पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और पत्रकार श्यामलाल चतुर्वेदी ने उनसे जुड़ी यादें साझा की।

श्यामलाल चतुर्वेदी ने साल 1951 की याद साझा की, जब जनसंघ का जन्म नहीं हुआ था। वे बताते हैं कि जनसंघ बनाने के लिए लोगों को टटोला जा रहा था, इच्छुक लोगों से मिला जा रहा था। इसी क्रम में अटल जी बिलासपुर पहुंचे थे। उन्होंने स्थानीय जाजोदिया धर्मशाला में अपना ठिकाना बनाया था। उनके साथ 11 सदस्य थे। चतुर्वेदी जी ने बताया कि उनके मिशन में बतौर 12वें सदस्य वे शामिल हुए थे।

अटल जी का कमेंट देख गदगद हो जाते हैं चतुर्वेदी जी


श्यामलाल कहते हैं कि उन्हें अटल जी का भाषण सुनकर लग गया था कि वो आगे चलकर कुछ न कुछ करतब दिखाएंगे। चतुर्वेदी जी उनकी चर्चित पुस्तक “भोलवा भोलाराम बनिस” के ऊपर बाजपेयी जी ने अपनी टिप्पणी लिखकर दी। उसे यादकर वे आज भी गद्गद हैं।

पैदल बारात चले गए अटल जी

अपनी किताब, अटल जी के कुर्ते और बारात जाने से जुड़े किस्से भी श्यामलाल चतुर्वेदी से सुनाए। वाजपेयी से उनकी एक और बार बिलासपुर में मुलाकात तब हुई थी जब वो एक शादी में बाराती बनकर पहुंचे । लोगों ने उनसे कार में विवाह-स्थल तक पहुंचने का आग्रह किया। लेकिन वाजपेयी जी ने साधारण लोगों की तरह पैदल जाना ही मुनासिब समझा ।

जब अटल जी ने पूछा था कैसे हो…

श्यामलाल चतुर्वेदी बताते हैं कि एक बार जब वो अटल जी उनसे मिले तो पूछा कैसे हो। इसपर उन्होंने जवाब दिया कि वैसे हैं, जैसे आपके सामने खड़े हैं। अटल जी ने कहा कि लोग रहते कुछ और हैं और दिखते कुछ और हैं। इसपर श्यामलाल जी ने जवाब दिया कि हम उनमें से नहीं हैं, जैसे रहते हैं, वैसे दिखते हैं।

जब कुर्सी पर नहीं बैठे अटल जी

चतुर्वेदी जी ने एक और किस्सा सुनाया कि एक बार अटल जी को नागपुर जाना था, तो वे उनसे मिलने स्टेशन गए। वहां पत्रकारों का जमावड़ा था। सब लोग प्लेटफॉर्म पर थे। इसी बीच एक सज्जन कुर्सी ले आए, वाजपेयी जी के बैठने के लिए। उस वक्त ट्रेन नहीं आई थी। तब अटल जी ने कुर्सी पर बैठने से इनकार कर दिया क्योंकि सब वहां खड़े थे और किसी के लिए बैठने की व्यवस्था उनके अलावा नहीं थी।

चतुर्वेदी बताते हैं कि एक जगह अटल जी को खाने पर आमंत्रण मिला था। अटल जी ने जो कुर्ता पहना था वो बगल से फटा था और कॉलर की हालत खराब थी। अटल जी में इस कदर सादगी थी कि उन्होंने बिलासपुर में अपने फटे कपड़े को सिलवाने का आग्रह भी एक बार किया था।

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