छत्तीसगढ़ पीयूसीएल की महासचिव और वरिष्ठ अधिवक्ता सुधा भारद्वाज की गिरफ्तारी की पीयूसीएल ने कड़ी निंदा करते हुए इसे मानवाधिकार रक्षा के लिए की गई यूनाइटेड नेशन्स की घोषणा का उल्लंघन बताया है।  

पीयूसीएल के अध्यक्ष लाखन सिंह और प्रवक्ता ए. पी. जोशी ने एक बयान में कहा कि उनके अलावा देशभर में कई जगहों से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है।इनमें झारखंड के फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वरावर राव, महाराष्ट्र से अरुण फेरेरा, वर्नन गोंसाल्विस, दिल्ली से ही गौतम नौलखा आदि शामिल हैं। इनमें से स्टेन स्वामी के खिलाफ झारखंड में पत्थलगढ़ी मामले में भी अपराध दर्ज है।

अधिवक्ता व मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज।

जानकारी मिली है कि इन सभी पर पुलिस ने 153A, 505, 117, 120B IPC धारा 13, 16, 17, 18, 18b,  20, 38, 39, 40 UAPA धारा लगाई है।  बताया जा रहा है कि इन सब को भीमा कोरेगांव प्रकरण से जोडा गया है।

पीयूसीएल ने बयान में कहा कि  सुधा भारद्वाज  छतीसगढ में पिछले 30 सालों से मजदूरों, किसानों और महिलाओं  के लिये समर्पित रहीं हैं। बस्तर में हो रही ज्यादतियों के खिलाफ छतीसगढ हाईकोर्ट में वे लड़ाई लड़ रही हैं। उन्हें दिल्ली स्थित उनके निवास से गिरफ्तार किया गया है। वे नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर हैं। उन अधिवक्ताओ पर जो कि पीड़ित वर्ग को कानूनी सहायता दे रहे हैं उन पर लगातार हमले हो रहे हैं, और कानूनी सहायता देने वालों को  गिरफ्तार किया जा रहा है। उनके काम और ज़ज्बे को अधिवक्ता और न्यायाधीशों ने सराहा है। उनको छत्तीसगढ़ विधिक सेवा संघ में भी नियुक्त किया गया था। उनके साथ इंटर्नशिप करने के लिए देश भर से विधिक छात्र छत्तीसगढ़ लगातार आते रहे हैं और उनके मार्गदर्शन से कई मानवाधिकार अधिवक्ता भी तैयार हुए हैं।

पीयूसीएल ने कहा कि ऐसी प्रतिष्ठित अधिवक्ता पर जब ऐसे बिना सिर-पैर के झूठे इल्ज़ाम  लगाए जा सकते हैं तो आज कोई भी अधिवक्ता अपने पेशे को ईमानदारी और संवैधानिक रूप से करने के बावजूद सुरक्षित नहीं है। पीयूसीएल इस गिरफ्तारी को वर्तमान सरकार की दमनात्मक नीतियों से जोड़ कर देखता है। जहां आम नागरिकों के जीने और जीविकोपार्जन के अधिकारों का तो हनन हो ही रहा है, मानव अधिकार रक्षकों पर भी दमन का दौर शुरू हो गया है। यह न केवल भारत के संविधान के तहत मानव अधिकारों का घोर उल्लंघन है, वरन् संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा मानव अधिकार रक्षकों की सार्वभौमिक घोषणा का भी घोर उल्लंघन है। पीयूसीएल ने कहा कि सरकार ऐसे झूठे मुकदमे वापस ले। संगठन इस मामले में सभी प्रकार के कानूनी और लोकतांत्रिक संघर्ष के लिए तैयार है।

 

 

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