भाई और बहन के प्यार का त्यौहार रक्षाबंधन नजदीक आते ही बाजारों में भीड़ देखी जा रही है। त्यौहार को लेकर भाइयों के प्रति बहनों की उत्सुकता और खुशी दिखाई दे रही है।

शहर में दुकानें जगह-जगह राखियों से सजी दिखाई दे रही हैं और बहनें चुन-चुनकर रंग-बिरंगी राखियां खरीद रही हैं। इनमें रत्न और मोतियां जड़ी राखियां लोगों को ज्यादा पसंद आ रही हैं। बच्चों को लुभाने तरह-तरह की कार्टून वाली राखियों के साथ ही बाजार में मोदी के चेहरे वाली चुनावी राखियां उपलब्ध हैं।

जानें क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन के त्यौहार को हम भाई-बहनों का त्यौहार मानते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह त्यौहार भाई-बहन ने नहीं बल्कि पति-पत्नी ने शुरू किया था और तभी से संसार में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा। पुराणों के अनुसार एक बार दानवों ने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता दानवों से हारने लगे। देवराज इंद्र की पत्नी देवताओं की हो रही हार से घबरा गईं और इंद्र के प्राणों की रक्षा के तप करना शुरू कर दिया, तप से उन्हें एक रक्षासूत्र प्राप्त हुआ। इस रक्षासूत्र को श्रावण पूर्णिमा के दिन इंद्र की कलाई पर इंद्राणी ने बांध दिया, जिससे देवताओं की शक्ति बढ़ गई और दानवों पर जीत प्राप्त की। तब से श्रावण मास की पूर्णिमा को राखी का त्यौहार मनाया जाता है।

दो दिन बांधी जा सकेंगी राखियां

रक्षाबंधन पर इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। पंचांग के अनुसार सूर्योदय से पूर्व ही भद्रा समाप्त हो जाने से बहनें दिन भर भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात में भी राखी बांधी जा सकेगी। इस बार रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त पंचांग के मुताबिक पूर्णिमा 25 अगस्त दोपहर 3:15 से 26 अगस्त को शाम 5:30 बजे तक रहेगी। खास बात यह है कि इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र भी है। यह नक्षत्र दोपहर 12:35 बजे तक रहेगा। वहीं 26 अगस्त को पूर्णिमा शाम 5:30 बजे है। इससे रक्षाबंधन पूरे दिन मनाया जाएगा। इस बार श्रावण पूर्णिमा मुहूर्त के बंधन से मुक्त है, जिसे सौभाग्यशाली माना जा रहा है।

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