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सीयू में खोखसी मछली के प्रतिरक्षा तन्त्र और कीटनाशक के असर पर शोध

खोखसी मछली।

 

बिलासपुर। गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय की जीव विज्ञान अध्ययनशाला के जंतु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. मनीष कुमार त्रिपाठी के शोध निर्देशन में अजय कुमार भारद्वाज ‘‘आर्गेनोफोस्फेट पेस्टिसाइड ट्राइएजोफास इन्ड्युस्ड आल्टरेशन्स इन इन्नेट इम्युन रेस्पोन्सेस आफ ल्युकोसाइट्स इन फ्रेश वाटर टिलियोस्ट चन्ना पन्क्टेटस‘‘ विषय पर शोध कर रहे हैं।

प्रगति के सोपानों पर सतत अग्रसर हो रही आधुनिकता के इस दौर मे तकनीकी आधारित कृषि के क्षेत्र मे कीटनाशक का उपयोग लगातार बढ रहा है, जिसका प्रयोजन उन्नत किस्म कि फसलों का उत्पादन तथा हानिकारक कीटों का नियंत्रण करना है। नवीनतम तकनीकों एवं कीटनाशकों के उपयोग से कृषि उत्पादन एवं इसकी गुणवत्ता में अप्रत्याशित सुधार हुआ है लेकिन जलीय पारिस्थितिकि तन्त्र में पाये जाने वाले गैरलक्षित जीवों मुख्यतः मछलियों पर कीटनाशक के प्रतिकूल प्रभाव को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।

ट्राइएजोफास एक आर्गेनोफोस्फेट कीटनाशक है, जिसका प्रयोग धान तथा अन्य पौधों को कीटों के हानिकारक प्रभाव से बचाने में किया जाता है। कृषि क्षेत्रों से निकलने वाला कीटनाशक वर्षा या जल के बहाव के साथ जलीय पारितन्त्र में पहुंचकर, जलीय जीवों विशेषकर मछलियों पर विपरीत असर डालते है। मछलियां, जीवों के क्रमिक विकास व प्रतिरक्षा प्रणाली की अनुक्रिया की अध्ययन की दृष्टि से मह्त्वपूर्ण जीव हैं क्योंकि इनमें जन्मजात (इन्नेट) तथा उपार्जित (एडाप्टिव) प्रतिरक्षा तन्त्र दोनों का सर्वप्रथम विकास हुआ, जो कि हमें जीवों के उद्विकास एवं शरीर प्रतिरक्षा तन्त्र कि अनुक्रिया को समझने में प्रायोगात्मक तथ्यों पर आधारित सार्थक प्रमाण देते हैं।

खोखसी (चन्ना पन्क्टेटस) भोजन के रूप में उपयोग की जाने वाली मछली है जो सामान्यतः नदी एवं तालाब में पायी जाती है। ट्राइएजोफास कीटनाशक जलीय पारितन्त्र में पहुंचकर मछलियों के प्रतिरक्षा तन्त्र को कमजोर करता है जिससे मृत्यु दर तेज हो जाने के कारण मत्स्य पालन में आर्थिक नुकसान कि सम्भावना बढ जाती है। वर्तमान शोध का विषय खोखसी (चन्ना पन्क्टेटस) की प्रतिरक्षा तन्त्र पर कीटनाशक के प्रभाव पर केन्द्रित है। मछलियों में ल्युकोसाइट्स शरीर प्रतिरक्षा तन्त्र की मुख्य कोशिकायें होती है जो आन्तरिक या वाह्य रोगजनक कारकों तथा बीमारियों से सुरक्षा देने का कार्य करते है। अभी तक किये गये शोध में प्राप्त निष्कर्षो के आधार पर ट्राइएजोफास कीटनाशक प्रतिरक्षा तन्त्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिससे शरीर की सुरक्षात्मक प्रणाली कमजोर हो जाती है। प्रतिरक्षा तन्त्र और कीटनाशक के असर का अध्ययन करके ऐसी दवायें और परियोजनायें विकसित की जा सकती है जिससे मछलियों के प्रतिरक्षा तन्त्र को सशक्त बनाया जा सके जो की कीटनाशक के असर को खत्म कर सके। कीटनाशक के प्रभाव से मछलियां प्रायः तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करती है जो की किसानों के आर्थिक नुकसान के रूप में परिलक्षित होता है। ल्युकोसाइट्स के अध्ययन से ऐसी स्वास्थ्य प्रबन्धन दवायें विकसित की जा सकेंगी जो कि निरंतर विकसित हो रहे मत्स्य पालन को आधार देंगी तथा किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनायेंगी।

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