यह सरकार सिर्फ दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए मंदिर की बात करती है, पुलवामा हमला भी केन्द्र की कमजोरी के कारण

बिलासपुर। पंचअग्नि अखाड़ा के महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद ने कहा है कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की अगुवाई में, अयोध्या में राम जन्मभूमि पर शुभ मुहुर्त के अनुसार 21 फरवरी को शुरू हो जायेगा। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जिस जगह को अधिग्रहित करने की मांग रखी है, वह राम की जन्मभूमि नहीं है। वह सत्ता हासिल करने के लिए राम मंदिर की बात करती है। उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले से पता चलता है कि सरकार कमजोर है।


महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद आज अल्प प्रवास पर बिलासपुर पहुंचे। वे अरुण सिंह ठाकुर के अभिलाषा परिसर, तिफरा स्थित निवास पर ठहरे। यहां उनके पादुका पूजन और राम कथा का कार्यक्रम भी रखा गया था। शाम को वे अयोध्या वापस रवाना हो गये।

दोपहर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि काशी के विद्वानों से तय किये गए शुभ मुहूर्त के अनुसार अयोध्या में राम जन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण 21 फरवरी को भूमि पूजन के साथ शुरू हो जायेगा। रामकृष्णानंद ने कहा कि यह राम मंदिर की बात नहीं है। राम मंदिर तो देश के हर गांव में है। यह रामजन्मभूमि का सवाल है, जो एक ही है। दूसरे लोग जो अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कर रहे थे, उनका उद्देश्य दरअसल मंदिर बनाना नहीं था, बल्कि राम मंदिर के नाम पर राजनीति कर रहे थे। उनको दिल्ली की कुर्सी चाहिये थी। वास्तविकता यह है कि कोई भी राजनीतिक दल अयोध्या में राममंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा निर्माण नहीं कर सकता, क्योंकि देश का संविधान कहता है कि सरकार को धर्मनिरपेक्ष होना है। धर्माचार्य ही मंदिर बना सकते हैं। अयोध्या में न तो बाबर पैदा हुआ न उसकी मौत वहां हुई। यह बात जबरन फैलाई गई कि वह बाबरी मस्जिद है। हमारा शास्त्र कहता है कि राम भगवान वहां पैदा हुए।

रामकृष्णानंद ने कहा कि शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, धर्माचार्यों और करोड़ों रामभक्तों की इच्छा है कि अयोध्या का मसला जल्दी हल हो। वे सब मंदिर निर्माण के लिए जायेंगे। अयोध्या में मंदिर निर्माण करना किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं, बल्कि हमारी आस्था का विषय है, जिसकी स्वतंत्रता सभी धर्मों में लोगों को है।

वर्तमान सरकार, जो अपने आपको हिन्दूवादी सरकार बताती है, ने अभी अभी सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है कि हमें अधिग्रहित भूमि दी जाये। यदि आप अधिग्रहित जमीन पर मंदिर बना देंगे तो उस जगह का क्या होगा, जिसके लिए हमारी पीढ़ियों ने कुर्बानी दी। जो जन्मभूमि है, मंदिर वहीं बनेगा, उससे हटकर कभी नहीं बनेगा, उसे न कभी हम स्वीकार करेंगे। जो अधिग्रहित भूमि है उसे भी हम नहीं छोड़ेंगे क्योंकि हम देश का अद्वितीय, अनूठा भव्य मंदिर बनाने जा रहे हैं, जिसमें 10 हजार लोग एक साथ दर्शन कर सकेंगे। रामजन्मभूमि बन जाता है कि मुस्लिम सहित देश के सारे समुदायों के लोग सुखी रहेंगे। हम लोग वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से काम करने वाले लोग हैं। विश्व के कल्याण की बात करते हैं।

महामंडलेश्वर ने इस सुझाव का भी विरोध किया कि दूसरे समुदाय के लिए भी  वहीं पर निर्माण करा दिया जाये। उन्होंने कहा कि व्यवहारिक कारणों से यह संभव नहीं होगा। इससे दोनों की उपासना में व्यवधान आयेगा। कुछ लोग दोनों समुदायों को भड़काने में लगे हैं। कभी हिन्दू मारे जाते हैं, कभी मुसलमान। यह देश के लिए क्षत्ति है। हम मस्जिद के विरोधी नहीं है। देश के राजनीतिज्ञों को राम मंदिर के नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिये और धर्माचार्यों के पीछे चलकर राम मंदिर निर्माण में सहयोग करना चाहिए।

पुलवामा हमले की कड़ी निंदा करते हुए महामंडलेश्वर रामकृष्णानंद ने कहा कि यह सरकार लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं पाई है। यह सिर्फ बातें करने वाली सरकार है। किसी भी समस्या का समाधान इसके पास नहीं है। यह सिर्फ समस्याओं पर फोकस मारती है।

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