्य कविताओं का पाठ किया। इनमें मुख्य रूप से पगडंडी, आत्म संभवा, नचनिये, मुक्ति, विसंगति, अजानबाहु,  तृष्णा के तट आदि शामिल थीं।

माताचरण मिश्र की कविताओं की चर्चा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल ने कहा कि इनकी रचनाएं पृथक शैली की हैं। बिलासपुर से भोपाल में बस जाने के बाद भी इस शहर की व्यथा इनकी कविताओं में झलकती है। नवभारत के पूर्व सम्पादक बजरंग केडिया ने कहा कि माताचरण मिश्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। इनकी कविताओं में हर वर्ग का दर्द झलकता है। बिलासपुर का मिजाज़ भी इनकी कविताओं में रूपायित होता है। वरिष्ठ शायर खुर्शीद हयात ने कहा कि इनकी कविताओं में माँ अपने शाब्दिक अर्थ से अलग स्वरूप में व्यक्त होती है। इनकी शैली अनूठी है।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, राम कुमार तिवारी, शाकिर अली, भास्कर मिश्रा, ठाकुर बलदेव सिंह, कमल दुबे, राजेश दुआ, निर्मल माणिक आदि उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन प्रेस क्लब के सचिव विश्वेश ठाकरे और आभार प्रदर्शन प्रेस क्लब के अध्यक्ष तिलकराज सलूजा ने किया।

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