गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय में किये जा रहे शोध का निष्कर्ष, लोगों में जानकारी का अभाव व जटिलता इसका कारण

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में कराये जा रहे एक शोध अध्ययन का निष्कर्ष निकला है कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किए गए प्रयासों एवं लागू की गई आकर्षक योजनाओं एवं नीतियो के बावजूद उसका प्रभाव न हो पाने की मुख्य वजह उद्यमियों में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की विभिन्न जानकारियों का अभाव है। इस स्तर पर आकर्षक योजनाओं के अलावा यह प्रयास तब तक फलदायक नहीं होगा, जब तक आम आदमी जमीनी स्तर पर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के औचित्य को पहचान न सके।

विश्वविद्यालय की प्रबंध एवं वाणिज्य अध्ययनशाला के अंतर्गत प्रबंध अध्ययन विभाग में भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की प्रचार की रणनीति एवं चुनौतियों का अध्ययन किया जा रहा है। वैभव शंकर सोनी इस विषय पर शोध कर रहे हैं। वे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब एवं ओडिशा के सौ उद्यमों का अध्ययन कर रहे हैं। उनके शोध निर्देशक डॉ. बी.डी. मिश्रा सह आचार्य, प्रबंध अध्ययन विभाग हैं।

उक्त शोध अध्ययन का प्रमुख उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की चुनौतियों एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रति उद्यमी की जागरूकता की पहचान करना है। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अपनाई जा रही प्रचार रणनीति का अध्ययन किया जा सकेगा। साथ ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के तकनीकी उन्नयन की पहचान हो सकेगी। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम एमएसएमई क्षेत्र का सशक्तिकरण न केवल हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, बल्कि यह मध्यम एवं निम्न श्रेणियों के कर्मचारियों को भी अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने का अवसर प्रदान करेगा। यह अध्ययन एमएसएमई क्षेत्र की चुनौतियों का अध्ययन कर उनके निराकरण के लिए सुझाव प्रदान करेगा। शोधार्थी ने इसमें 282 सूक्ष्म 78 लघु एवं 40 मध्यम, कुल 400 उद्यमों का अध्ययन पांच राज्यों एवं एक केन्द्र शासित प्रदेश में किया। उन्होंने छत्तीसगढ़ के 250, मध्यप्रदेश के 50 तथा दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, ओडिशा, के 25-25 उद्यमों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला।

शोध अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रमुख रूप से तीन चुनौतियों विपणन, वित्तीय एवं तकनीकी जटिलता का सामना करना पड़ता है। इस अध्ययन में लिए गए 400 उद्यमों में लगभग सभी ने इस पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा जमीनी स्तर पर आम उद्यमी को केन्द्र और राज्य सरकार की अनेक योजनाओं की अनभिज्ञता प्रमुख चुनौती के रूप में सामने आयी। इस अध्ययन में भाग लेने वाली विभिन्न उद्यमों के प्रतिभागियों ने यह भी बताया कि उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा काफी प्रयास किये गये किन्तु इसमें और तेजी, सही माध्यम और तरीके की आवश्यकता है। साथ ही सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के विकास के लिए उद्योग तकनीकी का उन्नयन बहुत आवश्यक है। तकनीकी उन्नयन से न केवल इन उद्योगों को नई दिशा मिलेगी, बल्कि देश अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त करते हुए नई पहचान बनाएगा।

 

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