जिले भर में एम्बुलेंस दौड़ रही है नौसिखिए ड्राइवरों के भरोसे, रायपुर के घटना से प्रशासन और सिम्स ने सबक नहीं लिया

रायपुर मेकाहारा में 108 एम्बुलेंस के गेट न खुलने से एक नवजात की मौत के बाद भी सिम्स और प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। सिम्स हास्पिटल के सामने बेतरतीब खुदाई के कारण दिनभर जाम रहा है, जिसमें एम्बुलेंस भी फंस रही है।

बिलासपुर सिम्स हॉस्पिटल तक पहुंचने वाले दोनों रास्तों में सीवरेज का काम चल रहा है। इस कारण किसी भी समय यहां बड़ा जाम लग जाता है।

रास्ते में इतना बड़ा गड्ढा किया गया है कि वहां से एम्बुलेंस का गुजरना ही नामुमकिन है। दूसरी ओर सीवरेज कंस्ट्रक्शन की बड़ी बड़ी गाड़ियां खड़ी हैं, सड़कों पर रेत और सीमेंट का मलबा बिछा है, जो हर पल किसी अप्रिय घटना को बुलावा दे रही है।

सिम्स अस्पताल जिले व शहर का मुख्य अस्पताल है जहां रोज हजारों की संख्या में लोग अपना इलाज कराने पहुंचते हैं। हर वक्त निजी और सरकारी एम्बुलेंस, महतारी एक्सप्रेस आदि की आवा-जाही लगी रहती है। एम्बुलेंस से आने वाले ज्यादातर मरीजों की हालत नाजुक होती है, इसके बावजूद दोनों ओर जाम लगाकर सीवर की लाइन तैयार की जा रही है।

कभी-कभी 5 मिनट की देरी भी किसी मरीज की जान ले सकती है पर इसकी जिम्मेदार लोगों को परवाह नहीं है।

एक ओर कंस्ट्रक्शन तो दूसरी और वाहन

सिम्स के सामने सीवरेज का कार्य महीनों से चल रहा है। आए दिन लोगों को परेशानी हो रही हैं, पर काम इतने धीमे चल रहा है कि खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। आए दिन लोगों को हॉस्पिटल पहुंचने में परेशानी हो रही है।

हॉस्पिटल पहुंचने वाले रास्ते पे दिन में काम

हॉस्पिटल पहुंचने के मुख्य दो ही मार्ग हैं और दोनों जाम लगा रहता है। मरीजों की दिक्कत को देखते हुए बारी-बारी दोनों ओर का काम कराया जा सकता है और रात के समय जब ट्रैफिक कम रहती है इसे किया जा सकता है। पर सड़क में जब भीड़ रहती है, तब यह काम हो  रहा है।

नौसिखिए चला रहे 108-102 एम्बुलेंस

108 व 102 एम्बुलेंस चलाने वालों की हड़ताल प्रदेशव्यापी है, जिसका असर यहां भी है।

इनके चालकों को 15 दिन का प्रशिक्षण लेना जरूरी होता है, जिसमें उन्हें ऑक्सीजन लगाना और प्राथमिक उपचार सिखाया जाता है। प्रशिक्षित चालक अपनी मांगों  को लेकर रायपुर में धरना दे रहे हैं। फिर भी एम्बुलेंस सड़कों पर दौड़ती दिख रही है। सिम्स प्रबंधन ने एम्बुलेंस चलाने का काम नौसीखियों को सौंप दिया है।

एम्बुलेंस कर्मचारियों के संगठन के जिला सचिव सुरेन्द्र डहरिया ने कहा कि ये हमारी मजबूरी है कि सरकार और कम्पनी उनकी मांगों को पूरा नहीं कर रही है। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में अप्रिशिक्षित पायलट व टेक्नीशियन एम्बुलेंस लेकर चल रहे हैं। उन्हें न तो गाड़ी का दरवाजा खोलना आता और न ही उन्हें प्राथमिक उपचार की जानकारी है। शासन और कम्पनी केवल रोड में गाड़ी दिखाने के लिए एम्बुलेंस दौड़ा रही है।

प्राइवेट एम्बुलेंस वालों की मौज

सरकारी सेवा ठप हो जाने के कारण इन दिनों सिम्स और जिला अस्पताल में निजी एम्बुलेंस ज्यादा दिखाई देने लगी है। मरीजों के परिजनों से वे 15 रुपए किलोमीटर चार्ज करते हैं। पास के मरीजों के लिए भी अलग रेट है।

एम्बुलेंस के आगे दो पहिया से जाम

सिम्स में बेतरतीब पार्किंग व्यवस्था का ये हाल है कि एम्बुलेंस जिस जगह खड़ी है उसके चारों ओर दो पहिया वाहन पार्क कर दिए जाते हैं। स्टैंड के गार्ड का कहना है कि इमरजेंसी कॉल पर दुपहिया वाहनों को हटाना पड़ता है, तब कहीं एम्बुलेंस निकल पाती है।ज्ञात हो कि सिम्स में 16 एम्बुलेंस और 25 महतारी एक्सप्रेस हैं। पूरे प्रदेश में ऐसे 600 वाहन हैं। कुछ दिन पहले ही कंपनी के चालक हड़ताल पर गए हैं। ऐसे में सिम्स प्रबंधन के इस दावे पर यकीन करना मुश्किल है कि उनकी जगह पर जिन नए चालकों को रखा गया है, उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है।

संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस एम्बुलेंस के चालक रायपुर में खुले आसमान के नीचे छतरी तानकर धरना दे रहे हैं। उनका कहना है कि हमें टेंट लगाने की अनुमति नहीं मिली।

 

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