21 सूत्री मांगों पर सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन का रुख अख्तियार किया

लंबे समय से अपनी लंबित माँगों पर कार्रवाई की माँग कर रहे कोल इण्डिया के अधिकारियों ने अब विरोध प्रदर्शन का रास्ता अख़्तियार कर लिया है । इसके पूर्व 17 अगस्त को चार्टर ऑफ डिमांड्स के जरिये कोल इण्डिया अधिकारी संघ द्वारा चेयरमैन, कोल इण्डिया को वर्षों से लंबित पड़े माँगों पर कार्रवाई के लिए  ज्ञापन सौंपा था  तथा माँगों पर विचार न होने की स्थिति में हड़ताल सहित विरोध प्रदर्शन की सूचना भी दी थी । इस क्रम में कोल इण्डिया अधिकारी संघ(सीएमओएआई) के तत्वावधान में मुख्यालय समेत एसईसीएल के समस्त क्षेत्रों में सोमवार को अधिकारियों ने काला पट्टा बांधकर काम किया ।

इस संबंध में सीएमओएआई के अधिकारियों ने बताया कि कोल इण्डिया के अधिकारियों की 21 सूत्री मांगों को लेकर अधिकारी संघ लंबे समय से संघर्ष कर रहा है, किन्तु कोल इण्डिया प्रबंधन द्वारा इस मांगों के संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं । प्रधानमंत्री के हर घर बिजली के स्वप्न को साकार करने में कोयला उद्योग प्रतिवर्ष , मुश्किल लक्ष्य के वावजूद, रिकार्ड उत्पादन कर अपना योगदान दे रहा है। इसके बाद भी अधिकारी अपने हक़ की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं । कोल इण्डिया 2011 में महारत्न कंपनी बनी थी किन्तु आज तक दूसरे महारत्न कंपनियों, जैसे ओएनजीसी , भारत पेट्रोलियम आदि  के बराबर वेतन एवं भत्तों की सुविधा कोल इण्डिया के अधिकारियों को नहीं दी जा रही है । हाल में ही लागू तृतीय पे रिविज़न में अधिकारियों को और निराशा हाथ लगी है जहां उन्हें पूर्व में मिलने वाले कई भत्तों जैसे खदानों में काम करने पर मिलने वाले कोल फील्ड्स अलाउंस, चार्ज अलाउंस, रेसक्यू अलाउंस आदि को हटा दिया गया ।

सीएमओएआई की अन्य माँगों में वेज बोर्ड कर्मचारियों की तुलना में अधिकारियों के वेतन में बढ़ोतरी की माग  है, जिससे वर्तमान में अधिकारी से ज्यादा तनख्वाह ले रहे कर्मचारी की निरापद स्थिति से निजात मिल सके , दूसरी महारत्न कंपनियों के समरूप ट्रांसपोर्ट अलाउंस एवं अन्य भत्ते, गैर अधिकारी से अधिकारी वर्ग में प्रमोशन से उपजी वेतन की विसंगतियां, सीएमपीएस एवं पीआरपी की विसंगतियां, एलटीसी की सुविधा में सुधार, ट्रांसफर नीति में सुधार आदि मुद्दे शामिल हैं । अधिकारी संघ के सचिव ने बताया कि मांगों की दिशा में ठोस कार्रवाई न होने पर यह विरोध प्रदर्शन 26 सितंबर तक जारी रहेगा।

 

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