गुरुसिंघ सभा दयालबंद में सर्वधर्म सभा का आयोजन

बिलासपुर। मेडिकल साइंस के अनेक शोध इस बात को प्रमाणित कर चुके हैं कि मनुष्य के व्यवहार का उसकी सेहत से सीधा रिश्ता है। सकारात्मक व्यवहार का गर्भवती स्त्री और कैंसर के रोगियों में भी अच्छा असर होता है।

यह बात गुरुसिंघ सभा गुरुद्वारा दयालबंद में आयोजित एक सर्वधर्म सभा में पटियाला से आईं डॉ. हरशिंदर कौर ने कहीं। डॉ. कौर स्वयं पेशे से बच्चों की डॉक्टर व प्रोफेसर हैं। वे देश-विदेश में सौ से अधिक बार अपने शोधों को लेकर पुरस्कृत की जा चुकी हैं। उनकी करीब 31 पुस्तकें छप चुकी हैं।

डॉ. कौर ने मेडिकल साइंस के आधार पर मनुष्य के व्यवहार का सेहत और समाज पर पड़ने वाले असर अध्ययन किया है। इसके लिए उन्होंने दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों के शोध पत्रों को खंगाला है। श्री गुरुनानक देव का समाज को योगदान विषय पर आयोजित इस सभा में उन्होंने आंकड़ों और परिणामों का उल्लेख करते हुए बताया कि गुरुनानक देव के- सुणियै टूटन पाप का नाश- सुनने से जीवन में अद्भुत कमाल देखने को मिलता है। गर्भावस्था में स्त्री जो सुनती है उसका उनकी संतान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि अच्छी बातें सुनें, अच्छा साहित्य पढ़े तो गर्भ में पल रहे शिशु पर उसका सुपरिणाम देखने को मिलता है। कैंसर के मरीजों को जब सकारात्मक बातें सुनाई गई तो उनकी उम्र नकारात्मक बातें सुनने वालों से कहीं अधिक पाई गई। उन्होंने भय और लोभ पर किये गए शोधों का हवाला देते हुए कहा कि दोनों ही हमारे स्नायुतंत्रों पर विपरीत असर डालती हैं। उन्होंने यह दिलचस्प बात बताई कि भयभीत करने वाले क्षण में हमारे शरीर की अरबों की संख्या में कोशिकायें नकारात्मक रूप से सक्रिय हो जाती हैं, पर इससे अधिक नकारात्मक प्रभाव भय पैदा करने वाले व्यक्ति पर पड़ता है। वह व्यक्ति अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो जाता है।

सकारात्मकता के विषय पर चर्चा के दौरान उन्होंने बल्ब के अविष्कार थॉमस एडिसन की कहानी बताई-

थामस एडिसन को स्कूल के मास्टर ने उसकी मां के लिए एक चिट्ठी दी और कहा कि इसे तुम नहीं पढ़ना, सिर्फ तुम्हारी मां को देना। मां को चिट्ठी देकर थॉमस ने पूछा कि इसमें क्या लिखा है- मां ने बताया कि मास्टर ने लिखा है तुम इतने होनहार को कि इस स्कूल में तुम्हारे योग्य कोई शिक्षक नहीं है, इसलिये हम इसे अपने स्कूल में पढ़ा नहीं पायेंगे। बहुत साल बाद थामस एडिसन बल्ब का अविष्कार कर प्रसिद्ध हो चुके थे। उनकी मां का भी निधन हो चुका था। एक दिन उन्होंने मां का संदूक खोला तो कहीं पर दबी वह पुरानी चिट्ठी मिल गई। चिट्ठी में मास्टर ने कुछ और लिखा था- थॉमस बहुत कमजोर बुद्धि का है। इसे पढ़ाने का कोई फायदा नहीं, इसे हम अपने स्कूल में नहीं पढ़ा सकते। थॉमस को जो हासिल हुआ उसके पीछे मां की सकारात्मक और प्रोत्साहन भरी सोच थी।

अपने उद्बोधन में डॉ. हरशिंदर कौर ने गुरुनानक की अनेक साखियों का सविस्तार वर्णन किया। उन्होंने सभी धर्मों की खूबियों का बयान किया। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के हिमायती रहे हैं। आज भी समाज में इसकी जरूरत है। पुलवामा हमले में शहीद परिवारों के प्रति उन्होंने संवेदना की। डॉ. हरशिंदर कौर के पति प्रोफेसर डॉ. गुरुपाल सिंह ने भी दीवान में हाजिरी दी।

इसके पश्चात् धर्म प्रचारक डॉ.सुखप्रीत सिंह उधोके ने भ गुरुनानक देव के आदर्शों पर विचार व्यक्त किये। गुरुनानक की साखियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जिस नारी ने बड़े-बड़े राजा-महाराजाओं को जन्म दिया, ईश्वर के अवतारों को जन्म दिया उस नारी को मंदा या छोटा क्यों कहना चाहिए। अब वो समय नहीं है कि स्त्री को अर्धांगिनी कहा जाये, गुरुनानक देव ने स्त्री को बराबरी का दर्जा दिया था। डॉ. सुखप्रीत ने शबद गुरु का महत्व बताया और कहा कि ईश्वर से मिलाप के लिए गुरु की वाणी के अनुसार जीवन जीना चाहिये। डेरा वाद, व्यक्तिपूजा को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

यह कार्यक्रम गुरुनानक देव के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था इसमें सभी धर्मों के लोगों ने संगत किया। हिन्दू, मुस्लिम, जैन, बुद्ध व इसाई समाज के लोग इनमें शामिल थे। मंच संचालन तविन्दरपाल सिंह अरोरा ने किया। सभा पश्चात् अटूट लंगर रखा गया।

 

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