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सड़क चौड़ीकरण के लिये हरे-भरे विशाल पेड़ों को काट डाला, तुरंत रोक लगाने की मांग

वृक्षों की कटाई के खिलाफ बिलासपुर कलेक्टोरेट में पहुंचे लोग।

समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमियों ने जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन

बिलासपुर। विकास और यातायात व्यवस्था सुधारने के नाम पर शहर की एक और सड़क से हरे-भरे बड़े वृक्षों की कटाई शुरू कर दी गई है। दयालबंद से शुरू की गई इस कार्रवाई पर रोक लगाने के लिये आज शहर के नागरिकों ने जिलाधीश के नाम पर ज्ञापन दिया। उन्होंने कई उदाहरण देकर बताया है कि इन पेड़ों को काटे बिना ही सड़क चौड़ी की जा सकती है।

ज्ञात हो कि दयालबंद से जगमल चौक होते हुए लालखदान तक सड़क को चौड़ा करने के लिये जिला प्रशासन द्वारा वर्षों से हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। इनमें 50 से अधिक बड़े तथा 100 से अधिक मध्यम श्रेणी के पेड़ हैं। प्रशासन का तर्क है कि सड़क को मध्य से 7-7 मीटर चौड़ा किया जायेगा, जिससे यातायात का दबाव कम होगा।

आज जिला प्रशासन को नागरिकों की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया कि ये वृक्ष शहर की धरोहर हैं और हरियाली को बचाए रखने में इनका अमूल्य योगदान है। सड़क चौड़ीकरण कार्य इन्हें बगैर काटे भी किया जा सकता है क्योंकि वृक्ष सड़क के मध्य से लगभग 7 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। यदि सड़क की चौड़ाई डिवाइडर के दोनों ओर 6-6 मीटर रखी जाए तो सभी वृक्षों को कटने से बचाया जा सकता है। ये वृक्ष फुटपाथ पर आ जाएंगे जो चलने वालों को छाया भी प्रदान करेंगे। सड़क पर यातायात का दबाव भी बहुत कम है, इस दृष्टि से भी सड़क की चौड़ाई एक मीटर कम रखने में किसी प्रकार का व्यवधान नहीं आ सकता। लिंक रोड में भी यातायात दुरुस्त करने के नाम पर दर्जनों हरे-भरे विशाल पेड़ों को काट दिया गया था लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।

शहर में ही ग्राम मोपका में सीपत की ओर सड़क की चौड़ाई डिवाइडर के दोनों तरफ पांच 5 -5 मीटर है। वहां यातायात में व्यवधान नहीं होता जबकि इस मार्ग पर भारी वाहनों का अत्यधिक दबाव है। दिल्ली, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में भी वृक्षों को बचाने के अनेक प्रयास करके उन्हें फुटपाथ पर रखा गया है और सड़कों की चौड़ाई कम रखी गई है, जबकि वहां यातायात का दबाव हमारे यहां से कई गुना ज्यादा है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इन पेड़ों को बचाना एक बड़ा कदम होगा।

ज्ञापन सौंपने के लिये बड़ी संख्या में पर्यावरण प्रेमी व समाजसेवी पहुंचे थे। ज्ञापन में इंजी. प्रथमेश मिश्र, नवनीत सिंह राठौर डॉ. देवेंद्र सिंह, आर्किटेक्ट देवाशीष घटक, निर्मल अग्रवाल सीए सत्यम आर्य, मनोज शुक्ला, आनंद अग्रवाल, एडवोकेट रणवीर सिंग मरहास, नवदीप सिंह अरोरा, सुबीर राय, जीशान खोखर आदि के हस्ताक्षर हैं।

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